खुली ट्रांसफर, लंबित डीए और एचआरए के संबंध में प्रांताध्यक्ष डॉ. गिरीश केशकर ने मुख्यमंत्री को लिखा मार्मिक पत्र
,खुली ट्रांसफर नहीं होने, लंबित डीए और एचआरए नहीं मिलने से कर्मचारियों का सब्र टूट रहा

कोरबा। आज प्रदेश में खुली ट्रांसफर प्रक्रिया शुरू करने, लंबित डीए और सातवें वेतनमान पर गृहभाड़ा भत्ता के लेकर हर कर्मचारी मुख्यमंत्री के निर्णय की ओर आस लगाए हुए है। छत्तीसगढ़ शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के प्रांताध्यक्ष डॉ. गिरीश केशकर ने इस संबंध में मुख्यमंत्री के नाम एक पत्र लिख कर शीघ्र सकारात्मक निर्णय लिए जाने की मांग की है।

      डॉ. केशकर ने बताया कि कोरोना काल के कारण विगत 2 वर्ष से शिक्षकों एवं कर्मचारियों का ट्रांसफर नहीं हुआ है। कोरोना काल में अनेकों कर्मचारियों ने अपने परिवार से अपनो को हमेशा के लिए खो दिया है। सबके अलग अलग दर्द है जिसको वही शिक्षक एवं कर्मचारी महसूस कर सकते हैं। ट्रांसफर में ट्राइबल और एजुकेशन जिले की बाध्यता के कारण हजारों शिक्षक कर्मचारी कई वर्षों से अपने परिवार से सैकड़ो किलोमीटर दूर हैं। परिवार के नजदीक नहीं आ पा रहे हैं। ऐसे में सहज ही समझा जा सकता है कि वो अपने बुजुर्ग माता पिता की सेवा, उनकी सही इलाज, बच्चों की पढ़ाई उनकी परवरिश के साथ ही परिवार की अन्य पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वहन कैसे कर सकते हैं और ऐसे में उनकी मनः स्थिति पर कितना विपरीत प्रभाव पड़ रहा होगा। शासन को इस दिशा में शीघ्र सकारात्मक निर्णय लेना चाहिए। इसमें शासन को कोई वित्तीय भार भी नहीं आना है।
              प्रांताध्यक्ष डॉ गिरीश केशकर ने आगे बताया कि आज केंद्र की तुलना में छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 12 प्रतिशत कम है। जबकि केंद्र ने 4 प्रतिशत और डीए की घोषणा कर दी है। कई राज्य अपने कर्मचारियों को केंद्र के समान 34 प्रतिशत मंहगाई भत्ता दे रहे हैं छत्तीसगढ़ सरकार ने भी बिजली विभाग के कर्मचारियों को 34 प्रतिशत मंहगाई भत्ता दे रही है फिर अन्य विभाग के कर्मचारियों के साथ एक ही राज्य में ऐसा भेदभाव क्यों? कोरोना काल में शिक्षकों के साथ ही सभी विभाग के कर्मचारियों ने एक कोरोना योद्धा के रूप में सरकार के हर एक निर्देश का पालन करते हुए हर मोर्चे पर जान के खतरे को नजर अंदाज कर साथ खड़े रहे। सभी कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री राहत कोष में राज्य की मजबूती के लिए सहर्ष अपना अंशदान दिया। हॉस्पिटल, कोरनटाइन सेंटर, रेलवे स्टेशन, बेरियर हर जगह दिन रात की परवाह किये बिना अपनी सेवा दी। ऐसे में शासन द्वारा लंबित डीए और उसकी एरियर्स राशि, सातवें वेतनमान अनुसार गृहभाड़ा भत्ता नहीं देना शिक्षकों और कर्मचारियों का मनोबल गिराने वाला है। आज महगाई हर क्षेत्र में अपने चरम पर पहुँच रही है। घर परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है। मुख्यमंत्री जी को शीघ्र ही इस पर सकारात्मक निर्णय लेकर आदेश प्रसारित करवाना चाहिये ताकि कर्मचारियों का मनोबल टूटने से बचे।