कोरबा । जिले में मानसून के आगमन के साथ ही धान, दलहन एवं अन्य फसलों की बुवाई के कार्य प्रारंभ हो चुके है। किसानों को खाद एवं बीज की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सभी सहकारी समितियों में खाद एवं बीज का पर्याप्त भण्डारण किया जा रहा है। किसानों द्वारा सामग्री का उठाव भी किया जा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में डी.ए.पी. की कीमत तेजी से बढ़ने और भारत में इसकी आपूर्ति काफी हद तक अन्य देशों के आयात पर निर्भर होने की वजह से डी.ए.पी. की कमी बनी हुई है। इस समस्या के समाधान के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने वैकल्पिक उर्वरकों का उपयोग कर डीएपी की कमी को दूर करने किसानों को सलाह दी है।
उप संचालक कृषि अनिल शुक्ला ने बताया कि डीएपी की कम उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए पोषक तत्व फास्फोरस की पूर्ति के लिए सुपर फास्फेट का उपयोग किया जा सकता है। इसमें 16 प्रतिशत फास्फोरस (स्फुर) एवं 11 प्रतिशत सल्फर होता है। उप संचालक कृषि ने बताया कि धान एवं मक्का फसल में एक एकड के लिए 40 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 24 कि.ग्रा. फास्फोरस एवं 16 कि.ग्रा. पोटाश की आवश्यकता होती है। डीएपी खाद नही होने की स्थिति में प्रति एकड में यूरिया एक बोरी (50 कि.ग्रा.), एनपीके दो बोरी (100 कि.ग्रा.), पोटाश 27 कि.ग्रा. साथ ही वर्मी कम्पोस्ट एक क्विंटल उपयोग करने की सलाह दी गयी है। अथवा यूरिया 65 कि.ग्रा., एनपीके दो बोरी (100 कि.ग्रा.) सिंगल सुपर फास्फेट (50 कि.ग्रा.) साथ ही वर्मी कम्पोस्ट कम से कम एक क्विंटल प्रति एकड की दर से उपयोग कर सकते है। अथवा यूरिया दो बोरी (100 कि.ग्रा.), सिंगल सुपर फास्फेट तीन बोरी (150 कि.ग्रा.), पोटाश 27 कि.ग्रा. का उपयोग किया जा सकता है। साथ ही वर्मी कम्पोस्ट कम से कम एक क्विंटल प्रति एकड़ की दर से उपयोग में लाया जा सकता है।
खरीफ दलहनी फसलों के लिए डीएपी के बदले वैकल्पिक उर्वरक
दलहनी फसलों के लिए अनुशंसित पोषक तत्व एन.पी.के. 8ः20ः8 (नाइट्रोजन 8,फास्फोरस 20,पोटाश 8) कि.ग्रा. प्रति एकड़ मात्रा की आवश्यकता होती है। डीएपी खाद नही होने की स्थिति में इसकी आपूर्ति के लिए यूरिया 18 कि.ग्रा., पोटाश 14 कि.ग्रा., सिंगल सुपर फास्फेट ढाई बोरी (125 कि. ग्रा.) अथवा यूरिया पांच कि.ग्रा., एन.पी.के. (12ः32ः16) एक बोरी (50 कि.ग्रा.), पोटाश 14 कि.ग्रा. सिंगल सुपर फास्फेट 25 कि.ग्रा. के साथ ही वर्मी कंपोस्ट कम से कम एक क्विंटल प्रति एकड़ की दर से उपयोग किया जा सकता है। अथवा यूरिया 5 कि.ग्रा., एनपीके एक बोरी 50 कि.ग्रा., पोटाश 14 कि.ग्रा., सिगल सुपर फास्फेट 25 कि.ग्रा. साथ ही वर्मी कम्पोस्ट कम से कम एक क्विंटल प्रति एकड की दर से उपयोग करने की सलाह किसानों को दी गयी है।
खरीफ तिलहनी फसलों के लिए
तिलहनी फसलों जैसे सोयाबीन एवं मुंगफली के लिए अनुशंसित पोषक तत्व एन.पी. के. (8ः20ः8) (नाइट्रोजन 8, फास्फोरस 20, पोटाश 8 कि.ग्रा. प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है। डीएपी नही नही होने की स्थिति में इसकी पोषक तत्वों की आपूर्ति के लिए यूरिया (17 कि.ग्रा.) पोटाश (13 कि.ग्रा.), सिंगल सुपर फास्फेट (125 कि.ग्रा.) के साथ वर्मी कम्पोस्ट कम से कम एक क्विंटल प्रति एकड़ की दर से उपयोग कर सकते हैं। इसी प्रकार रामतील के लिए अनुशंसित पोषक तत्वों की मात्रा (12ः12ः8) कि.ग्रा. नत्रजन 12 कि.ग्रा., स्फूर 12 कि.ग्रा. एवं पोटाश 8 कि.ग्रा. प्रति एकड की आवश्यकता होती है। इन पोषक तत्व की पूर्ति के लिए यूरिया 26 कि.ग्रा. सिंगल सुपर फास्फेट 25 कि.ग्रा. एवं म्यूरेट ऑफ पोटाश 13 कि.ग्रा. का उपयोग करने की सलाह किसानों को दी गयी है। साथ ही वर्मी कम्पोस्ट एक क्विंटल प्रति एकड़ की दर से उपयोग कर सकते हैं।