हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा । महिला एवं बाल विकास विभाग आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को बिना विभागीय मोबाईल बांटे ,इंटरनेट खर्च दिए पोषण ट्रैकर एप के माध्यम से पोषण अभियान की गतिविधियों को एंट्री करने बाध्य कर रहा। जिससे परेशान कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को कलेक्टोरेट पहुंचकर विभाग की दोहरी नीति एवं अदूरदर्शिता को लेकर नाराजगी जाहिर की। संघ की अध्यक्ष के नेतृत्व में पहुंचे कार्यकर्ताओं ने हाईकोर्ट के आदेश की प्रति (जिसमें उल्लेख किया गया है मोबाईल नहीं तो ऑनलाइन काम नहीं )संलग्न कर मुख्य सचिव छत्तीसगढ़ शासन के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।
संघ की अध्यक्ष श्रीमती बीना साहू ने बताया कि पोषण अभियान अंतर्गत सभी गतिविधियों को पोषण ट्रैकर ऐप्प के माध्यम से एंट्री करने बाध्य किया जा रहा। जबकि इसके लिए उन्हें विभाग द्वारा न तो मोबाईल दिया गया है और न ही नेट खर्च । जबकि बस्तर संभाग के विभिन्न जिलों में स्मार्ट फोन दिया गया है। विभाग की इस दोहरी नीति एवं अदूरदर्शिता से कार्यकर्ताओं की समस्या बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि महज 6 हजार की मासिक मानदेय में वे अपना परिवार चलाएं कि एंड्रॉयड फोन खरीदकर खुद नेट खर्च वहन कर विभागीय योजनाओं का क्रियान्वयन करें । संघ की अध्यक्ष श्रीमती साहू ने कहा कि महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा अधिकांश कार्य मौखिक निर्देश से संपादित कराया जाता है। कार्यकर्ताओं को स्वयं के खर्चे से मोबाईल खरीदकर पोषण ट्रैकर एप्प डाउनलोड करने दबाव बनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि निजी मोबाईल में यह कार्य संभव ही नहीं। घर का फोन घर के सदस्यों बच्चों व अन्य के पास होने से न केवल डाटा उड़ने की संभावना है वरन फोन भी समय पर उपलब्ध नहीं हो पाता। उन्होंने मुख्य सचिव के नाम लिखे पत्र के माध्यम से अवगत कराया है कि सायबर गड़बड़ी से बचने सुरक्षा की दृष्टि से उन्हें निजी मोबाईल से पोषण ट्रैकर एप्प डाउनलोड करने लिखित आदेश जारी किया जाए। साथ ही दूरस्थ वनांचल के कार्यकर्ताओं जिनके पास एंड्रॉयड मोबाईल नहीं है अथवा अंग्रेजी नहीं आती उन्हें जानकारी भेजा जाना संभव नहीं । अतः जब तक मोबाईल व नेट खर्च नहीं दिया जाता है पोषण ट्रैकर एप्प की बाध्यता समाप्त की जाए। उन्होंने हाईकोर्ट के आदेश की प्रति भी दिखाया जिसमें बिना विभागीय मोबाईल के ऑनलाइन वर्क के लिए बाध्य नहीं करने का उल्लेख है। बहरहाल कार्यकर्ताओं के कलेक्टोरेट आने से स्पष्ट हो गया है महिला एवं बाल विकास विभाग कागजों में ही कार्यकर्ताओं को सुविधाएं देने का दावा कर रही। आधी अधूरी तैयारी के साथ पोषण टैकर एप्प से डेटा कलेक्शन शुरू कर दिया गया। जिससे आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिले के 2500 से अधिक केंद्र की कार्यकर्ता जूझेंगी।

