कोरबा में कोलवाशरी सील होने का इफेक्ट 5 राज्यों पर , कोयला आपूर्ति हो रही प्रभावित ,गहराएगा बिजली संकट

कोरबा। प्रशासन की संयुक्त टीम ने निजी कंपनी की कोलवाशरी में दबिश दी थी। जांच में खनिज संबंधी नियमों का पालन नहीं करने के मामले में उन्हें सील कर दिया गया। इसका असर कोयला लदान पर पड़ा है। प्रतिदिन औसतन 43 रैक कोयला लदान होता था, पर कोलवाशरी की साइडिंग में कामकाज बंद होने से यह घट कर 35 रैक हो गया है।

यहां से कोयला गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, दिल्ली व पंजाब के विभिन्ना विद्युत संयंत्रों में जाता है। लदान कम होने की वजह से रेलवे के साथ साउथ इस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) को भी परेशानी झेलनी पड़ रही है।एसईसीएल की गेवरा, दीपका, जूनाडीह व कुसमुंडा में कोयला लदान के लिए साइडिंग बनी हुई है। इनमें जूनाडीह व दीपका से लगी हुई निजी कंपनी के कोलवाशरी की भी पांच साइडिंग है, जहां से वाश कोयला मालगाड़ी में लोड कर भेजा जाता है। गत 6 जुलाई को प्रशासन की संयुक्त टीम खनिज विभाग, पर्यावरण संरक्षण मंडल, नाप तौल, औद्योगिक स्वास्थ्य और सुरक्षा विभाग के अधिकारियों ने कोलवाशरियों में कार्रवाई की थी। आर्थिक गड़बड़ी की बात कह मामला खनिज विभाग के रायपुर मुख्यालय को सौंप दिया गया था। विभाग द्वारा एक सप्ताह तक जांच पड़ताल की गई, इस दौरान अनियमितताएं सामने आई। इसके साथ ही सभी कोलवाशरियों को सील कर दिया गया। इसका सीधा असर जूनाडीह व दीपका कोल साइडिंग पर पड़ा। वाशरी का कोयला आना बंद हुआ तो मालगाड़ी में भी कोयला लदान बंद हो गया। इससे रेलवे को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। इन साइडिंग से रेलवे प्रतिदिन औसतन 10 रैक कोयला लदान करता था। रैक लगाने के बाद भी कोयला नहीं मिल रहा है, इससे पांच राज्यों में कोयला आपूर्ति कम होने से भविष्य में संकट गहरा सकता है।