गृह जिला में पदस्थ जिला पंचायत सीईओ करोड़ों के शासकीय धनराशि का बंदरबाट करने वाले कोरबा ,पाली ब्लॉक के 96 पंचायतों पर मेहरबान ,सूचना के अधिकार अधिनियम की उड़ाई धज्जियां ,जन सूचना अधिकारी को बचाने नियम विरुद्ध पारित किए आदेश ,राज्य सूचना आयोग से शिकायत,देखें नियम विरुद्ध पारित आदेश की प्रति…..

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा । गृह जिला कोरबा में पदस्थ जिला पंचायत सीईओ करोड़ों के शासकीय धनराशि का बंदरबाट करने वाले पंचायतों पर मेहरबान है। मेहरबानी भी इस कदर की उन्हें न तो सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 में निहित प्रावधानों का ज्ञान है न ही शासन के मंशा की परवाह । निर्धारित समयावधि में चाही गई वांछित जानकारी के लिए किसी भी प्रकार का पत्राचार नहीं करने वाले जन सूचना अधिकारी कार्यालय उप संचालक पंचायत के पक्ष में नियम विरुद्ध आदेश पारित कर पाली ,कोरबा ब्लॉक के 96 पंचायतों को प्रश्रय देने वाले जिला पंचायत सीईओ ,उप संचालक पँचायत सहित जिला अंकेक्षक की राज्य सूचना आयोग से धारा 20 (1)2 के तहत शिकायत की गई है। प्रकरण में जल्द जिम्मेदारों पर गाज गिरेगी।

मामला वित्तीय वर्ष 2019 -20 में कराए गए वार्षिक अंकेक्षण के व्यय आक्षेप (टीप)पत्र की है। पाली विकासखंड के 69 एवं कोरबा विकासखंड के 27 कुल 96 पंचायतों के वित्तीय वर्ष 2019-20 में किए गए वार्षिक अंकेक्षण के व्यय आक्षेप पत्र की सत्यप्रतिलिपि सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 में निहित प्रावधानों के तहत व्यापक लोकहित में उपलब्ध कराने 31 .05 .2022 एवं 13 .06.2022 को विधिवत आवेदन प्रस्तुत किया गया था। ऑडिट टीप 3 सेट में संधारित की जाती है। जिसमें से एक सेट जिला अंकेक्षक कार्यालय उप संचालक पँचायत के यहां संधारित रहती है। इसी के आधार पर ऑडिट टीप में दर्शाई गई व्यय आक्षेप के आधार पर उल्लेखित आक्षेपित शासकीय धनराशि का पंचायती राज अधिनियम 1993 की धारा 89 /92 के तहत वसूल करने का प्रावधान है । लेकिन जन सूचना अधिकारी सह कार्यालय उप संचालक पंचायत ने निर्धारित मियाद में न वांछित जानकारी उपलब्ध कराई न ही किसी प्रकार का पत्र लेख किया। इससे क्षुब्ध होकर आवेदक ने प्रथम अपीलीय अधिकारी कार्यालय मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत कोरबा के यहां दिनांक 18 /07/2022 को नियमानुसार प्रथम अपील प्रस्तुत किया। जिस पर दिनांक 12/08 /2022 को पत्र लेख कर 24 /08/2022 को सुनवाई तिथि निर्धारित कर जन सूचना अधिकारी एवं अपीलार्थी को सूचना पत्र जारी किया गया। निर्धारित सुनवाई तिथि 24.08.2022 को अपीलार्थी तो उपस्थित हुए पर जन सूचना अधिकारी बिना किसी लिखित सूचना के अनुपस्थित रहे तथा उनके प्रतिनिधि के रूप में जिला अंकेक्षक जे एस पैकरा उपस्थित रहे। सुनवाई में जनसूचना अधिकारी के प्रतिनिधि द्वारा जानकारी के अभाव में अगली सुनवाई हेतु समय चाहा गया,जिससे अपीलार्थी सहमति प्रदान की जिसके आधार पर प्रकरण की अगली सुनवाई तिथि 07/09/2022 को रखा गया। जनसूचना अधिकारी एवं अपीलार्थी को 29 /08/2022 को पत्र प्रेषित किया गया। नियत सुनवाई तिथि को अपीलार्थी तो उपस्थित हुए लेकिन जन सूचना अधिकारी इस कदर गैर जिम्मेदार रहे कि बिना किसी लिखित जवाब के दूसरी सुनवाई में भी अनुपस्थित रहे। उनके प्रतिनिधि के रूप में राजकुमार देवांगन सहायक ग्रेड -2 कार्यालय उप संचालक पंचायत कोरबा उपस्थित रहे लेकिन अपीलार्थी द्वारा चाही गई जानकारी के संबंध में जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया।

नियम विरुद्ध जन सूचना अधिकारी के पक्ष में किया आदेश पारित

अब यहाँ आर्डर शीट की सारी प्रक्रिया नियमानुसार थी लेकिन इसके आगे प्रथम अपीलीय अधिकारी ने प्रथम अपील के प्रकरणों के लिए निर्धारित मियाद (45 दिवस)बीतने के उपरांत 07 /09/2022 को जो आदेश पारित किया हैरान करने वाला था।

प्रथम अपीलीय अधिकारी मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत कोरबा ने आर्डर शीट में उल्लेख किया कि अपीलार्थी द्वारा चाही गई जानकारी ग्राम पंचायत से संबंधित है ,छत्तीसगढ़ शासन पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के पत्र क्रमांक 1077 दिनांक 11.04 .2018 के अनुसार ग्राम पंचायत स्तर के लोकप्राधिकारी ग्राम पंचायत के सचिव होते हैं । अतएव अपीलार्थी संबंधित ग्राम पंचायत के लोकप्राधिकारी के समक्ष अभ्यावेदन प्रस्तुत कर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। तथा संबंधित लोकप्राधिकारी के द्वारा आवेदन प्राप्त होने पर नियमानुसार सूचना प्रदान किए जाने आदेशित किया जाता है। इस हेतु समस्त आवेदन को तत्काल प्रभाव से संबंधित ग्राम पंचायत में अंतरित किया जाता है। एवं उपसंचालक पँचायत को भविष्य के लिए चेतावनी देते हुए हुए निर्देशित किया जाता है कि सूचना के अधिकार अधिनियमों के तहत कार्यवाही सुनिश्चित की जावे। यह उल्लेख कर प्रकरण नस्तीबद्ध कर दिया गया।

जानें क्या कहता है नियम

प्रथम अपीलीय अधिकारी ने एक तो आयोग द्वारा तय समयसीमा (प्रथम अपील आवेदन प्रस्तुत दिनांक से 45 दिवस ) के भीतर प्रकरण की सुनवाई पूरी कर आदेश पारित नहीं किया ,वहीं जन सूचना अधिकारी का बचाव करने अन्य नियमों को भी दरकिनार कर दिया। नियमानुसार जन सूचना अधिकारी को 30 दिवस के भीतर आवेदक को पत्राचार करना रहता है। अगर चाही गई वांछित जानकारी उनके कार्यालय से संबंधित नहीं है और यदि आवेदक ने सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 6 (3)2 के तहत वांछित जानकारी द्वितीय पक्ष से संबंधित होने पर नियमानुसार मूलतः अंतरित कर वांछित जानकारी प्रदान करने का उल्लेख किया हो तो ऐसी दशा में जन सूचना अधिकारी को आवेदन 7 दिवस के भीतर संबंधित निकटस्थ जन सूचना अधिकारियों को मूलतः अंतरित करने का प्रावधान है। प्रकरण में इन नियमों के तहत वांछित जानकारी प्रदान करने के लिए अनुरोध किया गया था। जन सूचना अधिकारी ने पत्र उनसे जुड़ी जानकारी नहीं होने के कारण निर्धारित मियाद में न सम्बंधित जन सूचना अधिकारी को अंतरित किया न ही आवेदक को किसी भी प्रकार का पत्र लेख किया। सबसे प्रमुख बातें ऑडिट टीप 3 सेट में संधारित की जाती है। जिसमें से एक सेट जिला अंकेक्षक कार्यालय उप संचालक पँचायत के यहां संधारित रहती है। इसी के आधार पर ऑडिट टीप में दर्शाई गई व्यय आक्षेप के आधार पर उल्लेखित आक्षेपित शासकीय धनराशि का पंचायती राज अधिनियम 1993 की धारा 89 /92 के तहत वसूल करने का प्रावधान है । जन सूचना अधिकारी ने कोरबा के 23 ,करतला के 15 एवं पोंडी उपरोड़ा के 59 ग्राम पंचायतों की ऑडिट टीप इन्हीं नियमों के तहत उपलध कराई गई थी। लेकिन पाली के 69 कोरबा के 27 एवं करतला के 58 पंचायतों की ऑडिट टीप के लिए पंचायतों में आवेदन करने का तरकीब अपनाया जा रहा। जन सूचना अधिकारी कार्यालय उप संचालक पँचायत ने यह लिखकर आज तक नहीं दिया कि उनके यहां यह अभिलेख उपलब्ध नहीं हैं। प्रथम अपीलीय अधिकारी कार्यालय मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत कोरबा इन सब तथ्यों से अवगत हैं फिर भी शासकीय लोक सेवक के कर्तव्य से विपरीत नियम विरुद्ध आदेश पारित किए।

सीईओ जिला पंचायत ,जिला अंकेक्षक गृह जिला में पदस्थ ,दोस्ताना व्यवहार के चलते नियम दरकिनार ,ऑडिट के नाम पर हो रही वसूली

गौरतलब हो कि प्रथम अपीलीय अधिकारी जिला पंचायत सीईओ एवं जिला अंकेक्षक गृह जिला कोरबा में ही पदस्थ हैं। दोनों अधिकारी न केवल गृह जिला में पदस्थ हैं बल्कि दोस्ताना व्यवहार के चलते नियमों को दरकिनार कर कार्य करने के इनके चर्चे पूरे प्रदेश में व्याप्त है। सचिवों का नियम विरुद्ध स्थानातंरण ,अतिरिक्त प्रभार, कार्रवाई को लेकर हाल ही में इनकी शिकायत राज्य शासन तक की गई थी। यही नहीं पोंडी उपरोड़ा, कटघोरा,सहित कोरबा के 81 पंचायतों में 3 करोड़ 73 लाख 577 रुपए के व्यय आक्षेप का समायोजन भी नहीं किया गया। जबकि पंचायत सचिवों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ऑडिट व्यय आक्षेप के नाम पर ऑनलाइन ऑडिट मैनेज करने 15 -15 हजार रुपए प्रति पँचायत कार्यालय उपसंचालक पंचायत ने वसूल लिए। बावजूद इनके विरुद्ध किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं होने से कांग्रेस शासन पर भ्रष्टाचार को पनाह देने के आरोप लग रहे।

इन पंचायतों की मांगी गई थी आडिट टीप

कोरबा ब्लॉक के कुल 27 पंचायतों की 2019-20 में कराए गए वार्षिक अंकेक्षण की ऑडिट टीप मांगी गई थी। कटकोना ,कुरुडीह ,पंडरीपानी,सेमीपाली ,बुंदेली ,सिमकेंदा ,श्यांग,पहंदा ,करमंदी,चाकामार,कुदमुरा,करुमौहा ,कटबितला ,मसान ,तिलकेजा ,ढोंगदरहा,देवरमाल ,कुकरीचोली,कुदुरमाल ,चिर्रा ,बेंदरकोना ,नकटीखार,बेला,मुढुनारा,रजगामार ,भुलसीडीह ,पतरापाली
की जानकारी चाही गई थी।
इसी तरह पाली ब्लॉक से बक्साही,रतखण्डी,लाफा ,रामपुर ,डोंगानाला,कपोट,ईरफ,मदनपुर ,पोंडी,नुनेरा,सराईसिंगार ,सिल्ली ,नगोई ,पुटा ,भण्डारखोल,
शिवपुर ,कांजीपानी,बोईदा ,रामाकछार, मुड़ापार ,पोलमी ,उतरदा,पोटापानी,कोडार ,निरधी ,उड़ता ,भलपहरी,बनबांधा ,पुलालीकला ,सपलवा ,परसदा ,मानिकपुर ,बतरा,
डुमकछार ,खैराड़ूबान ,सिरली,दमिया,
हरनमुड़ी,बड़ेबांका,मुरली ,जोरहाडबरी,
नेवसा,केराझरिया,खम्हरिया ,रंगोले ,ढोलपुर ,मादन ,मुनगाडीह,पहाडग़ांव, माखनपुर,
कुटेलामुड़ा,चैतमा ,धतूरा ,कसियाडीह ,
करतला ,पटपरा ,सैला,धौराभांठा,
अलगीडांड,बाँधाखार ,बम्हनीकोना ,
नोनबिर्रा,नानपुलाली,तिवरता ,जेमरा,
बारी उमराव ,नवापारा,चोढ़ा,सरईपाली,
गोपालपुर, मुढाली, कर्रानवापारा,
नानबांका ,चेपा,डोड़की,सिरकीखुर्द,
हरदीबाजार,अंडीकक्षार एवं सेन्द्रीपाली शामिल है। इन सभी ग्राम पंचायतों में विश्वस्त सूत्रों के अनुसार करीब 3 करोड़ रुपए से अधिक का व्यय आक्षेप है। उक्त धनराशि का कार्यालय उप संचालक पंचायत द्वारा पालन प्रतिवेदन प्राप्त कर आज पर्यन्त समायोजन नहीं किया जा सका ।