कोरबा में मोरबी हादसे का इंतजार!एसईसीएल रजगामार स्कूल बस में ठूंस ठूंसकर ले जाए जा रहे 150 बच्चे ,परिजन चिंतित

कोरबा । गुजरात के मोरबी घटना के तर्ज पर एसईसीएल रजगामार स्कूल बस आमंत्रण दे रही है। वहां केबल पुल पर अधिक लोग थे और यहां बस में क्षमता से अधिक बच्चे। क्या घटना घटने का परिवहन/एसईसीएल प्रशासन को इंतजार है? एसईसीएल के रवैये से परिजन चिंतित हैं।

एसईसीएल के रजगामार परियोजना क्षेत्र से करीब 150 की संख्या में छोटे-छोटे बच्चे पढ़ाई करने के लिए करीब 40 वर्षों से कोरबा के विभिन्न विद्यालय में एसईसीएल के स्कूल बस से आना-जाना करते आ रहे हैं। पहले एसईसीएल प्रबंधन स्कूली बच्चों के लिए 4 स्कूल बस का परिचालन कराती थी। अभी वर्तमान में एसईसीएल रजगामार के प्रबंधन के द्वारा सभी बस को बंद करा कर 28 सीटर एक स्कूल बस के माध्यम से करीब डेढ़ सौ बच्चे को अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए कोरबा गंतव्य हेतु ठूस ठूस कर भरकर कोरबा के विभिन्न विद्यालयों में भेजा जा रहा है। पलकों का सवाल है कि प्रबंधन की आंख क्या तब तक नहीं खुलेगी, जब तक कोई बड़ी घटना न घट जाए। गुजरात के मोरबी में क्षमता से अधिक लोड ब्रिज पर हादसे में कितने मासूम लोगों की मौत हो गई, उस घटना को याद कर इन बच्चों के भी परिजन सिहर उठते हैं।
ये परिजन काफी चिंतित नजर आ रहे हैं। परिजन की माने तो एसईसीएल प्रबंधन से कई बार दो और बस की मांग कर चुके हैं जिसमें एसईसीएल प्रबंधन की ओर से पर्सनल मैनेजर अमिता चौहान के द्वारा कहा जाता है कि कभी 2 तारीख से बस लगेगी, कभी 6 तारीख को बस आ रही है, कभी 9 तारीख को बस आ रही है। इस तरह से कह कर करीब 3 महीने से परिजनों को भी धोखे में रखकर एक ही बस के माध्यम से स्कूली बच्चों को आवश्यकता से अधिक भरकर कोरबा के विभिन्न विद्यालयों में भेजा जा रहा है। परिजनों ने कहा है कि प्रशासन तत्काल अतिरिक्त बस का परिचालन नहीं कराती है तो कानून अपने हाथ में लेने के लिए भी यदि मजबूर होना पड़ेगा तो पीछे नहीं हटेंगे। एसईसीएल के कर्मचारी सहित रजगामार के जनप्रतिनिधि प्रबंधन की कार्यशैली से काफी नाराज हैं।