कोरबा । आदिवासी बाहुल्य एवं देश के 110 आकांक्षी (पिछड़े) जिलों में शामिल आदिवासी विकास विभाग ,शिक्षा विभाग ,महिला एवं बाल विकास विभाग ,उद्यानिकी विभाग ,एवं स्वास्थ्य विभाग ने जिला खनिज संस्थान न्यास की तकरीबन 2 00 करोड़ रुपए से अधिक की राशि का बंदरबाट कर दिया है। मंगलवार को ग्राम रंजना में आयोजित भेंट मुलाकात कार्यक्रम में भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ के जिला सह संयोजक मो .न्याज नूर आरबी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के समक्ष इसकी लिखित शिकायत की है । सभी विभागों के कार्यों के गुणवत्ता परीक्षण के साथ टेंडर प्रक्रिया एवं भौतिक सत्यापन की मांग की गई है। प्रकरण में जल्द ही जांच की प्रक्रिया शुरू होगी।

कलेक्टर को सौंपे प्रतिलिपि में उल्लेख है कि सर्वविदित है कि देश के 110 पिछड़े जिलों में शामिल आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिला भी शामिल है। कोरबा आदिवासी बाहुल्य जिले के साथ साथ औद्योगिक जिला के रूप में भी पूरे विश्व में विख्यात है। यह मिनी भारत कोरबा औद्योगिक जिला को खनन प्रभावित क्षेत्रों के रहवासियों के समुचित विकास के लिए जिला खनिज संस्थान न्यास (डीएमएफ ) के 550 करोड़ रुपए में से प्रतिवर्ष पूर्व में 60 प्रतिशत व पिछले वर्ष से कोरबा जिला को 40 प्रतिशत राशि तकरीबन 220 करोड़ की राशि प्राप्त हो रही है। लेकिन इस राशि से निर्धारित पैरामीटर्स में निर्धारित सेक्टरों में पूरी पारदर्शिता के साथ काम नहीं किया जा रहा।
आदिवासी विकास विभाग ,शिक्षा विभाग ,महिला एवं बाल विकास विभाग ,उद्यानिकी विभाग ,एवं स्वास्थ्य विभाग में पिछले दो वित्तीय वर्षों में जिला खनिज संस्थान न्यास की तकरीबन 2 00 करोड़ रुपए से अधिक की राशि का बंदरबाट कर दिया गया है । जिसका अग्रलिखित पंक्तियों में विभागवार उल्लेख कर आपके सम्मुख आवश्यक कार्रवाई हेतु प्रस्तुत कर रहा हूँ। आशा है आप व्यापक लोकहित में उपरोक्त बिंदुओं पर राज्य स्तर से विशेष टीम गठित कर पूरी पारदर्शिता के साथ जांच कराकर आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे। बहरहाल उपरोक्त शिकायतों के बाद शासन प्रशासन का रुख आने वाले वक्त में देखने लायक होगा। वैसे भी देश के गृहमंत्री अमित शाह ने 7 जनवरी को प्रियदर्शनी इंदिरा स्टेडियम टी पी नगर में आयोजित आमसभा में डीएमएफ से प्राप्त राशि के बंदरबाट पर राज्य शासन को घेरा था । 9 हजार 234 करोड़ की राशि में भष्ट्राचार के आरोप लगाए थे। लिहाजा ऐसी शिकायतें शासन प्रशासन की परेशानियों में और इजाफा करेंगी।


आदिवासी विकास विभाग पर 30 करोड़ की राशि के गड़बड़ी के आरोप ,फर्जी मधुमक्खी पालन ,गुणवत्ताहीन सामग्री आपूर्ति के आरोप
कार्यालय सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष 2021-22 एवं चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 में डीएमएफ से तकरीबन 25 से 30 करोड़ की राशि व्यय कर वाटर प्यूरिफिकेशन सिस्टम ,खेल सामग्री ,इन्वर्टर ,बैड मैट ,ब्लेजर ,कम्प्यूटर टेबल फर्नीचर क्रय करने के साथ साथ ,मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण दिया गया है। वहीं संविधान के अनुच्छेद 275 (1)के तहत भी अधोसंरचना एवं कम्प्यूटर टेबल चेयर खरीदी के नाम पर करोड़ों रूपए का अपव्वय किया जा रहा है। समाचार पत्रों में टेंडर शेटल की खबरें जारी होने के बाद भी सक्षम अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं हुई। अधिकांश काम कागजों में हुए हैं टेंडर प्रक्रिया गुणवत्ता की जांच कर भौतिक सत्यापन कराए जाने की मांग की गई है।
महिला एवं बाल विकास विभाग में 2 साल में 100 करोड़ की राशि में अनियमितता का आरोप ,केंद्रों के लिए खरीदे गए सामग्रियों की जांच की मांग
- जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष 2021-22 एवं चालू वित्तीय वर्ष 2022 -23 में डीएमएफ से तकरीबन 100 करोड़ रुपए से अधिक की राशि व्यय कर आँगनबाड़ी केंद्रों में आलमारी ,फर्नीचर ,बर्तन ,कूकर ,सेनेट्री पेड ,आरओ युक्त वॉटर प्यूरीफॉयर,महतारी किट,बुक सेल्फ ,ज्ञानवर्धक पुस्तकें ,प्ले कार्ड ,प्री स्कूल किट सहित अन्य कार्य किए गए हैं। अधिकांश वितरण कागजों में हुए हैं ,टेंडर प्रक्रिया गुणवत्ता की जांच कर भौतिक सत्यापन कराया जावे ।
उद्यानिकी विभाग पर 30 करोड़ के बंदरबाट का आरोप ,बीज मिनी किट वितरण पर संदेह
कार्यालय सहायक संचालक उद्यानिकी विभाग में पिछले दो वित्तीय वर्षों 2021-22 एवं 2022 -23 में 25 से 30 करोड़ का बंदरबाट किया गया है। चालू वित्तीय वर्ष में बीज वितरण एवं अन्य वानिकी कार्यों के लिए 15 करोड़ रूपए का अपव्यय किया गया है। अधिकांश वितरण कागजों में हुए हैं ,टेंडर प्रक्रिया गुणवत्ता की जांच कर भौतिक सत्यापन कराया जावे ।
शिक्षा विभाग पर दो साल में 50 करोड़ की राशि का बंदरबांट का आरोप
शिक्षा विभाग में पिछले दो वित्तीय वर्षों में तकरीबन 50 करोड़ की राशि डीएमएफ से व्यय की गई है। इनमें बर्तन (कूकर ,कड़ाही,गंज ,भगौना ,),आलमारी ,ग्रीन बोर्ड ,ब्लैक बोर्ड ,अग्मिशामक यंत्र ,टाटपट्टी ,वाटर प्यूरिफिकेशन सिस्टम,जूता मोजा ,ब्लेजर आदि सामग्री क्रय की गई है। अधिकांश वितरण कागजों में हुए हैं ,टेंडर प्रक्रिया गुणवत्ता की जांच कर भौतिक सत्यापन कराया जावे ।
स्वास्थ्य विभाग में 25 करोड़ की अनियमितता के आरोप,खरीदी प्रक्रिया की जांच की मांग
स्वास्थ्य विभाग में पिछले दो वित्तीय वर्षों में दवाई किट ,आलमारी ,स्वास्थ्य उपकरण ,औजार आदि सामग्रियों के नाम पर तकरीबन 20 से 25 करोड़ रुपए की राशि व्यय की गई है। अधिकांश वितरण कागजों में हुए हैं ,टेंडर प्रक्रिया गुणवत्ता की जांच कर भौतिक सत्यापन कराया जावे ।