कोरबा/रायपुर। तंजीमुल उलमा कोरबा ने जिले के तमाम मस्जिद, मदरसा सहित मुस्लिम यूनियंस के सहयोग से शादी और अन्य मुस्लिम समारोह में होने वाले ढोल, डीजे, पटाखे, नाच-गाने, खड़े-खड़े खाने और शादी में डिमांड करके दहेज लेने, मर्द-औरत एक साथ खाना खाने, दुल्हन की स्टेज पर मर्दों के बीच नुमाइश करने पर मुकम्मल पाबंदी लगाने का फैसला लेते हुए कुरान और हदीस की रोशनी में हुक्म जारी किया है।
विगत 11 जनवरी 2023 को लिए गए फैसले के अनुसार 1 फरवरी 2023 से इस कानूने शरिया को जिला भर में लागू करके इस पर मुकम्मल पाबंदी आयत कर दी जाएगी। उसके बाद अगर कोई इसका उल्लंघन करता है तो इमाम और उलमा उसके यहां निकाह नहीं पढ़ाएंगे और ना ही बाहर से किसी उलमा को निकाह पढ़ाने की इजाजत होगी और ना ही किसी प्रोग्राम में उलमा शिरकत करेंगे। सरपरस्त कारी सैय्यद शब्बीर अहमद अशरफी, सदर मौलाना जहीरुद्दीन रजवी एवं जनरल सेक्रेटरी अजीजुल हक रजवी अशरफी ने गुजारिश की है कि मस्जिदों में इसका ऐलान करें तथा खासकर जुम्मा की तकदीरों में इसका ज्यादा से ज्यादा जिक्र करें।
रायपुर में भी किया गया अनुकरण
कोरबा में 11 जनवरी 2023 को लिए गए फैसले का रायपुर वालों ने भी अनुकरण किया है। प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में नोमान अकरम हामिद ने बताया कि इस मुद्दे को लेकर वृहद बैठक हुई, जिसमें शहर की लगभग सभी मस्जिदों के इमाम, मौलाना एवं विभिन्न कमेटियों के पदाधिकारी तथा प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित हुये। सभी इमामों ने एक स्वर से यह तय किया कि वे ऐसे किसी भी शादी में निकाह नहीं पढ़ाएंगे जहां बाजा एवं आतिशबाजी का उपयोग किया जाएगा। बाहर से आए हुये मौलवी को भी निकाह पढ़ाने नहीं दिया जायेगा। सबने तय किया कि अगर इमाम निकाह नहीं पढ़ाएंगे तो हम आम नागरिक भी ऐसी किसी भी शादी में खाने का बहिष्कार करेंगे।
पहले भी हुआ है यह सब
समाज के लोगों ने बताया कि हालांकि रायपुर में पहले भी ये नियम लागू किया गया था, और अभी भी वहाँ के इमाम आज भी डीजे बजाने और नाच- गाना कराने वालों के यहां निकाह पढ़ाने नहीं जाते, मगर कुछ चालाक लोग दूसरे जगह से इमाम बुलाकर निकाह करवा लेते हैं। अब देखना यह है कि एक बार फिर कोरबा से इसकी शुरुआत हुई और राजधानी रायपुर के मुस्लिम समाज ने इसे आगे बढ़ाया है तो इस नियम को किस हद तक और कितनी सख्ती से लागू किया जा सकेगा?