कोरबा। कोरबा मध्य शहर के व्यापारी एक अवांछित शराब दुकान के कारण काफी परेशान हो रहे हैं। शासन ने विगत वर्ष में शराब दुकान का आवंटन किया जिसमें एक अंग्रेजी शराब की दुकान का संचालन के लिए कोरबा मुख्य शहर के बीचो-बीच यह दुकान प्रारंभ की गई।
शराब दुकान खोलने के बाद कुछ दिन तो ठीक रहा लेकिन इसके बाद से व्यापारियों की परेशानी बढ़ने लगी। जब यहां सुबह से लेकर रात तक शराब लेने के लिए आने वालों का जमघट लगता है। बेतरतीब वाहनों को खड़ी कर बीच सड़क तक जाम लगाकर, शराब के नशे में आकर, हो हल्ला करने और कई बार तो अश्लील इशारों के साथ गाली-गलौज करते हुए मारपीट की घटनाएं भी सामने आ चुकी हैं। कहने को तो यहां से चंद कदम दूर ही कोतवाली स्थित है लेकिन यह संभव नहीं कि इस शराब दुकान के आसपास कोई अमला दुकान खोलने की अवधि तक तैनात रहे। सरकार को शराब दुकान से आय प्राप्त हो रही है लेकिन सरकार की आय के चक्कर में अन्य व्यपारियों का व्यापार मार खा रहा है। शराब दुकान कहीं भी खोल दें, उसका चलना तय है लेकिन नुकसान झेल रहे व्यापारी कहां जाएं, दिन-रात समस्या झेल रहे स्थानीय रहवासी कहाँ जाएं…?

व्यापारियों और यहां आने वाले ग्राहकों के साथ-साथ निवासियों, महिलाओं, युवतियों को शराबियों की फूहड़ता का सामना करना पड़ता है।अनेक बार बुरे अनुभवों का सामना करना पड़ा है लेकिन इनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। लोग नाराज हैं, सड़क पर भी उतर सकते हैं क्योंकि शराब दुकान के साथ-साथ इतवारी बाजार का अव्यवस्थित मटन-मछली मार्केट भी परेशान किये हुए है।
इस वित्तीय वर्ष से पहले व्यापारियों ने यह प्रयास जरूर किया कि शराब दुकान यहां से अन्यत्र ले जाया जाए। शराब दुकान तो आउटर में भी चल पड़ती है। मध्य शहर के व्यापारियों ने अपने संगठन जिला चेंबर ऑफ कॉमर्स के माध्यम से शासन से गुहार लगाई। चेम्बर ऑफ कॉमर्स ने एक पत्र जरूर लिख दिया लेकिन इसके बाद इस शराब दुकान को हटवा कर व्यापारियों को राहत दिलाने के लिए कोई प्रयास नहीं हुए।

प्रदेश के मंत्री व शहर विधायक लखनलाल देवांगन से भी गुहार लगाई गई। मध्यनगरी व्यापारी संघ ने भी आवेदन दिया। सुशासन तिहार में भी बड़ी उम्मीद से आवेदन दिया गया,पर हालात जस के तस हैं। वार्ड क्रमांक 6 और 13 दोनों की सीमा के मध्य यह शराब दुकान संचालित है और यहां के पार्षदों से भी आग्रह किया गया लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। मध्य क्षेत्र के व्यापारी कहीं ना कहीं अपने कार्य अवधि में शराबियों की, शराब खरीदने के लिए आने वालों की बेजा हरकतों से परेशान हो रहे हैं। इनमें हर वक्त किसी न किसी अनहोनी का भय बना रहता है। उनकी मांग अब भी कायम है कि शराब दुकान को शहर के बाहर किसी आउटर क्षेत्र में संचालित कराया जाए ताकि किसी भी तरह की अनहोनी अथवा घटना-दुर्घटना को टाला जा सके।

यहीं पर बन जाता है मदिरालय👇
शराब लेने के लिए आने वाले कई लोग दुकान के बगल में ही तो मधु स्वीट्स की गली, गौरी शंकर मंदिर के पीछे, पुराना बस स्टैंड क्षेत्र में मयखोरी करते नजर आ जाते हैं। शहर की दुकान से शराब खरीदने के बाद सार्वजनिक स्थल में ही शराबखोरी कोई नई बात नहीं बल्कि यह हर दिन होता है। शराबियों को इस तरह से शराब पीने से मना करने पर वह मारपीट, गाली गलौज पर उतारू हो जाते हैं। अब इन शराबियों से निपट पाना हर किसी के लिए तो संभव नहीं,निकटवर्ती थाना का चक्कर भी काटना मुमकिन नहीं लेकिन पूरे विवाद की वजह अगर शराब दुकान को ही शहर से हटा दिया जाए तो समस्या का समाधान संभव है।