सोहागपुर धान घोटाला में अभियुक्त देवेन्द्र पाण्डेय के खिलाफ जांच कर अंतिम प्रतिवेदन कोर्ट में पेश करने का आदेश, अब पुलिस कार्रवाई की है-प्रतीक्षा

कोरबा – 21 अक्टूबर। जिले के सोहागपुर धान खरीदी केंद्र में आठ साल पहले हुए बहुचर्चित एक करोड़ दस लाख रुपयों के धान घोटाला के सभी पांच आरोपी सन्देह का लाभ पाकर दोष मुक्त हो गए हैं। जबकि मामले में आरोपी बनने से बच निकले बिलासपुर केंद्रीय सहकारी बैंक के तत्कालीन अध्यक्ष देवेन्द्र पांडेय के खिलाफ विवेचना कर अंतिम प्रतिवेदन न्यायालय में प्रस्तुत करने का आदेश पारित हुआ है।

विलम्ब से मिली जानकारी के अनुसार मामला सन 2012 का है। कोरबा जिले के सोहागपुर धान खरीदी केंद्र में एक करोड़ दस लाख रुपयों का घोटाला सामने आया था। कोरबा कलेक्टर आर पी एस त्यागी के निर्देश पर जांच की गई तो पता चला कि खरीदी केन्द्र में धान आया ही नहीं था और अनेक किसानों के नाम पर खरीदी बताकर भुगतान भी कर दिया गया था। उस दौरान यह दावा भी सामने आया था कि फर्जी धान खरीदी बताकर गबन की गई एक करोड़ दस लाख रुपयों में से अस्सी लाख रुपया को-आरेटिव्ह बैंक बिलासपुर के अध्यक्ष देवेंद्र पांडेय को दिया गया है। कई किसानों ने भी अपने बयान में इस कथ्य की पुष्टि की थी। कलेक्टर के निर्देश पर सिटी कोतवाली में अपराध दर्ज किया गया था।

पुलिस ने प्रकरण में धान खरीदी प्रक्रिया से जुड़े बजूरसिंह राज, बुटकूराम सिदार, खगेश प्रताप सिंह, गणेशराम कंवर और दादूलाल टण्डन के खिलाफ भारतीय दण्ड संहिता की धारा 409/34, 420/34, 467/34,468/34, 471/34 तथा 120 बी के तहत न्यायालय में चालान पेश किया। खास बात यह थी कि विवेचना के दौरान गबन की गई एक करोड़ दस लाख की राशि बरामद नहीं की जा सकी थी। को-आरेटिव्ह बैंक बिलासपुर के अध्यक्ष देवेंद्र पांडेय का नाम भी आरोपियों में शामिल नहीं किया गया था। मामले में लम्बी सुनवाई के बाद प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट कोरबा सीमा प्रताप चन्द्रा ने सभी पांच आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में सन्देह का लाभ देते हुए दोष मुक्त कर दिया। लेकिन गत 3 जनवरी 2020 को सुनाए गए निर्णय में को-आपरेटिव्ह बैंक बिलासपुर के तत्कालीन अध्यक्ष देवेंद्र पांडेय को अभियुक्त करार देते हुए न्यायाधीश ने उरगा थाना प्रभारी को आदेशित किया है कि अभियुक्त देवेन्द्र पांडेय के सम्बन्ध में अतिरिक्त विवेचना कर अंतिम प्रतिवेदन न्यायालय में प्रस्तुत करें।

उल्लेखनीय है कि को-आपरेटिव्ह बैंक बिलासपुर के अध्यक्ष देवेंद्र पांडेय के कार्यकाल में को-आपरेटिव्ह बैंक बिलासपुर के कार्य क्षेत्र में करोड़ों रुपयों का धान घोटाला कोरबा, जांजगीर चाम्पा, बिलासपुर, मुंगेली और कवर्धा जिले में हुआ था। इन घोटालों में बार बार शक की सुई देवेन्द्र पाण्डेय की ओर घूम कर जाती थी, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। देवेन्द्र पांडेय पर बैंक में भर्ती, तबादला, पोस्टिंग, प्रमोशन में करोड़ों के लेनदेन का आरोप भी लगा था। सुतली, नमी मापक यन्त्र आदि खरीदी में भी लाखों के घपले सहित खाता धारकों के खाता से राशि गबन पर पर्दा डालने और कई तरह के फर्जीबाड़ा के आरोप सामने आए थे। अनेक घोटालों की जांच में पुष्टि होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। अगर देवेन्द्र पाण्डेय के कार्यकाल की पूरी रिपोर्ट का अध्ययन किया जाए तो बिहार चारा घोटाला जैसा घपला मिलेगा, ऐसा सूत्रों का कहना है। बहरहाल उरगा पुलिस की जांच और न्यायालय में प्रतिवेदन प्रस्तुत होने की प्रतीक्षा है।