कोरबा। जिले के पाली ब्लॉक मुख्यालय से 25 व चैतमा से करीब 11 किलोमीटर दूर स्थित नरसिंह-गंगा जलप्रपात है। पथरीली पहाड़ियों व चट्टान से निकलते पानी की धार में जलक्रीड़ा तथा वनभोज के लिए अक्सर लोगों की भीड़ यहां जुट जाती है। खासकर कार्तिक के महीने में पर्यटक बड़ी संख्या में यहां पिकनिक के लिए परिवार व दोस्तों के साथ हर साल पहुंचते हैं। जिले व राज्य के अन्य जिलों के अलावा मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा से भी लोग यहां पर्यटन के लिए पहुंचते हैं। मान्यता है कि श्रद्धालु नहाने से पहले नरसिंह भगवान की स्तुति करते हैं। थोड़ा चावल व रुपये धारा में अर्पण करने के बाद नहाते हैं। इस तरह उनके पाप इस झरने में नहाने मात्र से धुल जाता है।
नरसिंह गंगा झरना के पहाड़ के आसपास कोई नदी नहीं है, इसलिए इस झरने में पानी कहां से आता है, यह आज भी एक रहस्य बना हुआ है। पहाड़ के सबसे ऊपर लगभग 100 एकड़ समतल मैदान है। हालांकि, वहां तक पहुंच पाना अति दुश्कर कार्य है। इसलिए अब तक बहुत कम लोग ही उस जगह तक पहुंच सके हैं।
यहाँ महाशिवरात्रि में भगवान नरसिंह की विशेष पूजा की जाती है। आसपास के भक्त बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैं और झरने के पानी से नरसिंह भगवान का जलाभिषेक करते हैं। कार्तिक पूर्णिमा, माघी पूर्णिमा और दोनों ही नवरात्र में यहां मेला लगता है। इसके आसपास प्राचीन गुफाएं हैं। पहाड़ के ऊपर पलमाई देवी और नरसिंह भगवान का मंदिर है। सावन में यहां बड़ी तादाद में भक्त कांवड़ ले कर पहुंचते हैं।
नरसिंह-गंगा के 65 वर्षीय पुजारी कुमार साय ने बताया कि नरसिंह गंगा झरना का पानी काफी पवित्र माना जाता है। इसके जल से स्नान और मन में विश्वास रख भगवान नरसिंह से मांगी गई मन्नत पूरी होती है। जनहितैषी कार्य सफल होते हैं। वहीं, स्वार्थ सिद्ध के लिए आने वाले लोगों के ऊपर झरना का जल ही नहीं पड़ता है। श्रद्धालु नहाने से पहले नरसिंह भगवान की स्तुति करते हैं। थोड़ा चावल व रुपये धारा में अर्पण करने के बाद नहाते हैं। इस तरह उनके पाप इस झरने में धुल जाता है। इस जगह को मंदिर के पुजारी के दादा इतवार सिंह ने सबसे पहले देखा था। जिसके बाद उन्होंने इसकी सूचना लाफा और छुरी के जमींदार को दी थी। उस दौर के बाद से जमीदारों ने ही यहां पूजा-पाठ शुरू करवाया था। हरे-भरे जंगल व पहाड़ियों के बीच स्थित मनोरम पर्यटन स्थल नरसिंह गंगा अभी भी पर्यटन के लिहाज से विकसित नहीं हो पाया है। पलामू पहाड़ की एक विशाल चट्टान की गुफा में भगवान नरसिंह का वास है। यह स्थल धार्मिक व पथरीली पहाड़ी के बीच गिरता झरना दार्शनिक रूप से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। बावजूद इसके, यहां तक पहुंचने के उपलब्ध मार्ग की दुर्गमता इसकी लोकप्रियता कम करने की वजह बन रहा है। अभी तक जिला प्रशासन ने इस पर्यटन स्थल को विकसित करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है।
कोरबा जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर नरसिंह गंगा झरना तक दोपहिया या चारपहिया वाहन से पहुंचा जा सकता है। कोरबा से चैतमा तक बस की भी सुविधा है। चैतमा बस स्टैंड से थोड़ा आगे दाहिने तरफ झरना पहुंचने का रास्ता है। यहां से 12 किलोमीटर दूर जाने के लिए दोपहिया या फिर चारपहिया वाहन की व्यवस्था करनी होगी।