कल छत्तीसगढ़ में भी कई जगहों पर धरना-प्रदर्शन, चक्काजाम और पुतला दहन करेंगे किसान

रायपुर, । अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और 5 सौ से ज्यादा किसान संगठनों से मिलकर बने संयुक्त किसान मोर्चे के देशव्यापी आव्हान पर कल छत्तीसगढ़ के हजारों किसान भी सडक़ों पर उतरेंगे।  इस दौरान वे सभी किसान विरोधी काले कानूनों को वापिस लेने की मांग करते हुए कई जगहों पर धरना-प्रदर्शन, चक्काजाम और पुतला दहन करेंगे। 

प्रदेश में यह आंदोलन छत्तीसगढ़ किसान सभा, आदिवासी एकता महासभा सहित छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के घटक संगठनों के बैनर पर किए जाएंगे। माकपा सहित सभी वामपंथी पार्टियों, विभिन्न ट्रेड यूनियनों और संगठनों ने इस आंदोलन के समर्थन में एकजुटता की घोषणा की है। छत्तीसगढ़ किसान सभा  अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने यह जानकारी देते हुए अपने बयान में किसानों आंदोलन को बदनाम व विभाजित करने के लिए मोदी सरकार की कोशिशों की कड़ी निंदा की है।

किसान नेताओं ने कहा है कि इन काले कानूनों की वापिसी की मांग को लेकर देश का पूरा किसान समुदाय और उनके प्रतिनिधि संगठन एकजुट हैं और वे एक लंबे संघर्ष के लिए तैयार हैं। अब यह सरकार पर निर्भर करता है कि वह इन काले कानूनों को वापिस लेने के लिए तैयार है या नहीं। सरकार के साथ बातचीत में सभी किसान संगठनों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उनकी राय में भारतीय व विदेशी कारपोरेट को भारतीय खेती में बढ़ावा देने से, उन्हें निजी मंडिया स्थापित करने की अनुमति देने और किसानों को ठेके की खेती में शामिल करने से सरकारी मंडियों की वर्तमान सुरक्षाएं भी समाप्त हो जाएंगी।

उन्होंने कहा है कि नए कानून से कृषि लागत के दाम बढ़ेंगे, किसान कर्जदार होंगे और जमीन से बेदखल होंगे। ये कानून किसानों के वर्तमान अधिकारों पर भी हमला करते हैं, जिसमें वर्तमान एमएसपी भी शामिल है। सरकार के प्रस्ताव में ऐसा कोई सूत्र नहीं है, जो किसानों को और कर्ज में लदने से बचा सके। उनका मानना है कि इन कानूनों का एकमात्र मकसद देशी-विदेशी कॉरपोरेटों और कृषि व्यवसायियों को खेती-किसानी के क्षेत्र में घुसाना है, जो देश की पूरी अर्थव्यवस्था की तबाही का कारण बनेगा। इसलिए इन तीनों कानूनों और बिजली बिल को वापस लिया जाना ही एकमात्र समाधान है।