सरकार के दो साल के सफल कार्यकाल में रेशम ने बिखेरी चमक

कोसा उत्पादन का दायरा 26 फीसदी बढ़ा ,वन क्षेत्र का भी हुआ विस्तार

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा । राज्य में कांग्रेस की सरकार का 17 दिसंबर को दो वर्ष का सफल कार्यकाल पूरा होने जा रहा है । इन दो वर्षों में सरकार की सफलता में रेशम विभाग ने भी अपनी चमक बिखेरी है । रेशम विभाग ने जिले में रिकार्ड 26 फीसदी तक कोसा उत्पादन में वृद्धि कर पूरे प्रदेश में जिले की शान बढाई है ।

रेशम विभाग ग्रामीणों को रोजगार से जोड़ने की दिशा में सतत प्रयासरत है । रेशम विकास कार्यक्रम को व्यापक पैमाने पर जिले में संचालित कर रहा है । ताकि ग्रामीण अंचलों में निवासरत कृषक परिवारों को उन्हीं के क्षेत्रों में स्वरोजगार का सफलतम साधन उपलब्ध हो सके । उनके सामाजिक एवं आर्थिक जीवन स्तर में सुधार किया जा सके । जिले के सभी विकासखंडों में 50 तसर केंद्र संचालित है। विभाग वृक्षारोपण कार्यक्रम में तसर खाद्य वृक्षों का रोपण सतत रूप से कर रहा है । इससे वन क्षेत्र ,हरित क्षेत्र में वृद्धि के साथ पर्यावरण भी सुरक्षित है । रेशम पालन के द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में निवास कर रहे आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए आय का साधन भी सृजित हो रहा है । वर्तमान में इन तसर केंद्रों में 1248 हेक्टेयर क्षेत्र में ब्लाक प्लांटेशन के तहत साजा एवं अर्जुना के पौधे लहलहा रहे हैं । बात करें वर्ष 2018 के पूर्व की तो उस समय 1097 हेक्टेयर में पौधरोपण किया गया था । इस तरह दो सालों में पौधरोपण क्षेत्र का दायरा 151 हेक्टेयर बढ़ गया। वर्तमान में 355 हेक्टेयर प्राकृतिक वनखण्डों में भी तसर कीटपालन का कार्य स्थानीय जनजाति परिवारों द्वारा किया जा रहा है । तसर रेशम बीज उत्पादन के लिए जिले में कटघोरा एवं पकरिया में रेशम बीज उत्पादन केंद्र संचालित है । प्रमुख सचिव ग्रामोद्योग डॉक्टर मनिंदर कौर द्विवेदी के मार्गदर्शन में उपसंचालक रेशम बी पी विश्वास के कुशल नेतृत्व में जिले ने इन दो वर्षों में कोसा के क्षेत्र में अलग ही पहचान बना ली है ।

प्रदेश में पहले पायदान पर

कोरबा जिला को प्रदेश में सर्वाधिक तसर उत्पादन का गौरव प्राप्त है । वित्तीय वर्ष 2018-19 में जहाँ जिले में 1 करोड़ 83 लाख नग तसर उत्पादन हुआ था,वहीं पिछले दो सालों में यह आंकड़ा बढ़कर 2 करोड़ 58 लाख नग तक जा पहुंचा है । इस तरह देखें तो कोसा उत्पादन में 26 फीसदी से अधिक बढोत्तरी हुई है ।

महिला समूहों की संख्या हो गई दोगुनी

तसर धागाकरण क्षेत्र में भी विभाग द्वारा पहल किया जा रहा है जिले का तसर ककून को इसी जिले में मूल्य संवर्धन हेतु 310 रीलिंग मशीन को 31 महिला समूहों में प्रदाय कर रेशम धागा उत्पादन के माध्यम से स्वरोजगार प्रदान किया जा रहा है । 2018 में जहाँ 13 महिला धागाकरण समूह कार्यरत थे जो इस तरह दो साल में 17 समूह बढ़ गए । चीन एवं कोरिया से आयातीत धागे के समकक्ष वस्त्र बुनाई में ताना ( वार्प ) धागा तैयार करने की इकाई प्रदेश में पहली बार इस साल कोरबा में स्थापित किया गया है ।

कीटपालन के साथ बने आत्मनिर्भर 32 हजार तक कमा रहे

जिले में रेशम विभाग की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से 3523 हितग्राही परिवार लाभान्वित हो रहे हैं । सभी समूह अपनी आमदनी को बढाने के लिए तसर कीटपालन के साथ साथ अंतरफसल के रूप में उद्यानिकी फसल जैसे अदरक ,आलू ,प्याज ,सब्जियां तथा गेंदे का फूल एवं फलदार पौधों का रोपण कर 25 से 32 हजार तक की अतिरिक्त आमदनी अर्जित कर रहे हैं ।