छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में 18 की दुल्हन 19 का दूल्हा ,बारात निकलने से पहले ही सँयुक्त टीम ने रुकवाई बाल विवाह ,जागरूकता का अभाव बनी वजह …..

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा । महिला एवं बाल विकास विभाग ,बाल कल्याण समिति एवं पुलिस की संयुक्त पहल से आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिले में एक विवाह के लिए विधिक रूप से नाबालिग युवक बाल विवाह से बच गया। बारात निकलने ही वाली थी कि सँयुक्त टीम ने मौके पर पहुंचकर परिजनों को बाल विवाह के दंडात्मक कानूनों से अवगत कराते हुए समझाईश देकर बाल विवाह रुकवाने में सफल रही।

करतला परियोजना के अंतिम वनांचल ग्राम
डोंगाआमा में रविवार को एक (विधिक रूप से विवाह के लिए नाबालिग )19 वर्षीय युवक की रायगढ़ के 18 वर्षीय युवती के साथ शादी तय थी। बारात निकलने ही वाली थी कि बाल विवाह की सूचना पर जिला कार्यक्रम अधिकारी प्रीति खोखर चखियार के निर्देश पर परियोजना अधिकारी करतला रागिनी बैस ने बाल कल्याण समिति एवं पुलिस की संयुक्त टीम के साथ मौके पर पहुंच गई। अधिकारियों पुलिस को देखकर परिजन सकते में आ गए ।अधिकारियों ने परिजनों को युवक के लिए विवाह की निर्धारित आयु 21 वर्ष होने के उपरांत ही विवाह करने की सझाइश दी। साथ ही इस विधिक निर्धारित आयु से पूर्व विवाह करने पर बाल विवाह के लिए निर्धारित सजा के प्रावधानों से अवगत कराया । तब जाकर लंबी बहस के बाद परिजन माने। टीम ने शपथ पत्र भरवाकर नियम तोड़ने पर वैद्यानिक कार्यवाई की चेतावनी दी है ।
बिना बारात निकले दुल्हन लाए ही बैंड बाजा बेरंग वापस लौट गया । इस तरह प्रशासन बाल विवाह रोकने में सफल रहा।

बाल विवाह पर 2 साल की जेल का है प्रावधान

देश में बाल विवाह रोकने कड़े कानून बनाए गए हैं । पूरे देश में बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 लागू है। इसके तहत लड़के की 21 साल और लड़की की 18 साल से पहले की शादी को बाल विवाह माना जाता है। तय उम्र से कम आयु में शादी करने व करवाने वालों पर 2 साल की जेल या एक लाख रुपए तक जुर्माना का प्रावधान है। परिस्थितियों के आधार पर दोनों सजा का भी प्रावधान है। यह सजा सभी धर्मों को मानने वालों के लिए सम्पूर्ण देश में लागू है। यहाँ तक कि बाल विवाह कराने वाले पंडित ,पादरी व अन्य लोगों पर भी इतनी ही कठोर दंड का प्रावधान है । शासन -जिला प्रशासन के निर्देश पर महिला एवं बाल विकास विभाग हमेशा उक्त अधिनियम के सम्बन्ध में लोगों में जन जागरूकता फैलाने की दिशा में कार्य करती रहती है।

महिला एवं बाल विकास विभाग सहित पुलिस नहीं कर रही जागरूक

जिले में युवकों के बाल विवाह का मामला बिरले ही सामने आता है। इस तरह का मामला सामने आने से स्पष्ट है कि लोगों में अभी भी विवाह के लिए निर्धारित आयु को लेकर जागरूकता का अभाव है। महिला एवं बाल विकास विभाग पुलिस को सँयुक्त रूप से इस दिशा में संजीदगी से जागरूकता अभियान /कार्यक्रम चलाने की जरूरत है । कोरबा आदिवासी बाहुल्य एवं आँकाक्षी जिला है ,साक्षरता दर भी बेहद कम है। ऐसे में इस तरह के कार्यक्रमों का महत्व और बढ़ जाता है।