एसईसीएल मानिकपुर की पोखरी क्षेत्र में जल्द बनेगा ईको पार्क ,चौपाटी विकसित करने प्रबंधन ने कलेक्टर को सौंपा 5.60 करोड़ का चेक

कोरबा | साउथ इस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) की बंद पड़ी मानिकपुर ओपन कास्ट कोल माइंस अब पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होगी। एसईसीएल ने पोखरी को ईको पार्क में बदलने के लिए प्रथम चरण में 5.60 करोड़ रुपये की राशि जारी कर दी है। राशि का चेक एसईसीएल कोरबा क्षेत्र के महाप्रबंधक अजय तिवारी ने कलेक्टर संजीव कुमार झा को सौंपा है।

पोखरी को सुंदर और आकर्षक पर्यटन स्थल के रूप में बदलने के लिए प्रबंधन ने कुल 11 करोड़ 11 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की है।पूर्ववर्ती पोखरी में पर्यटन का विकास होने से स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का अवसर बढ़ेगा। चौपाटी विकास के लिए अलग से स्थल चिन्हांकित किया गया है। शहरी क्षेत्र में पर्यटन विकास की दृष्टि से मानिकपुर पोखरी को बेहतर विकल्प भी माना जा रहा हैभूजल स्रोत मिलने के कारण 30 साल पहले बंद हो चुके 23 एकड़ भू-भाग में फैले इस खदान को पोखरी के नाम से जाना जाता है। क्षेत्रफल के हिसाब से यह एक किलोमीटर लंबी और तकरीबन तीन सौ मीटर चौड़ी है। वर्षों से बंद पड़ा खदान क्षेत्र केवल जल भराव तक ही सीमित है। वर्तमान में पोखरी का उपयोग स्थानीय लोगों के निस्तारीकरण के अलावा प्रतिमा विसर्जन के लिए किया जाता है। पूर्व कलेक्टर रानू साहू ने इसके सौंदर्यीकरण और पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की कार्य योजना तैयार की थी। यह पायलट क्वारी जिले की पहली ओपनकास्ट खदान रही है।खदान शुरू होने के 24 साल बाद 100 मीटर नीचे हुई खुदाई से भू-जल स्रोत से इतना अधिक पानी निकला कि बड़े मोटर पंप भी उसे खाली नहीं करा सके। कई मशीनें पानी में ही डूब गईं। 1990-91 में खदान को बंद कर दिया गया।

यहां होंगी ये सुविधाएं

बनाई गई कार्ययोजना में पोखरी की अथाह जलराशि और उसके आसपास स्पोर्ट्स जोन, बोटिंग एक्टिविटी, पब्लिक जोन, फूड जोन, कैफेटेरिया, रेस्टोरेंट, व्यूइंग पाईंट, सेल्फी पाइंट, पार्किंग जोन, हर्बल जोन, कैंपिंग, साईकिल ट्रेक, आर्चरी, वाकिंग ट्रेक, नेचुरल ट्रेक, फाउंटेन, गार्डन, गजेबो, ओपनजिम, ट्री- हाउस, लाइटिंग आदि के साथ विभिन्न प्रकार के सौंदर्यीकरण संबंधी कार्य शामिल किए गए हैं।

स्थानीय लोगों को मिलेगा रोजगार

पोखरी में पर्यटन का समुचित विकास होने से स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का भरपूर अवसर उपलब्ध होगा। मिली जानकारी के अनुसार इस क्षेत्र में चौपाटी विकास के लिए अलग से स्थल चिन्हांकित किया गया है। महत्वपूर्ण बात यह है कि पर्यटन स्थल विकसित किए जाने के बाद भी यहां प्रतिमा/मूर्ति विर्सजन जारी रहेगा। इसके लिए पोखरी के दायें छोर पर अलग से विसर्जन घाट बनाया जाएगा।