आंध्रप्रदेश । आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा में शनिवार को हुई आदित्य एल-1 की लॉन्चिंग में झारखंड के रामगढ़ जिले के भुरकुंडा निवासी आदित्य राज सिन्हा की भी भागीदारी रही। आदित्य इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गनाइजेशन (इसरो) में एसडी वैज्ञानिक हैं। आदित्य चंद्रयान-3 मिशन से जुड़े वैज्ञानिकों की टीम का भी हिस्सा रहे हैं। आदित्य एल-1 मिशन में आदित्य एसडी गुणवत्ता वैज्ञानिक के रूप में सेंसर व ट्रांसड्यूसर विभाग में कार्यरत हैं।
आदित्य ने सेंसर और ट्रांसड्यूसर के अंतिम उपयोग के लिए क्लियरलेंस व सर्टिफिकेशन का कार्य किया है, उनका दायित्व रॉकेट व सेटेलाइट में लगे सेंसर इंजन व यांत्रिक मशीनों के दबाव, तापमान तथा ईंधन के स्तर की जानकारी देना है।उन्होंने कहा कि वे और उनकी टीम के सदस्य 20 सितंबर तक इसकी निगरानी करते रहेंगे। फोन पर बातचीत में आदित्य ने बताया कि आदित्य एल 1- सोलर मिशन सेटेलाइट एक सूर्य से जुड़ा प्रोजेक्ट है।इसकी लॉन्चिंग पीएसएलवी-सी 57 रॉकेट के माध्यम से की गई है। इसमें सात पेलोड भेजे गए हैं, जो सूर्य के सबसे नजदीकी लैंगरेज प्वाइंट-1 के हैलो आर्बिट में भेजे गए हैं। आदित्य एल-1 सेटेलाइट लगभग चार महीने में वहां पहुंचेगी।लैंगरेज प्वाइंट की दूरी पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर है, जो चंद्रमा की दूरी से लगभग चार गुणा अधिक है। भुरकुंडा निवासी सुबोध सिन्हा व उषा सिन्हा के पुत्र आदित्य राज सिन्हा के मिशन से जुड़ाव को लेकर झारखंडवासी उत्साहित हैं। आदित्य ने कैथोलिक आश्रम स्कूल भुरकुंडा से 10वीं तथा गोस्सनर कॉलेज रांची से आईएससी की पढ़ाई करने के बाद नागपुर से इंजीनियरिंग की डिग्री ली। वर्ष 2018 में वह इसरो में एसडी वैज्ञानिक के पद पर चयनित हुए।उदयपुर सौर वेधशाला अहमदाबाद भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला के ही अधीन संचालित हैं। इस वेधशाला का नाम भी आदित्य एल-1 सौर मिशन के साथ स्वर्ण अक्षरों में दर्ज होने जा रहा है। आदित्य एल-1 में लगे सात पेलोड में से एक पेलोड के बनाने में उदयपुर की सौर वेधशाला के साइंटिस्ट डॉ. अनिल भारद्वाज का अहम योगदान है।उन्होंने बताया कि जिस पेलोड को उनकी टीम ने तैयार किया, उसका नाम आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट है। अभी तक उदयपुर सौर वेधशाला में एक दिन में महज 10 घंटे ही रिसर्च वर्क चलता है, लेकिन आदित्य एल-1 के प्रक्षेपण के बाद यहां सूर्य की हर गतिविधि का 24 घंटे अध्ययन किया जा सकेगा।