कोरबा। सड़क मार्ग से कोयला परिवहन में कमी लाने की कवायद में एसईसीएल जुटा हुआ है। इसके लिए फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी को बढ़ावा दिया जा रहा है। वर्तमान में खदान 45 प्रतिशत कोयला रोडसेल के माध्यम से बाहर भेजा जा रहा है। वर्ष 2021-22 में एसईसीएल द्वारा 569.5 लाख टन कोयले को रोड सेल से भेजा था। जबकि 636.8 लाख टन कोयला रैक से भेजा गया। कन्वयेर बेल्ट से सबसे कम कोयले का परिवहन किया जा रहा है। वर्ष 2020-21 की तुलना में रोड सेल में करीब 41 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।
रैक से कोयला भेजने के मामले में दो प्रतिशत की गिरावट आई है। जिसे देखते हुए कोयला परिवहन बढ़ाने के लिए एसईसीएल द्वारा फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी (एफएमसी) पर जोर दिया जा रहा है, ताकि खदान से कोयला सीधे साइलो से होते हुए मालगाड़ी के रैक पर लदान हो सके। एक साल के भीतर काम पूर्ण होते ही लदान जहां बढ़ेगा, वहीं सड़क से भारी वाहनों की संख्या कम होने पर प्रदूषण से भी क्षेत्रवासियों को राहत की सांस मिलेगी।एसईसीएल कोल ट्रांसपोर्ट को पूरी तरह से मैकेनाइज्इड ट्रांसपोर्ट करने की तैयारी है। इससे ट्रांसपोर्टिंग में समय व प्रदूषण भी कम होगा। वहीं डीजल खर्च में कमी आने के साथ कोयले की अफरातफरी, कोयले की क्वालिटी को लेकर मिल रही शिकायतों से भी निजात मिल जाएगा। इसके लिए एसईसीएल द्वारा एफएमसी के तहत लोडिंग को कम्प्यूटराइज्इड करने की कोशिश की जा रही है। कोल हैंडलिंग प्लांट (सीएचपी) और साइलो का निर्माण किया जा रहा है। इसके तहत सबसे अधिक कुसमुंडा में तीन, मानिकपुर में एक, गेवरा में दो, दीपका, छाल व बारूद में एक-एक सीएचपी व साइलो का निर्माण किया जा रहा है। एसईसीएल इसके लिए 2506 करोड़ रूपए खर्च कर रही है। काम पिछड़ गया है, पर बताया जा रहा है कि एक साल के भीतर इस काम को पूर्ण कर लिया जाएगा। इसके साथ ही कोयला लदान शुरू हो जाएगा। इस योजना के तहत खदान से कोयला सीधे कन्वेयर बेल्ट के माध्यम से साइलो तक पहुंचेगा और यहां से मालगाड़ी के रैक में सीधे लोड होगा। इससे समय बचते होने के साथ- साथ जल्द ही रैक में कोयला लोड हो जाएगा। इसके साथ ही सड़क में भारी वाहनों की कमी होने से दुर्घटना व प्रदूषण स्तर पर घट जाएगा।
10 सीएचपी से 528.9 लाख टन कोयले का परिवहन
एसईसीएल के पास वर्तमान में छह मेजर और चार माइनर सीएचपी से कोल परिवहन किया जा रहा है। कुसमुंडा खदान में सीएचपी में साइलो के माध्यम से वैगेन में कोल लोडिंग किया जा रहा है। गेवरा खदान में एक हजार टन एचपी क्षमता का सेमी मोबाइल क्रसर से कोयले को सही आकार से काटकर ट्रांसपोर्ट किया जा रहा है। बीते एक साल में इन 10 सीएचपी से 528.9 लाख टन कोयले का ट्रांसपोर्ट किया गया।