कोरबा। एसईसीएल में भू-अर्जन के कारण विस्थापित होने वाले प्रभावित परिवार के बेरोजगार युवकों को वैकल्पिक रोजगार की मांग ऊर्जाधानी भू-विस्थापित कल्याण समिति ने की है। गेवरा क्षेत्र के महाप्रबंधक को पत्र लिख कर समिति ने कहा है कि एसईसीएल प्रबंधन तथा सभी आउटसोर्सिंग कंपनियों की बैठकों में सहमति बनाई गई थी खदान को विस्थापित एवं प्रत्यक्ष प्रभावित बेरोजगारों को योग्यतानुसार रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा, किंतु कंपनी में बाहर से लाए गए लोगों को नियोजित करके रखा गया है और वर्तमान में भी बाहरी लोगों की भर्ती किया जा रहा है।
इससे यहां के वास्तविक बेरोजगारों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है। समिति ने कहा कि स्थानीय भू- विस्थापित एवं प्रभावित बेरोजगारों को चालक, हेल्पर, सुपरवाइजर आदि पदों में भर्ती करना सुनिश्चित किया जाए अन्यथा संगठन द्वारा 25 सितंबर वाहनों को रोकने और खदान के कार्यों को बाधित करने के लिए विवश होगी।समिति ने कोयला खदान के प्रभावित भू- विस्थापितों को दिए जाने वाले ठेका कार्य के लिमिट को एक करोड़ से 20 करोड़ तक बढाने की मांग किया है। कोल इंडिया पालिसी 2012 लागू होने के बाद छोटे खातेदारों को रोजगार से वंचित कर दिया। संगठन ने आउट सोर्सिंग कंपनियों में भू- विस्थापित बेरोजगारों को प्राथमिकता के साथ ही कोल ट्रांसपोर्टेशन ,सिविल, मेकेनिकल सहित संपूर्ण ठेका कार्यों में 20 प्रतिशत कोटा की मांग को लेकर संघर्ष किया। वर्तमान में एक वित्तीय वर्ष में एक फर्म को 20 लाख तक का कार्य दिया जाता है एवं पूरे कोटा में एक करोड़ तक लिमिट तय किया गया है। गेवरा, दीपका ,कुसमुंडा परियोजना में रोजगार से वंचित होने वाले खातेदारों की संख्या बहुत ज्यादा अधिक है। इसलिए ठेका का कोटा बढ़ाया जाएगा।