बालको चिमनी हादसा 2 दिसंबर को हाईकोर्ट में पहली सुनवाई,फास्ट्रैक कोर्ट में होगी सुनवाई ,पीड़ितों में जगी न्याय की आश

कोरबा। 23 सितंबर 2009 को बालको के निर्माणाधीन 1200 मेगावाट पावर प्लांट की निर्माणाधीन चिमनी ताश के पत्तों की तरह ढह गई थी। दुःखद हादसे में 40 मजदूरों की मौत हो गई वहीं दर्जनों घायल हुए। इस दुर्घटना मामले में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के 15 सितंबर के आदेश के बाद एक नया मोड़ आ गया है और पीड़ितों को न्याय मिलने की आशा बलवती हो गई है।

बालको में 14 साल पहले हुए चिमनी दुर्घटना में कोरबा एडीजे कोर्ट द्वारा सेपको कंपनी के तीन चीनी अधिकारियों द्वारा आरोप तय करने के विरुद्ध हाईकोर्ट में प्रस्तुत क्रिमिनल रिवीजन को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने 15 सितंबर को निरस्त कर दिया था।सेपको के जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध जिला न्यायालय में प्रकरण चलाने का आदेश छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने दिया था। धारा 304 और 201 के तहत न्यायालय ने आरोप निर्धारित किए हैं, जिसमें आरोपियों पर जानबूझकर जान जोखिम वाले काम करने और साक्ष्य छिपाने के आरोप तय किए गए हैं।
सूत्रों के अनुसार इस प्रकरण में 02 दिसंबर को प्रथम साक्ष्य कथन PWD के तत्कालीन इंजीनियर एस.आर. चंद्रा का होगा। फास्ट ट्रैक कोर्ट में इस प्रकरण की सुनवाई होगी, जिसमें शासन की ओर से रामकुमार मौर्य पक्ष रखेंगे।

जांच में उदासीनता..सुरक्षा, बचाव, निर्माण की गुणवत्ता पर प्रश्नचिन्ह

बालको में निर्माणाधीन 1200 मेगावाट विद्युत संयंत्र के एक चिमनी के गिरने से 40 मजदूरों की मौत के प्रकरण में जांच आयोग ने माना था कि जांच में उदासीनता और लापरवाही बरती गई है। इसकी जांच के लिए एकल सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन किया गया।
जस्टिस संदीप बख्शी की अगुवाई में गठित आयोग ने शासन को रिपोर्ट देते हुए उल्लेख किया था कि निर्माणाधीन परियोजना में चिमनी निर्माण के पूर्व उसकी संरचना, गुणवत्ता व सुरक्षा से संबंधी कानूनों की अनदेखी की गई है। निर्माण के दौरान मजदूर व अन्य व्यक्तियों की सुरक्षा एवं बचाव के लिए बनाए गए नियम, कानून की प्रक्रिया की अंतर्गत आवश्यक सुरक्षा व बचाव की पूरी व्यवस्था नहीं की गई थी।

स्थानीय प्रशासन की चूक पर प्रश्न

आयोग ने अपनी रिपोर्ट में माना था इस कि इस चूक के लिए बालको, सेपको, जीडीसीएल उत्तरदायी है। इसके अलावा नगर पालिक निगम, नगर एवं ग्राम निवेश विभाग व श्रम विभाग के तत्कालीन संबंधित अधिकारियों की लापरवाही व उदासीनता को लेकर भी उल्लेख किया गया था।