नारायणपुर कलेक्टर मांझी का जॉइनिंग अटका ,पंचा यह पेंच, ,दुविधा में सरकार

रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय में ज्वाइंट सीईओ के पद पर कार्यरत विपीन मांझी को नारायणपुर का कलेक्टर बनाया था और नारायणपुर के कलेक्टर आईएएस अजीत बसंत को कोरबा का। अजीत बसंत अगली सुबह रिलीव होकर कोरबा ज्वाईन कर लिए।मगर कलेक्टर के तौर पर मांझी अभी भी पदभार ग्रहण नहीं कर पाए हैं।

जानकारी के अनुसार विपीन मांझी प्रमोटी आईएएस हैं। आईएएस अवार्ड होने के बाद भी वे न तो किसी जिले का कलेक्टर बनें और न ही उन्हें कोई अच्छी पोस्टिंग मिली। उल्टे मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय में पिछले चार साल से टाईम गुजार रहे हैं। मांझी का अगले साल मई में रिटायरमेंट हैं। सो, नई सरकार ने सोचा कि मांझी का उद्धार कर दिया जाए। मगर सामान्य प्रशासन विभाग को यह अंदाजा नहीं था कि चुनाव आयोग में परमिशन का मामला अटक जाएगा। चूकि मांझी का नाम आखिरी दिनों में पोस्टिंग लिस्ट में जुड़ा। इसलिए पहले से चुनाव आयोग को लेटर नहीं भेजा गया। नियमानुसार निर्वाचन से किसी को हटाना होता है तो उसके लिए चुनाव आयोग का परमिशन चाहिए। क्योंकि आयोग के स्टाफ पर राज्य सरकार को कोई नियंत्रण नहीं होता। वो भी जब सामने लोकसभा चुनाव है, चुनाव आयोग और अलर्ट मोड में होता है। अधिकारिक सूत्रों के अनुसार मांझी को कलेक्टर बनाने से पहले कायदे से आयोग से इजाजत ले लेनी थी। मगर वो हुआ नहीं। जीएडी ने अब मांझी को आयोग से ट्रांसफर करने का परमिशन मांगने के साथ ही उनकी जगह पर नया ज्वाइंट सीईओ अपाइंट करने के लिए तीन सदस्यीय पेनल चुनाव आयोग को भेजा है। इनमें तीनों नाम राज्य प्रशासनिक सेवा से प्रमोट होकर आईएएस बने अधिकारी हैं। एक महिला आईएएस का भी लिस्ट में नाम है। सिस्टम में बैठे लोग चिंतित इसलिए हैं कि लेटर गए हफ्ता भर से अधिक हो गया है। आयोग से कोई रिप्लाई नहीं आया है। जब तक परमिशन नहीं आएगा, विपीन मांझी जिले में ज्वाईन नहीं कर सकते। चुनाव आयोग अब पेनल के तीन नामों से किसी एक पर टिक लगाकर उन्हें ज्वाइंट सीईओ अपाइंट करेगा, उसके बाद फिर मांझी कार्यमुक्त होंगे।