बिलासपुर। अविभाजित जांजगीर-चांपा जिले के सक्ती में प्रस्तावित आधुनिक पावर कंपनी के भू-अर्जन की कार्रवाई को हाईकोर्ट ने शून्य घोषित कर दिया है। दरअसल, जमीन अधिग्रहण करने अधिसूचना जारी होने के दो साल के भीतर करना था। लेकिन भू-अर्जन अधिकारी ने ऐसा नहीं किया। जिसके बाद हाईकोर्ट ने केस की अंतिम सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया है।
सक्ती जिले के ग्राम सकरेली में आधुनिक पावर कंपनी ने एक ताप विद्युत संयंत्र स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू की थी। इसके लिए साल 2011 में जमीन अधिग्रहण कर भू-अर्जन की कार्रवाई शुरू की गई। तब स्थानीय लोगों ने एडवोकेट सुशोभित सिंह के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसमें भू-अर्जन अधिनियम की धारा 4 और 6 के तहत प्रकाशित अधिसूचना को चुनौती दी थी।
हाईकोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने दिया था आदेश
साल 2012 में हाईकोर्ट में याचिका की सुनवाई हुई, तब सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने जमीन के कब्जे के संबंध में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। वहीं, भू-अर्जन अवार्ड को हाईकोर्ट के फैसले से बाधित रखा था।
दो साल के भीतर पारित नहीं किया गया अवार्ड
इस केस की सुनवाई हाईकोर्ट में लंबित थी। इस दौरान भू-अर्जन अधिनियम के तहत भू-अर्जन अधिकारी को जमीन अधिग्रहण करने के बाद अवार्ड पारित करना था। मामले की अंतिम सुनवाई जस्टिस संजय एस अग्रवाल की बेंच में हुई।
याचिकाकर्ताओं की तरफ से एडवोकेट सुशोभित सिंह ने कहा कि भू-अर्जन अधिनियम के प्रावधान के अनुसार दो साल के भीतर भू-अर्जन की कार्रवाई नहीं होने पर प्रक्रिया स्वत: समाप्त हो जाती है। इस मामले में भू-अर्जन की कार्रवाई की अवधि समाप्त हो चुकी है। जिस पर हाईकोर्ट ने भी भू-अर्जन की कार्रवाई को शून्य माना है।
अब नए सिरे से जारी हो सकती है अधिसूचना
अगर आधुनिक पावर एंड नेचुरल रिसोर्स कंपनी को पावर प्लांट लगाना है, तो उसे नए सिरे से भू-अर्जन अधिकारी के समक्ष आवेदन देना होगा। जिसके बाद फिर से अधिसूचना जारी की जाएगी। इसके बाद भू-अर्जन की प्रक्रिया शुरू हो सकेगी। हालांकि, हाईकोर्ट ने भू-अर्जन के लिए कंपनी को फिर से प्रक्रिया शुरू करने की छूट दी है।