मोदी की गारंटी पर ‘न्याय’ भारी , भाभी ‘का दबदबा बरकरार ,’दीदी’ को 43 हजार वोटों से मिली करारी हार ,छत्तीसगढ़ से कांग्रेस को कोरबा से ही मिला जनादेश , जानें हार की क्या रही वजह ,जीत के बाद ज्योत्सना का संदेश …..

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा। एनडीए गठबंधन की आंधी एवं मोदी लहर के तूफान के बीच जहां छत्तीसगढ़ के 11 सीटों में कांग्रेस को 10 सीटों पर करारी हार मिली,मुख्यमंत्री से लेकर पूर्व मंत्री को पराजय झेलना पड़ा । वहीं औद्योगिक एवं आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिले में कांग्रेस की झोली में कोरबा से लगतार दूसरी बार खुशियां आई है। प्रदेश के सबसे हॉटस्पॉट सीट धननगरी, उर्जानगरी कोरबा लोकसभा सीट में मौजूदा सांसद एवं कांग्रेस की प्रत्याशी ज्योत्सना महंत ने 43 हजार 283 मतों से रिकार्ड जीत दर्ज की । मोदी की गारंटी एवं मोदी मैजिक का जादू कांग्रेस की न्याय की गांरटी के आगे नहीं टिक सकी।’ भाभी ‘(ज्योत्सना महंत )को रिकार्ड मतों से जीत का ताज पहना ‘दीदी ‘ (सरोज पांडेय ) को कोरबा की मतदाताओं ने घर वापसी की टिकट पकड़ा दी। इस ऐतिहासिक जीत के बाद जहां कांग्रेसी खेमे में जश्न का माहौल है तो वहीं भाजपा खेमे में पदाधिकारियों से लेकर कार्यकर्ताओं के चेहरे लटके गए नजर आए।

कोरबा लोकसभा सीट में कुल 27 प्रत्याशी मैदान में थे ,जिनमें कांग्रेस एवं भाजपा के प्रत्याशियों के बीच सीधी टक्कर रही ।इनमें भाजपा ने राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय को चुनावी मैदान में उतारा था तो कांग्रेस ने वर्तमान सांसद ज्योत्सना चरणदास महंत पर ही भरोसा जताया। मंगलवार को हुई मतगणना से पूर्व भाजपा प्रत्याशी सरोज पांडेय मजबूत प्रत्याशी मानी जा रही थीं। गृहमंत्री अमित शाह ,उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ,सीएम विष्णुदेव सायय से लेकर भाजपा के तमाम स्टार प्रचारकों की चुनावी सभाओं ने कागजों में सरोज पांडेय को काफी आगे कर दिया। लेकिन चुनावी जनसभाओं में जुटी यह भींड़ मतदान के रूप में परिवर्तित नहीं हो सकीं ।

चरणदास महंत (नेता प्रतिपक्ष)के कुशल रणनीति एवं मतदाताओं के साथ एवं विश्वास की बदौलत कांग्रेस की झोली में पूरे प्रदेश से कोरबा से ही खुशियों की सौगात आई है । यहां भाभी बनाम दीदी के मुकाबले में कोरबा के मतदाताओं ने भाभी पर दोबारा विश्वास जताया। कांग्रेस प्रत्याशी ज्योत्सना चरणदास महंत ने 43 हजार 283 मतों से रिकार्ड जीत दर्ज की। ज्योत्सना को जहां 5 लाख70 हजार 182 मत मिले तो वहीं सरोज पांडेय को 5 लाख 26 हजार 899 मत मिले। पोस्टल बैलेट की गिनती शुरू होने से लेकर परिणाम आने तक लगभग सभी राउंड में ज्योत्सना महंत ने बढ़त बनाए रखी। जो रिकार्ड जीत में तब्दील हुई। इनके अलावा महज 3 प्रत्याशी ही रहे जो 10 हजार से अधिक मत हासिल कर सके। इनमें गई गोंगपा के श्याम सिंह मरकाम को 48 हजार 587 ,निर्दोश कुमार यादव को 11 हजार 268 मत तो दूजराम बौद्ध को 10 हजार 739 मत मिले। नोटा 6 हजार 97 मतों के साथ तीसरे स्थान पर रहा।

परिणाम आने से पहले ही पदाधिकारी कार्यकर्ता करने लगे पलायन,कहीं दिखा खुशी तो कहीं गम

एनडीए गठबंधन की कुशल चुनावी रणनीति , प्रचंड मोदी लहर , मोदी की गारंटी के बीच कांग्रेस प्रत्याशी की 43 हजार से अधिक मतों की जीत अप्रत्याशित है । शुरुआती रुझानों से कांग्रेस प्रत्याशी ने जो बढ़त बनाई राउंड दर राउंड बढ़ता ही गया,हालात ऐसे थे कि शाम 5 बजे 25 हजार मतों से अधिक लीड मिलने के बाद भाजपा खेमा इस तरह मायूस हुआ कि रात 9 बजे तक आने वाले अधिकृत परिणाम से पहले ही पदाधिकारी कार्यकर्ता चलते बने। जीत हासिल करने वाली कांग्रेसी खेमे में जश्न तो हार नसीब होने वाली भाजपा खेमे में निराशा ,मायूसी छाई रही ।

जिला निर्वाचन अधिकारी ने प्रदान किया प्रमाण पत्र

कोरबा लोकसभा सीट के चार जिलों के आठों विधानसभा की मतगणना पूरी होने के बाद जिला निर्वाचन अधिकारी अजीत वसन्त ने विजयी प्रत्याशी ज्योत्सना चरणदास महंत को प्रमाण पत्र प्रदान किया। इस दरम्यान उनके साथ उनके पति नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत एव बच्चे भी मौजूद रहे।

जीत का श्रेय कार्यकर्ता परिवार को , कोरबा मेडिकल कॉलेज हमारी देन, इस बार भी जनता की सेवा करेंगे

चुनाव परिणाम की घोषणा होने से कुछ देर पहले मतगणना स्थल के पास बने मीडिया सेंटर में ज्योत्सना ने पत्रकारों से बातचीत की।अपने जीवन का दूसरा संसदीय चुनाव लड़ने और जीत हासिल करने से काफी खुश नजर आ रही ज्योत्सना महंत ने अपनी जीत का श्रेय कार्यकर्ताओं और अपने परिवार को दिया।उन्होंने आगे बताया कि पिछले कार्यकाल में उन्होंने कोरबा को मेडिकल कॉलेज दिलवाया। आगे भी पूरी तरह सक्रिय रहेगी और कोरबा क्षेत्र के विकास के लिए काम करेंगे। ज्योत्सना ने बताया कि उन्हें अपनी जीत पर पूरा भरोसा था। संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली 7 विधानसभा क्षेत्र में उन्होंने काफी बढ़त प्राप्त की। कोरबा शहरी विधानसभा क्षेत्र में पिछले बार के मुकाबले इस बार का नुकसान बहुत ज्यादा रहा, यह अपने आप में विचारानीय है। इसके कारणों के बारे में हम जरूर विचार करेंगे।

हार के ये रहे बड़े फैक्टर 👇

1 .स्थानीय बनाम बाहरी मुद्दा चुनावों में छाया रहा, जिसका लाभ कांग्रेस प्रत्याशी को मिला।

2 .कांग्रेस प्रत्याशी का मिलनसार व्यक्तित्व ने भी आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों के मतदाताओं को खासा प्रभावित किया।

3.जातिगत समीकरण ने भी कांग्रेस को यहां लाभ पहुंचाया । अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति वर्ग का विशेष झुकाव कांग्रेस पार्टी की तरफ रहा,जिसका अपेक्षित परिणाम आया।

4 .कांग्रेस की न्याय की गारंटी में प्रमुख तौर पर शामिल महालक्ष्मी योजना ने चुनाव में खासा फर्क डाला। गरीब परिवार की महिला को सालाना 1 लाख रुपए देने के वादों ने ग्रामीण अंचल की मतदाताओं का मन कांग्रेस की ओर बदल डाला।

5 .पार्टी के भीतर भीतरघात ने कहीं न कहीं भाजपा को नुकसान पहुंचाया। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो एक बड़ाधड़ा चुनाव में उस ऊर्जा और लगन के साथ कार्य नहीं किया जो विधानसभा चुनावों के दौरान नजर आया। जिसका लाभ प्रतिद्वंद्वी को मिला।