दिल्ली । लोकसभा चुनाव के नतीजों ने बहुत कुछ बदलकर रख दिया है। राहुल गांधी के तौर पर पूरे दस सालों बाद सदन के भीतर विपक्ष को अपना सेनापति मिला है। 2014 में सत्ता से बेदखल होने के बाद कांग्रेस को नेता प्रतिपक्ष का पद मिला है, क्योंकि पिछले दस सालों से पार्टी के पास इस पद को पाने के लिए जरूरी 54 सीटें तक नहीं थीं।
इस बार कांग्रेस के पास लोकसभा में 99 सीटें हैं और इसीलिए 20 साल लंबे राजनीतिक करियर में राहुल गांधी को पहली बार संवैधानिक पद मिला है।
हालांकि, राहुल के लिए आगे का सफर आसान नहीं होगा। विपक्ष के सेनापति के तौर पर और संवैधानिक पद पर होने की वजह से राहुल गांधी को कई जिम्मेदारियां निभानी हैं। ऐसे में आइए इस बात को समझने की कोशिश करते हैं कि नेता विपक्ष बनने के बाद राहुल गांधी और सत्ता पक्ष के लिए सदन कितना बदल जाएगा। राहुल गांधी को नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद किस तरह की शक्तियां मिलने वाली हैं। वह किन फैसलों में अपनी भूमिका निभाने वाले हैं और उन्हें किस तरह की सुविधाएं दी जाएंगी।
राहुल गांधी के पास क्या शक्तियां होंगी?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी को नेता विपक्ष बनने पर बधाई मिल रही है, लेकिन विपक्ष के नेता ये भी कह रहे हैं कि पूरे गठबंधन के हितों का ध्यान रखा जाए।
नेता प्रतिपक्ष न सिर्फ अपनी पार्टी को बल्कि पूरे विपक्ष का नेतृत्व करता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि राहुल को क्या शक्तियां मिलने वाली हैं।
👉नेता प्रतिपक्ष कई जरूरी नियुक्तियों में पीएम के साथ बैठता है। मतलब ये कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी साथ मिलकर कई फैसले लेंगे। दोनों के राय से फैसले लिए जाएंगे।
👉चुनाव आयुक्त, केंद्रीय सतर्कता आयोग के अध्यक्ष, मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष इन सभी पदों का चयन एक पैनल के जरिए किया जाता है, जिसमें प्रधानमंत्री और नेता विपक्ष शामिल रहते हैं। अब तक राहुल गांधी कभी भी मोदी के साथ किसी पैनल में शामिल नहीं हुए हैं।
👉राहुल गांधी भारत सरकार के खर्चों की जांच करने वाली लोक लेखा समिति के अध्यक्ष होंगे. राहुल सरकार के कामकाज की लगातार समीक्षा करेंगे। वह ये जानने की कोशिश करेंगे कि सरकार कहां पर कितना पैसा खर्च कर रही है।
👉राहुल गांधी दूसरे देशों के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री को राष्ट्रीय मुद्दों पर अपना दृष्टिकोण देने के लिए भारत बुला सकते हैं। मतलब कि अगर वह किसी मुद्दे पर विदेशी मेहमानों से चर्चा करना चाहें तो वह ऐसा कर पाएंगे।
👉नेता प्रतिपक्ष के तौर पर राहुल गांधी अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और सीबीआई जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों के प्रमुखों के चयन में भी अहम भूमिका निभाने वाले हैं. वह पिछले 10 साल से इन एजेंसियों पर काफी आरोप लगाते आए हैं।
राहुल गांधी को क्या सुविधाएं मिलेंगी?
नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद राहुल को पद भी मिला है और उनका कद भी बढ़ गया है। नेता विपक्ष के तौर पर राहुल गांधी को कई अधिकार और सुविधाएं मिलेंगी। आइए जानते हैं कि उन्हें किस तरह की सुविधाएं मिलने वाली हैं। 👇
👉नेता प्रतिपक्ष का पद कैबिनेट मंत्री के बराबर होता है ।
👉राहुल गांधी को केंद्रीय मंत्री के समान वेतन, भत्ता और दूसरी सुविधाएं मिलेंगी।
👉राहुल को कैबिनेट मंत्री के आवास के स्तर का बंग्ला मिलेगा। उन्हें कार, ड्राइवर की सुविधा भी दी जाएगी। साथ ही 14 लोगों का स्टाफ मिलेगा।
👉बतौर सांसद राहुल गांधी को एक लाख रुपए और 45 हजार भत्ता मिलता है, लेकिन नेता विपक्ष बनने के बाद उन्हें मासिक वेतन और दूसरे भत्तों के लिए 3 लाख 30 हजार रुपए मिलेंगे।
बदल जाएगी राहुल गांधी की छवि
नेता विपक्ष के तौर पर राहुल गांधी की पुरानी छवि टूट जाएगी और वो एक नई छवि को गढ़ते नजर आएंगे। साल 2004 में जब राहुल गांधी ने पहली बार चुनावी राजनीति में दस्तक दी थी। 2004 में राहुल ने अमेठी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था और जीत दर्ज की थी। राहुल का नेता प्रतिपक्ष बनना बेहद खास है क्योंकि वह जब से चुनावी राजनीति में आए वो कोई पद लेने से बचते रहे। यहां तक कि पार्टी प्रमुख के पद से भी उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।
2004 से 2014 तक कांग्रेस की सत्ता रही लेकिन राहुल ने कोई मंत्री पद नहीं लिया। उन पर कैबिनेट पद के लिए दबाव भी था, लेकिन फिर भी उन्होंने मना कर दिया था। 2014 में कांग्रेस जब सत्ता से बाहर हुई तो नेता प्रतिपक्ष बनाने लायक सीटें भी हासिल नहीं कर पाई थी।