कांकेर। जिले का एक सरकारी आवासीय विद्यालय इन दिनों राजनीति का अखाड़ा बना हुआ है। राज्य की विपक्षी पार्टी कांग्रेस और कुछ लोगों ने इसके नाम से राजनीति शुरु कर दी, और जमकर सुर्खियां बटोरी गई। लेकिन अब तक जो आरोप लगाया जा रहा है, उस पर ना तो छात्रा के परिजन सामने आये हैं, और ना ही उसके संबंध में कोई सबूत पेश किया गया है।
अफवाह फैलाने वालों ने छात्रा और उसके परिवार को बदनाम करने के साथ ही छात्रावास की अधीक्षिका को हटवाने के लिए सरपंच से दस्तखत करवाया था। महिला सरपंच ने इस मामले में ज्ञापन सौपकर पखांजूर एसडीएम को जानकारी दी थी। उन्होंने अरूण सिन्हा नाम के शख्स को इसका मास्टरमाइंड बताया था। विधायक सांसद और अफसरों को कथित शिकायत देने के बाद मामले ने तूल पकड़ा और राजनीति शुरु हो गई।
शुक्रवार को परलकोट उरांव समाज ने कांकेर कलेक्टर के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौपकर आरोप की निष्पक्ष जांच की मांग की है। उन्होंने अपने ज्ञापन में आश्रम अधीक्षिका के निलंबन को रद्द करने की मांग भी की है। छात्रा के गर्भवति होने और धर्मांतरण कराये जाने के दावों को बेबुनियाद करार दिया है। जांच को दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की गई है।
बार-बार की पूछताछ से छात्रा और उसका परिवार परेशान
उरांव समाज ने कहा कि झूठे आऱोप के आधार पर जांच दल गठित कर नाबालिग छात्रा से बार बार पूछताछ करने से उसे मानसिक तनाव होने की संभावना है। छात्रा के द्वारा यदि मानसिक तनाव में आकर किसी प्रकार की अनहोनी घटना घटित होती है तो इसकी लिए आरोप के साजिशकर्ता एवं आवेदनकर्ता जिम्मेदार होंगे।
आगे कहा गया है कि चूंकि आवेदनकर्ता छोटेबेठिया सरपंच के द्वारा यह तथ्य सामने आया है कि इस आरोप के साजिशकर्ता अरूण सिन्हा जो कि छोटेबेठिया में ही पेशे से शिक्षक हैं। उरांव समाज ने उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
उरांव समाज के अध्यक्ष चमरू मिंज ने कहा कि कलेक्टर निलेश क्षीरसागर को पत्र के माध्यम से अवगत कराया गया है कि बेबुनियाद आरोप के तहत अधीक्षिका को निलंबित किया गया है, जिसका समाज घोर निंदा करता है, अधीक्षिका के निलंबन को समाप्त कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की गई है। इस मौके पर परलकोट उरांव आदिवासी कल्याण समिति के सूरज एक्का, दिलीप लकड़ा, रामनाथ एक्का और पुलिस कुजूर आदि मौजूद थे।