नई दिल्ली। आबकारी घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की जमानत याचिका का हाई कोर्ट ने यह कहते हुए निपटारा कर दिया कि केजरीवाल अपनी याचिका के साथ निचली अदालत में जाएं।
न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने कहा कि जिस समय केजरीवाल ने इस अदालत के समक्ष जमानत याचिका दायर की थी, तब मामले में निचली अदालत में आरोपपत्र दाखिल नहीं किया गया था। हालांकि, सीबीआई ने विशेष न्यायाधीश के समक्ष अपना आरोप पत्र दायर कर दिया है। ऐसे में केजरीवाल के लिए जमानत के लिए निचली अदालत जाना फायदेमंद होगा।
ट्रायल कोर्ट के पास हैं रिकॉर्ड
अदालत ने स्पष्ट किया कि जिला अदालतों व हाई कोर्ट के पास जमानत के मामले में समवर्ती क्षेत्राधिकार है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार कहा है कि पक्षकार को पहले प्रथम न्यायालय का रुख करना होगा।
अदालत ने कहा कि अन्य सह-अभियुक्तों से संबंधित भारी रिकॉर्ड हैं और इसे हाई कोर्ट के समक्ष पहली बार में पूरी परिस्थितियों को सामने लाना संभव नहीं हो सकता है। ट्रायल कोर्ट के पास रिकॉर्ड उपलब्ध हैं। इसके साथ ही अदालत ने विशेष न्यायाधीश से संपर्क करने की छूट के साथ जमानत याचिका का निपटारा कर दिया।
केजरीवाल को 26 जून को तिहाड़ जेल से किया था गिरफ्तार
29 जुलाई को मामले में आरोप पत्र दाखिल करने वाली सीबीआई ने भी मांग थी कि जमानत याचिका पर पहले विशेष न्यायाधीश द्वारा विचार किया जाए। सीबीआई ने भ्रष्टाचार मामले में केजरीवाल को 26 जून को तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था।
इससे पहले 21 मार्च को ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था। ईडी के मामले में 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी थी। हालांकि, सीबीआई मामले में आरोपित होने के कारण केजरीवाल का बाहर आना संभव नहीं हो सका।
कोर्ट ने कहा- भ्रामक था केजरीवाल का तर्क
दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को मुकदमे की सुनवाई के दौरान केजरीवाल के वकील की इस दलील को ‘भ्रामक’ करार दिया, जिसमें कहा गया था कि मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पहले से ही न्यायिक हिरासत में होने के कारण ट्रायल कोर्ट से जेल में बंद आरोपित से पूछताछ के लिए किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं थी। अदालत ने कहा कि सीबीआई को आवेदन देना पड़ा क्योंकि आरोपित को पीएमएलए मामले में न्यायिक हिरासत में रखा गया था।
अदालत की अपेक्षित अनुमति के बिना सीबीआई अधिकारियों को उससे पूछताछ करने की अनुमति नहीं दी गई होगी। अदालत ने कहा कि सीबीआई ने बताया था कि सुबूतों से सामना कराने, आबकारी नीति के निर्माण और कार्यान्वयन के संबंध में आरोपितों/संदिग्धों के बीच रची गई बड़ी साजिश का पता लगाने और धन के लेन-देन का पता लगाने के लिए केजरीवाल से हिरासत में पूछताछ की जरूरत थी।
सीबीआई ने निचली अदालत के समक्ष अपने आवेदन में कहा था कि जेल में पूछताछ के दौरान केजरीवाल टालमटोल करते रहे। इसके कारण प्रासंगिक साक्ष्य एकत्र करने में बाधा उत्पन्न हुई।