आस्था लेकर आया मौत पाकर लौटा ,वृंदावन बांके बिहारी मंदिर दर्शन को आए बुजुर्ग की भींड़ में दम घुटने से मौत,पुलिस प्रशासन की व्यवस्था के दावों की खुली पोल …

उत्तरप्रदेश। उत्तरप्रदेश के मथुरा में वृंदावन स्थित ठाकुर श्री बांके बिहारी मंदिर भीड़ के चलते रविवार की सुबह वृद्ध की दम घुटने से मौत हो गई। इससे वहां पर अफरा-तफरी मच गई। बुजुर्ग हरियाणा के कुरुक्षेत्र से दो दिन पहले दर्शन को आए थे।

हरियाणा के कुरुक्षेत्र शाहाबाद निवासी मामचंद सैनी (75) पुत्र गैंदीराम सैनी अपने परिवार के साथ ठाकुर श्री बांके बिहारी मंदिर के दर्शन के लिए शनिवार को वृंदावन पहुंचे थे। रविवार सुबह दर्शन करने के बाद भीड़ के चलते उनकी तबीयत खराब हो गई। मंदिर में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने प्राथमिक उपचार देकर एंबुलेंस से सौ शैय्या हॉस्पिटल पहुंचाया। यहां चिकित्सकों ने जांच के बाद मृत घोषित कर दिया।
एएसपी-सीओ सदर कुंवर आकाश सिंह ने बताया कि वृद्ध दर्शन करने के बाद मंदिर से बाहर पहुंचे तो तबीयत बिगड़ गई। प्राथमिक उपचार के बाद सौ शैय्या हॉस्पिटल ले जाया गया। जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। एएसपी ने बताया मृतक पूर्व से ही बीमार थे। उन्हें सांस की बीमारी भी थी। इसी के चलते उनकी तबीयत खराब हुई। फिलहाल परिवार उनके शव को लेकर कुरुक्षेत्र ले गए हैं।

पुलिस-प्रशासन के इंतजामों की खुली पोल

ठाकुर श्री बांके बिहारी मंदिर में भीड़ के चलते वृद्ध की मौत ने एक बार फिर पुलिस प्रशासन के इंतजामों की पोल खोलकर रख दी। मंगला आरती से करीब एक सप्ताह पूर्व हुए इस हादसे ने पुलिस प्रशासन की लापरवाही का खुलासा कर दिया। पुलिस-प्रशासन के आला अफसरों को बखूबी मालूम है कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी तक भीड़ कम नहीं होगी, बल्कि भीड़ में इजाफा ही होगा।
बावजूद अभी तक भीड़ को लेकर गंभीरता नहीं बरतना पुलिस-प्रशासन के इंतजामों की कलई खोलता दिख रहा है। पुलिस प्रशासन, केवल मंगला आरती को लेकर फोकस किए हुए है। उसे लगातार बढ़ रही मंदिर में भीड़ से कोई सरोकार नहीं है। तभी तो रविवार को श्रद्धालु की भीड़ के चलते हुई मौत पर इंतजामों की हकीकत से पर्दा हट गया।
अब सवाल खड़ा होता है कि रविवार को वीकेंड के संग ही मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ में लगता इजाफा हो रहा है, पर पुलिस प्रशासन के अफसरों ने इससे मुंह मोड़ रखा है। भीड़ को लेकर वीकेंड पर भी कोई इंतजाम न होना भी पुलिस प्रशासन की लापरवाही को साफ उजागर करता है। हर बार की तरह कोई हादसा होता है तो इंतजाम पर अफसर नई रणनीति बनाने में मशगूल दिखते हैं, फिर कुछ दिन बाद मंदिर में इंतजाम लचर हो जाते हैं।