एजेंसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान वैसे तो कई घोषणाएं हुई हैं, लेकिन एक प्रोग्राम की सबसे ज्यादा चर्चा है, वह है कैंसर मूनशॉट। पीएम मोदी ने कैंसर से लड़ने के लिए इंडो-पैसिफिक में क्वाड कैंसर मूनशॉट पहल (Cancer Moonshot Initiative) का ऐलान किया।
आखिर ये कैंसर मूनशॉट प्रोग्राम है क्या?
अमेरिका खुद का कैंसर मूनशॉट प्रोग्राम चलाता है. कहते हैं कि राष्ट्रपति जो बाइडन और उनकी पत्नी जिल बाइडन की यह सबसे पसंदीदा योजना है. तो यह उससे अलग कैसे?
कैंसर पर ज्यादा से ज्यादा साइंटिफिक रिसर्च के लिए 2016 में कैंसर मूनशॉट प्रोग्राम लॉन्च किया गया था। तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 12 जनवरी, 2016 को इसकी शुरुआत की थी। बकायदा कानून बनाकर इसके लिए बजट का प्रावधान किया गया। ओबामा ने उस वक्त उपराष्ट्रपति रहे जो बाइडन को ही टास्क फोर्स की जिम्मेदारी सौंपी थी। इन्हें कुछ काम सौंपे गए। जैसे, कैंसर को कैसे रोका जाए, इसका इलाज कैसे किया जाए, इस पर सुझाव देना। नए रिसर्च, डेटा और कम्प्यूटेशनल क्षमताओं तक अधिक पहुंच बनाना। कैंसर के इलाज में आ रही बाधाओं की पहचान करना और उन्हें दूर करना। विशेषज्ञों का एक ब्लू रिबन पैनल भी बनाया गया। 2016 में ब्लू रिबन पैनल ने कैंसर के इलाज के लिए नया कार्यक्रम शुरू किया। इसने एक रिपोर्ट सौंपी, जिसमें 10 सिफारिशें थीं। 👇
- डायरेक्ट पेशेंट के लिए एक नेटवर्क तैयार करना। 2.इम्यूनोथेरेपी के लिए विशेष रूप से समर्पित एक ट्रांसलेशनल विज्ञान नेटवर्क बनाएं।
3.कैंसर के उपचार के प्रति प्रतिरोध पर काबू पाने के तरीके विकसित करना।
4.राष्ट्रीय कैंसर डेटा पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण।
5.बाल कैंसर के प्रमुख कारणों पर अनुसंधान को तीव्र करना।
6.कैंसर उपचार के दुर्बल करने वाले दुष्प्रभावों को न्यूनतम करें।
7.कैंसर की रोकथाम और शीघ्र पता लगाने की सिद्ध रणनीतियों के उपयोग का विस्तार करना।
8.भविष्य के रोगी परिणामों की भविष्यवाणी करने के लिए पिछले रोगी डेटा का उपयोग करें।
- 3-डी कैंसर एटलस विकसित करें।
- नई कैंसर प्रौद्योगिकियों का विकास करना
बाइडन के बेटे की भी हुई थी कैंसर से मौत
बाइडन जब राष्ट्रपति बने, तो इस पहल को आगे बढ़ाया। व्हाइट हाउस की वेबसाइट पर कैंसर मूनशॉट पेज पर लिखा है, “हम कैंसर रोगियों का जल्द से जल्द इलाज कराने की योजना बना रहे हैं ताकि लोग लंबा और स्वस्थ जीवन जी सकें।।कैंसर मरीजों और उनके परिवारों को मुसीबत न झेलनी पड़े। इसके बाद व्हाइट हाउस ने कैंसर कैबिनेट का गठन किया, जिसमें स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग, वयोवृद्ध मामलों का विभाग, रक्षा विभाग, ऊर्जा विभाग, कृषि विभाग, पर्यावरण संरक्षण एजेंसी, खाद्य एवं औषधि प्रशासन और प्रबंधन एवं बजट कार्यालय सहित लगभग दो दर्जन एजेंसियां शामिल थीं। बता दें कि बाइडन के बेटे ब्यू की 2015 में ब्रेन कैंसर की वजह से मौत हो गई थी।
भारत कैसे मदद करेगा?
मोदी ने कहा कि भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में कैंसर परीक्षण, जांच और निदान के लिए 7.5 मिलियन डॉलर का योगदान देगा। मोदी ने यह भी कहा कि भारत गावी और क्वाड पहल के तहत 40 मिलियन वैक्सीन मुहैया कराएगा। व्हाइट हाउस ने सर्वाइकल कैंसर को ” काफी हद तक रोके जाने योग्य बीमारी बताया जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बड़ा संकट बना हुआ है। मोदी ने अपने भाषण में कहा, “भारत अपना अनुभव और विशेषज्ञता साझा करने के लिए तैयार है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह अनुदान भारत के ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य’ के दृष्टिकोण के तहत दिया गया था। उन्होंने कहा कि भारत रेडियोथेरेपी ट्रीटमेंट में भी सहायता देगा। जब क्वाड कार्य करता है, तो यह केवल राष्ट्रों के लिए नहीं होता है, यह लोगों के लिए होता है। मोदी ने आगे कहा, कैंसर की देखभाल में, इलाज के लिए सहयोग जरूरी है। मैं इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए राष्ट्रपति बाइडन को धन्यवाद देना चाहता हूं। हर साल, इंडो-पैसिफिक में 150,000 महिलाएं सर्वाइकल कैंसर से मर जाती हैं। हम ऐसा नहीं कर सकते और न ही होने देंगे।