एसईसीएल की प्रस्तावित अंबिका ओपन कास्ट कोल परियोजना :बोले क्षेत्रीय विधायक मरकाम -फूट डालो और राज करो की नीति से बाज आए प्रबंधन ….

बैठक आफिस के अंदर नहीं बल्कि गांव में जाकर ग्रामीणों के बीच बैठकर करना चाहिए,समस्या निराकरण बगैर खदान खोलने की बात करना बेमानी, एक ढेला भी नहीं निकालने देंगे

कोरबा-पाली। एसईसीएल की प्रस्तावित अंबिका ओपन कास्ट कोल परियोजना से प्रभावित ग्रामीणों और भू विस्थापितों की सभी समस्या का निराकरण किए बगैर मिट्टी का एक ढेला भी निकालने नहीं दिया जाएगा। ग्रामीणों के मुआवजा, पुनर्वास ,रोजगार जैसे मामले पर एसईसीएल और प्रशासन को त्वरित कार्रवाई करना चाहिए, तभी खदान का मार्ग प्रशस्त होगा।

उक्त बातें पाली तानाखार विधायक तुलेश्वर हीरासिंह मरकाम ने कही। श्री मरकाम ने हाल ही में एसडीएम की अध्यक्षता में पाली कार्यालय में एसईसीएल द्वारा आयोजित किये त्रिपक्षीय वार्ता को लेकर भी कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बैठक आफिस के अंदर नहीं बल्कि गांव मे जाकर ग्रामीणों के बीच बैठकर करना चाहिए। उन्होंने कहा कि एसईसीएल की अंग्रेज नीति फूट डालो और राज करो….. इस परियोजना में चलने नहीं दिया जाएगा। एसईसीएल को समझना होगा कि जो उन्होंने सरायपाली परियोजना में जो किया है, वह सब यहां नहीं चलेगा। एसईसीएल की गलत नीतियों की वजह से ही सरायपाली परियोजना में एक दशक से भी ज्यादा समय लगा और आज भी ग्रामीणों की समस्याएं बरकरार है, ऐसे में ग्रामीण एसईसीएल पर कैसे विश्वास करें? वर्तमान में अंबिका परियोजना से प्रभावित ग्रामीण प्रारंभिक प्रक्रिया में ही परेशान हैं। एसईसीएल सही मायने में भू प्रभावितों की हितैषी है,तो उसे गांव में ही सामुदायिक भवन या चौपाल में बैठक आयोजित कर ग्रामीणों की सभी समस्याओं का क्रमश: निदान करते हुए उनको विश्वास में लेना होगा तभी खदान खोलने का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा। जो ग्रामीण प्रभावित हैं उन्हें शासन की नीति निर्देशानुसार अधिक से अधिक मुआवजा, पुनर्वास, रोजगार उपलब्ध कराए और आंशिक रूप से प्रभावित प्रत्येक ग्रामीण को भी खदान में रोजगार, स्वरोजगार उपलब्ध करने का पूर्ण भरोसा दिलाए। खदान प्रभावित क्षेत्र के आसपास के ग्राम के ग्रामीणों को भी प्राथमिक मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराना होगा। यह सभी कार्य तात्कालिक तौर पर परियोजना से प्रभावित ग्रामों में दिखाई देना चाहिए तभी ग्रामीण एसईसीएल की कथनी और करनी पर विश्वास करेंगे। यदि एसईसीएल और प्रशासन द्वारा ग्रामीणों की समस्याओं और मांगों को नजरअंदाज करके फूट डालो राज करो की नीति अपनाई जाएगी तो उन्हें मिट्टी का एक ढेला भी निकालने नहीं देंगे।