हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा(भुवनेश्वर महतो) । प्रधानमंत्री मोदी जी का ड्रीम प्रोजेक्ट जल जीवन मिशन आकांक्षी जिला कोरबा में पीएचई के लाख प्रयासों के बावजूद अव्यवस्थाओं , खामियों की जकड़ से मुक्त नहीं हो रहा। जिले में 10 करोड़ 54 लाख 23 हजार रुपए की बड़ी राशि खर्च करने के बावजूद 9 गांव के 2 हजार 381 हितग्राहियों को एक बूंद भी पानी नसीब नहीं हुआ । मोटर पंप जलने ,पंचायतों द्वारा संचालन में रुचि नहीं लेने, स्रोत भर -पट जाने ,एसईसीएल के अधिग्रहित क्षेत्र में शामिल होने समेत ओवर हेड टँकी (OHT ) के लैंड ईशु की वजह से यह हालात निर्मित हुए हैं। जनाक्रोश एवं फजीहत से बचने पीएचई ने भी सख्ती बरतनी शुरू कर दी है। अंतिम भुगतान होने से पूर्व जलापूर्ति एक बार शुरू कर मेंटेनेंस अवधि में भूमिगत हो चुके फर्मों को योजना पुनः सुचारू बनाने अंतिम नोटिस दी रही है ,अन्यथा विभाग ने अनुबंध की शर्त अनुरूप जमा एफडीआर ,आईएमडी की 9प्रतिशत राशि राजसात करने की चेतावनी दी है।
जल जीवन मिशन के स्वीकृत कार्यों की अद्यतन स्थिति की जानकारी मांगे जाने पर सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत प्रदत्त जानकारी से इसका खुलासा हुआ है।पीएचई द्वारा प्रदाय किए गए दस्तावेजों से पता चलता है।9 योजनाओं में ग्रामीणों को एक बूंद भी पानी नसीब नहीं हो रहा है। जबकि 10 करोड़ 54 लाख 23 हजार की इन योजनाओं के एवज में फर्मों को लगभग 90 फीसदी तक भुगतान हो चुका है। बात करें ग्राम पंचायतों की लापरवाही से बंद योजनाओं की तो 3 करोड़ 57 लाख 22 हजार के ऐसे 5 योजनाएं हैं जो बंद पड़ी हैं।
कोरबा ब्लॉक के ग्राम पंचायत गुरमा,मदनपुर का कार्य क्रमशः मे.कैलाश प्रसाद अग्रवाल मे.मारुति एसोसिएट्स द्वारा कराया गया है। दोनों योजना क्रमशः 53 लाख 55 हजार एवं 63 लाख 74 हजार की है। 6 -6 माह की योजना के तहत एक बार कार्य प्रारंभ कर पंचायत को फर्मों द्वारा हस्तांतरित कर दिया गया है। लेकिन संधारण अवधि में इसकी सुध तक लेना फर्मों ने मुनासिब नहीं समझा,दोनों ही योजना मोटर पंप जलने एवं ग्राम पंचायत द्वारा संचालन में रुचि नहीं लेने से बंद पड़ी हुई हैं। करतला ब्लॉक के ग्राम जर्वे ,बोतली एवं बाँधापाली में कमोबेश इसी तरह योजना बंद पड़ी मुंह चिढ़ा रही है। जर्वे में जहां स्रोत भर पट जाने की वजह से बंद पड़ा हुआ है तो वहीं बोतली ,बाँधापाली में ग्राम पंचायत द्वारा रुचि नहीं लिए जाने के कारण ग्रामीणों को परंपरागत जल स्त्रोतों से ही प्यास बुझानी पड़ रही है। तीनों गांव की योजना क्रमशः 53 लाख 45 हजार ,1 करोड़ 2 लाख 96 हजार एवं 83 लाख 52 हजार की है। फर्म क्रमशः मे.मदयंती एसोसिएट्स कोरबा,मे.राजीव कुमार रॉय एवं मे. सुभदा ट्रेडर्स द्वारा योजना में काम किया गया है। यहां भी 9 -9 माह की योजना को एक बार शुरू कर तकनीकी रूप से अकुशल पंचायतों को योजना हैंडओवर कर संधारण अवधि में ही फर्मों ने पानी फेर ली है। नतीजा योजना शो पीस बन ग्रामीणों का दर्द बढ़ा, उपहास उड़ा रही है। ईई अनिल कुमार बच्चन ने दो टूक लहजे में स्पष्ट कर दिया है केंद्रीय योजना के संचालन , सौंपे गए कार्य दायित्व के निर्वहन में लापरवाही अक्षम्य है । सबंधितों की अमानत राशि एवं एफडीआर विभाग में एग्रीमेंट के तहत जमा है। उक्त 8 से 9 प्रतिशत राशि को कार्य प्रारम्भ न करने की स्थिति में जब्त कर शेष कार्य उक्त राशि के जरिए अन्य फर्मों से नियमानुसार पूरा कराएंगे।इसके लिए अंतिम नोटिस दे रहे हैं।
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एसईसीएल के अधिग्रहित क्षेत्र के दायरे में आई योजना ,डूब गए 3 करोड़ 76 लाख रुपए !
जल जीवन मिशन योजनांतर्गत डीपीआर बनाते समय बिना फील्ड इंस्पेक्शन किए डीपीआर बनाकर भेज दिया ,जिसमें इस बात तक का ध्यान नहीं रख गया कि संबंधित ग्राम एसईसीएल के खदान विस्तार के अधिग्रहण के लिए प्रस्तावित है। मलगांव एवं खोडरी में इसका नजारा देखा जा सकता है। जहां 69 लाख 91 हजार की योजना मलगांव की है तो वहीं 3 करोड़ 6 लाख 11 हजार की योजना डोंगरी के साथ ग्राम खोडरी की है।फर्म क्रमशः मे .एच .के अग्रवाल एवं गणेशा कंस्ट्रक्शन ने यहां कार्य किया है।एसईसीएल के अधिग्रहित क्षेत्र में शामिल होने के कारण योजना में क्रमशः 75 % एवं 95 % कार्य पूर्ण होने के बाद भी रोक दिया गया है। FHTC पूर्ण वाले 350 हितग्राही परिवारों को को योजना से एक बूंद पानी नसीब नहीं हुई। गांव का विस्थापन होने से करोड़ों की राशि डूबती नजर आ रही है।
स्थल निरीक्षण किए बगैर दफ्तर में बैठकर बनाया डीपीआर,OHT के लिए नहीं मिली उपयुक्त जमीन ,डूब गए 3.20 करोड़ !
जल जीवन मिशन योजनांतर्गत स्वीकृत कार्यों के स्थल निरीक्षण किए बगैर आनन फानन में डीपीआर बनाकर भेज दिया गया ,जिसकी बानगी ग्राम झोरा एवं पोंडी उपरोड़ा ब्लॉक के ग्राम रामपुर में देखा जा सकता है । क्रमशः 34 लाख 82 हजार एवं 2 करोड़ 86 लाख 17 हजार की योजना का कार्य क्रमशः जागृति कंस्ट्रक्शन एवं मे .महावीर कंस्ट्रक्शन ने किया है । दोनों गांव में क्रमशः 70 एवं 60 फीसदी कार्य पूर्ण हो चुका है। लेकिन OHT (over head Tank ) के लिए उपयुक्त जमीन नहीं मिलने की वजह से जल प्रदाय शुरू नहीं हो सका। इस तरह देखें तो न केवल FHTC पूर्ण वाले 198 हितग्राही परिवारों को योजना से एक बूंद पानी नसीब नहीं हुई वरन 3 करोड़ 20 लाख रुपए की बड़ी राशि पानी के लिए पानी मे डूबती नजर आ रही है।
वर्जन
कार्य नहीं करने पर जब्त करेंगे अमानत राशि ,सुरक्षा निधि ,जारी करेंगे अंतिम नोटिस
अधिकांश फर्म बाहर के हैं योजना को उन्हें पुनः शुरू कर क्रियाशील स्थिति में देने नोटिस जारी करेंगे ,इसकी अवहेलना पर अनुबंध शर्त अनुरूप अमानत राशि एवं सुरक्षा निधि जब्त कर शेष कार्य पूरा कराएंगे।
अनिल कुमार बच्चन ,ईई पीएचई कोरबा