राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को हटाने अविश्वास प्रस्ताव लाएगी कांग्रेस ,सपा टीएमसी ने दिया समर्थन …

दिल्ली। संसद के चालू शीतकालीन सत्र में दोनों सदनों का तापमान हाई है। अब विपक्षी इंडिया ब्लॉक राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में है। सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्षी गठबंधन एकजुट हो गया है और समाजवादी पार्टी (सपा) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) भी अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में बताए जा रहे हैं।

पिछले कुछ दिनों से इंडिया ब्लॉक के प्रदर्शनों से दूर-दूर नजर आ रहे टीएमसी और सपा के सांसदों ने भी अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। जानकारी के मुताबिक विपक्षी दल मंगलवार को राज्यसभा में सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकते हैं। बताया जाता है कि अविश्वास प्रस्ताव तैयार है और इस पर 70 सदस्यों ने हस्ताक्षर भी कर दिए हैं। बताया जाता है कि सोमवार को राज्यसभा में जॉर्ज सोरोस के मुद्दे पर हंगामे के दौरान सभापति जगदीप धनखड़ के रुख को देखते हुए कांग्रेस उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में है। सोमवार को जॉर्ज सोरोस से जुड़े मुद्दे पर जिस तरह से राज्यसभा में हंगामा हुआ, उसे लेकर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सदस्य सभापति जगदीप धनखड़ से नाराज बताए जा रहे हैं।
सदन में हंगामे के दौरान भी दिग्विजय सिंह से लेकर राजीव शुक्ला तक, कांग्रेस सांसदों ने सभापति पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए सवाल किया कि किस नियम के तहत उन्होंने चर्चा चालू की है। विपक्षी सदस्यों ने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि सभापति बीजेपी सदस्यों के नाम ले-लेकर उनसे बोलने के लिए कह रहे हैं।
गौरतलब है कि राज्यसभा के सभापति को हटाने के लिए प्रस्ताव 50 सदस्यों के हस्ताक्षर की जरूरत होती है। सभापति धनखड़ के खिलाफ प्रस्ताव पर 70 सदस्यों ने हस्ताक्षर कर दिए हैं। विपक्ष की ओर से सभापति को हटाने के लिए प्रस्ताव लाए जाने की चर्चा संसद के पिछले मॉनसून सत्र के दौरान भी थी लेकिन तब विपक्ष ने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया था।

क्या है सभापति को हटाने की प्रक्रिया

राज्यसभा के सभापति को पद से हटाने के लिए कम से कम 50 सदस्यों के हस्ताक्षर के साथ प्रस्ताव सचिवालय को भेजना होता है। कम से कम 14 दिन पहले दिए गए इस नोटिस के बाद राज्यसभा में उपस्थित सदस्यों के बहुमत के आधार पर प्रस्ताव पारित होने के बाद इसे लोकसभा भेजना होता है। सभापति देश के उपराष्ट्रपति भी हैं जो दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद है। ऐसे में उनको पद से हटाने के लिए जरूरी है कि यह प्रस्ताव लोकसभा से भी पारित हो। बता दें कि शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर तक ही चलना है।

सभापति ने सदन में क्या कहा?

राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित करने से पहले हंगामे के बीच कहा कि राष्ट्रवाद के प्रति हमारी प्रतिबद्धता सौ फीसदी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अपने चैंबर में नेता सदन और विपवक्ष के नेता के साथ बैठक की जिसमें कई और फ्लोर लीडर्स भी मौजूद थे। देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता हमारे लिए सर्वोच्च है। हम के भीतर या बाहर, किसी भी ताकत को हमारी एकता, अखंडता और संप्रभुता से खिलावाड़ करने की अनुमति नहीं दे सकते। हम एक राष्ट्र के रूप में देशविरोधी ताकतों से लड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं।