मुख्यमंत्री की पहल से पर्यटन के क्षेत्र में मिला जशपुर को नया आयाम ,अब पर्यटन वेबसाइट के माध्यम से पर्यटन प्रेमियों को जशपुर के नैसर्गिक जगहों की मिलेगी जानकारी

वैश्विक पर्यटन के नक्शे में जशपुर जिले का शामिल होना सभी प्रदेशवासियों के लिए गर्व का विषय – मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय

रायपुर । मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ को पर्यटन के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए सार्थक प्रयास किए जा रहे हैं और उसका सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल रहा है। अब देशभर के पर्यटन प्रेमी जशपुर की हरी-भरी वादियों की जानकारी के लिए पर्यटन वेबसाइट www.easemytrip.com का उपयोग कर सकते हैं। जशपुर पर्यटन वेबसाइट में शामिल होने वाला प्रदेश का पहला जिला बन गया है। अब पर्यटन वेबसाइट के माध्यम से पर्यटन प्रेमियों को जशपुर के नैसर्गिक जगहों की जानकारी आसानी से मिलेगी।

मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए कहा है कि वैश्विक पर्यटन के नक्शे में जशपुर जिले का शामिल होना सभी प्रदेशवासियों के लिए गर्व का विषय है। छत्तीसगढ़ में पर्यटन के क्षेत्र को समृद्ध बनाने हेतु हमारी सरकार कृत संकल्पित है। उल्लेखनीय है कि जिला प्रशासन द्वारा जशपुर में पर्यटन को बढ़ावा देने के क्षेत्र में अनेक गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं। छत्तीसगढ़ के उत्तरी भाग में स्थित जशपुर जिला शहरी जीवन शैली से और भागदौड़ की जिंदगी से सुकून का अहसास दिलाता है। प्रकृति को नजदीक से जानने के लिए जशपुर एक आदर्श स्थान है। चाहे वह हरे-भरे चाय बागान हो , रॉक क्लाइम्बिंग का रोमांच हो, आदिवासी समुदायों की जीवंत परंपराओं को नजदीक से जानना हो, जशपुर हर यात्री के लिए एक अनूठा अनुभव प्रदान करता है। अपने मनमोहक परिदृश्य, ठंडी जलवायु और आदिवासी संस्कृति, रीति रिवाज, रहन-सहन, खान-पान, पारंपरिक व्यंजन और आत्मीयता से समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के साथ, जशपुर एक ऐसा अनुभव प्रदान करता है जो यात्रा के बाद लंबे समय तक पर्यटकों के साथ रहता है। जशपुर में रूकने के लिए एक सुंदर और आकर्षक सुविधा युक्त सरना एथनिक रिज़ॉर्ट है। जशपुर में दमेरा, देशदेखा, चाय बगान, सोगड़ा आश्रम, रानीदाह, बगीचा विकास खंड में कैलाश गुफा, खुडियारानी,राजपुरी ,दनगरी , मकरभंजा , कुनकुरी विकास खंड में एशिया का सबसे दूसरा बड़ा चर्च, मधेश्वर पहाड़ सबसे बड़ा शिवलिंग, मयाली नेचर कैम्प आदि बहुत सारे पर्यटन स्थल का आनंद लिया जा सकता है।