UK :वर्क फ्रॉम होम मांगने पर प्रेग्नेंट महिला को नौकरी से निकाला,एम्प्लॉयमेंट ट्रिब्यूनल ने 1 करोड़ मुआवजे का दिया आदेश …

एजेंसी। ब्रिटेन के एम्प्लॉयमेंट ट्रिब्यूनल (Employment Tribunal ) ने एक गर्भवती महिला को उसके बॉस द्वारा अनुचित तरीके से नौकरी से निकाले जाने के बाद 93,000 पाउंड (करीब ₹1 करोड़ रुपये) का मुआवजा देने का आदेश दिया है।

ब्रिटिश अखबार इंडिपेंडेंट के अनुसार, महिला के एम्प्लॉयर अम्मार कबीर (Ammar Kabir) ने उसे बिजनेस में आ रही परेशानियों और ऑफिस में काम करने वाले कर्मचारी की आवश्यकता का हवाला देते हुए टेक्स्ट मैसेज के जरिए से नौकरी से निकाल दिया था। एम्प्लॉयमेंट ट्रिब्यूनल ने टेक्स्ट मैसेज के जरिए महिला को नौकरी से निकाले जाने को अनुचित ठहराया।

‘वर्क फ्राम होम’ मांगने के बाद नौकरी से निकाला

बता दें कि कबीर ने यह फैसला प्रेग्नेंट महिला एम्प्लॉई द्वारा ‘वर्क फ्राम होम’ की सुविधा मांगने के बाद लिया था। दरअसल, महिला एम्प्लॉई पाउला मिलुस्का (Paula Miluska) प्रेग्नेंट थी और सीवियर मॉर्निंग सिकनेस बीमारी के कारण घर से काम करने का अनुरोध किया था। लेकिन, कंपनी ने उसकी मांग का दरकिनार करते हुए उसे नौकरी से ही निकाल दिया। टर्मिनेशन मैसेज के अंत में एक ‘जैज हैंड्स’ इमोजी दर्शाया गया था, जिसमें फैली हुई हथेलियों के साथ एक मुस्कुराता हुआ चेहरा दिखाया गया था।

एम्प्लॉयमेंट ट्रिब्यूनल ने 1 करोड़ मुआवजे का दिया आदेश

जब यह मामला एम्प्लॉयमेंट ट्रिब्यूनल के पास आया तो उसने फैसला सुनाते हुए कहा कि बर्मिंघम स्थित रोमन प्रॉपर्टी ग्रुप लिमिटेड से महिला की अनुचित बर्खास्तगी का कारण उसकी प्रेग्नेंसी थी, इसलिए उसे 93,616.74 पाउंड (करीब 1 करोड़ रुपये) का मुआवजा दिया जाय। मिलुस्का रोमन प्रॉपर्टी ग्रुप लिमिटेड में एक निवेश सलाहकार के तौर पर काम कर रही थी। जिसे अक्टूबर 2022 में अपनी प्रेग्नेंसी के बारे में पता चलने के बाद मॉर्निंग सिकनेस बीमारी का अनुभव होने लगा। जी मिचलाने (Nausea) की बढ़ती समस्या के कारण उसने अपनी दाई (Midwife) की सलाह का हवाला देते हुए घर से काम करने का अनुरोध किया था।

एम्प्लॉई ने आवदेन में कही थी यह बात

मिलुस्का ने अपने आवेदन में लिखा था, ‘दाई का मानना है कि इस समय अगर मैं घर से काम कर सकती हूं तो यह सबसे अच्छा होगा क्योंकि अगले दो सप्ताह आमतौर पर हार्मोन के कारण प्रेग्रनेंसी में जी मिचलाने (Nausea) की समस्या चरम पर होती है। साथ ही उन्होंने बताया था कि जब मैं काम पर वापस आउंगी तो आपको स्वास्थ्य और सुरक्षा मूल्यांकन करने की आवश्यकता होगी और मुझे इस बारे में कुछ भी पता नहीं है।

ट्रिब्यूनल ने क्या कहा?

ट्रिब्यूनल के न्यायाधीश ने कहा कि जब कबीर ने मिलुस्का से पूछा कि वह कैसा महसूस कर रही हैं इसके बाद 26 नवंबर तक दोनों के बीच कोई अन्य टेक्स्ट मैसेज नहीं आया। इसके बाद अगले दिन शाम को कबीर ने मिलुस्का से पूछा कि क्या वह अगले सप्ताह तक कुछ दिन और काम कर सकती हैं। हालांकि, कबीर ने मिलुस्का को काम के घंटे में कमी करने का आश्वासन दिया था। लेकिन, ट्रिब्यूनल ने इस अनुरोध को असंवेदनशील माना। कबीर ने ट्रिब्यूनल के सामने बताया के उनकी कंपनी को मिलुस्का की छुट्टी को कवर करने के लिए उन्हें कुछ दिन और काम करने की आवश्यकता थी इसलिए उसने मिलुस्का को यह काम के घंटे में कमी करने का ऑफर दिया था। इसके बाद ट्रिब्यूनल ने कहा कि यह सिर्फ एक बहाना था और मिलुस्का को उनकी प्रेग्नेंसी की वजह से ही टर्मिनेट किया गया।