कोरबा। माटी अधिकार मंच ने जिला खनिज न्यास (डीएमएफ) की राशि का लाभ खनन से प्रत्यक्ष प्रभावित परिवारों तक पहुंचाने के लिए जिला कलेक्टर से मांग की है। मंच का कहना है कि खनन क्षेत्रों में रहने वाले लोग रोजगार, पेयजल, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं, जबकि डीएमएफ को अरबों रुपये की राशि प्राप्त हुई है। मंच ने आरोप लगाया कि इस राशि का दुरुपयोग हो रहा है और इसका लाभ प्रभावित समुदायों तक नहीं पहुंच रहा। मांगें पूरी न होने पर मंच ने 17 अर्जित ग्रामों के साथ वृहद आंदोलन की चेतावनी दी है।
माटी अधिकार मंच की प्रमुख मांगें👇


👉प्रत्यक्ष प्रभावितों की पहचान:
ग्राम सभा के माध्यम से प्रत्यक्ष प्रभावित व्यक्तियों और परिवारों की पहचान कर उन्हें डीएमएफ राशि का लाभ सुनिश्चित किया जाए।
👉सोशल ऑडिट:
DMF राशि से किए गए कार्यों की वास्तविक स्थिति का आकलन करने के लिए पारदर्शी सोशल ऑडिट कराया जाए।
👉राशि का संरक्षण:भविष्य में खनन क्षेत्र के लोगों के कल्याण के लिए डीएमएफ
राशि का एक निश्चित हिस्सा संरक्षित किया जाए।
👉जागरूकता अभियान: खनन प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को DMF के उद्देश्यों, लाभों और उनके अधिकारों के बारे में जागरूक किया जाए।
माटी अधिकार मंच के अध्यक्ष बृजेश कुमार ने कहा, ‘डीएमएफ फंड के करोड़ों रुपये प्रत्यक्ष प्रभावित लोगों के कल्याण के लिए खर्च होने चाहिए, लेकिन लंबे समय से हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया। हमने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है। यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई तो चैनपुर, आमगांव, बैलटकारी, हरदीबाजार, सराईसिंगर, सरायपाली, पाली, पडनिया, जटराज सहित 17 अर्जित ग्रामों के लोग उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।’
ग्रामीण सूर्यभान सिंह कंवर ने बताया, ‘नियमों के अनुसार, डीएमएफ राशि खनन प्रभावित क्षेत्रों के विकास के लिए उपयोग होनी चाहिए, लेकिन 10 साल बाद भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। यह एक गंभीर सवाल उठाता है कि राशि का उपयोग कहां हो रहा है।’