कोरबा। समस्त संभागायुक्त, कलेक्टर और जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को प्रमुख सचिव आदिम जाति विकास विभाग अनुसूचित जाति विकास विभाग पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक विकास विभाग सोनमणि बोरा ने निर्देश जारी किया है। श्री बोरा ने सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत का प्रभार अन्य अधिकारियों को नहीं दिये जाने के संबंध दिशा निर्देश दिए हैं।
निर्देश में कहा गया है कि सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास का पद सभी जिलों में सेटअप के अनुसार स्वीकृत है।विभाग की सभी योजनाओं का क्रियान्वयन जिलों में सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास के माध्यम से किया जाता है। यह पद प्रथम श्रेणी का है एवं शासन की विभागीय योजनाओं के लिए मुख्य कड़ी है। शासन स्तर से विभागीय अधिकारियों की पदस्थापना की जाती है,विभागीय अधिकारी होने के कारण इन्हें विभाग की समस्त योजनाओं की जानकारी अन्य विभाग के अधिकारियों की अपेक्षा अधिक रहता है, जिससे योजनाओं में पारदर्शिता एवं जिम्मेदारी के साथ कार्य सुचारू रूप से संपन्न किये जाते हैं। मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जनपद पंचायत राज्य के 85 अनुसूचित क्षेत्र के जनपद पंचायतों में पद स्वीकृत है, जो द्वितीय श्रेणी का पद है। जिनका चयन छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के माध्यम से किया जाता है। जनपद पंचायतों द्वारा अनुसूचित जाति/जनजाति वर्गों के विकास संबंधी सभी योजनाओं का जनपद स्तर पर महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में क्रियान्वयन किया जाता है। कलेक्टर / मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत द्वारा शासन के बिना संज्ञान में लाए विभाग द्वारा पदस्थ किये गये सहायक आयुक्त एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जनपद पंचायत को अपने स्तर से प्रभार बदल दिया जाता है, जो कि प्रशासनिक दृष्टिकोण से उचित नहीं है। सहायक आयुक्त एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को जनपद पंचायत के प्रभार से हटाये जाने पर न्यायालयीन प्रकरण की स्थिति निर्मित होती है एवं उनके स्थापना संबंधी प्रकरणों के निराकरण में व्यवधान उत्पन्न होता है, जो शासनहित में नहीं है।
अपरिहार्य परिस्थितियों में अनुमोदन उपरांत ही कर सकेंगे आगामी कार्यवाही
निर्देश में कहा गया है कि अपरिहार्य परिस्थितियों में यदि जिला स्तर से किसी सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास/ मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत को प्रभार से हटाकर किसी अन्य अधिकारी को सौंपा जाना है, तो उसका औचित्यपूर्ण प्रस्ताव शासन को प्रेषित करते हुए आवश्यक अनुमोदन उपरांत ही आगामी कार्यवाही की जाये।भविष्य में उक्त निर्देशों का पालन सुनिश्चित किया जाए अन्यथा की स्थिति में किसी भी प्रकार के न्यायालयीन प्रकरण, अन्य विवाद एवं कार्य निष्पादून संबंधी समस्या / विवाद के लिये जिम्मेदारी निर्धारित करते हुए कार्यवाही प्रस्तावित की जाएगी।