पुरानी पेंशन व्यवस्था दोबारा से लागू होगी या जारी रहेगा एनपीएस, असमंजस पर केंद्र सरकार ने दिया ये जवाब

सार वित्त मंत्रालय ने अपने जवाब में कहा है कि इस विषय पर दोबारा वही दोहराया जा रहा है कि पुरानी पेंशन व्यवस्था को मौजूदा परिदृश्य में लागू नहीं किया जा सकता। मंत्रालय ने यह भी कहा है कि पुरानी पेंशन स्कीम भारत सरकार की एक परिभाषित स्कीम रही है, जबकि एनपीएस अंशदायी योजना है…

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केंद्र सरकार और विभिन्न राज्यों के करीब पौने चार करोड़ सरकारी कर्मचारी, जो राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के दायरे में आते हैं, अब वे सभी पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने की मांग कर रहे हैं। सरकारी कर्मियों का मानना है कि रिटायरमेंट के बाद जो आर्थिक सुरक्षा पुरानी पेंशन व्यवस्था के तहत मिलती है, वह एनपीएस में दिखाई नहीं पड़ती।

केंद्रीय कर्मियों की मांग को लेकर जेसीएम ‘स्टाफ साइड’ की राष्ट्रीय परिषद के सचिव शिवगोपाल मिश्रा ने केंद्र सरकार से आग्रह किया था कि उन सभी महकमों में पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू कर दी जाए, जहां पर एक जनवरी 2004 या इसके बाद ज्वाइन करने वाले सभी कर्मियों को एनपीएस में शामिल किया गया था।

वित्त मंत्रालय ने अपने जवाब में कहा है कि इस विषय पर दोबारा वही दोहराया जा रहा है कि पुरानी पेंशन व्यवस्था को मौजूदा परिदृश्य में लागू नहीं किया जा सकता। मंत्रालय ने यह भी कहा है कि पुरानी पेंशन स्कीम भारत सरकार की एक परिभाषित स्कीम रही है, जबकि एनपीएस अंशदायी योजना है।

बता दें कि सेना को छोड़कर बाकी सभी मंत्रालयों एवं विभागों में एक जनवरी 2004 से राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली लागू की गई थी। रेलवे, पोस्ट, बैंक और रिटायर्ड केंद्रीय अर्धसैनिक बलों सहित देश की करीब 28 बड़ी कर्मचारी एसोसिएशन, केंद्र सरकार पर पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल करने का दबाव बन रही हैं। इसी के तहत देशभर में कई जगहों पर विरोध-प्रदर्शन भी हो रहे हैं।

वित्त मंत्रालय ने शिवगोपाल मिश्रा को दिए जवाब में कहा है कि पश्चिम बंगाल को छोड़कर देश के बाकी सभी राज्यों में एनपीएस लागू किया गया है। यह केंद्र सरकार का एक नीतिगत निर्णय था। पुरानी पेंशन व्यवस्था से सरकार पर आर्थिक दबाव पड़ रहा था। पेंशन और विकास, ये दोनों खर्च आपस में तालमेल नहीं खा रहे थे। सरकार के लिए इन दोनों के बीच सामंजस्य बैठाना जरूरी था। एनपीएस को प्रशासनिक तौर पर पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण द्वारा संचालित किया जा रहा है।

एनपीएस को मार्केट से जोड़ा गया है, जहां इसका रिटर्न बाजार व्यवस्था और प्रदर्शन पर निर्भर करता है। इसमें कोई गारंटी नहीं है कि इतना रिटर्न तो मिलेगा ही। मतलब, अंतर्निहित और प्रकट तौर पर लाभ के बारे में कुछ तय नहीं होता। इसमें संचय राशि का विवेकपूर्ण और प्रूडेंशियल तरीके से निवेश किया जाता है। प्रयास यह होता है कि कर्मियों को उनकी राशि पर ज्यादा रिटर्न मिल जाए।

पुरानी पेंशन व्यवस्था, परिभाषित स्कीम रही है। उसमें लाभ भी परिभाषित होता था। एनपीएस में जमा संचय राशि पर जो रिटर्न आता है, उसमें कई तत्वों का योगदान होता है। जैसे राशि कितनी है, कर्मचारी की आयु, कितने समय तक संचय होगा, निवेश का पैटर्न और उपामार्जित आय आदि बातें देखनी पड़ती हैं। मौजूदा परिस्थितियों में पुरानी पेंशन व्यवस्था को लागू करना संभव नहीं है।