एसईसीएल की अनदेखी ,एक दशक से अटका गेवरा बस्ती का अधिग्रहण ,आंदोलन की चेतावनी ….

कोरबा। सार्वजनिक क्षेत्र के वृहद उपक्रम कोल् इंडिया के अधीन संचालित एसईसीएल बिलासपुर की कोरबा-पश्चिम क्षेत्र में स्थापित खुले मुहाने की गेवरा कोयला परियोजना अंतर्गत एसईसीएल की मेगा परियोजना अंतर्गत एसईसीएल कुसमुंडा खदान का विस्तार करने एरिया प्रबंधन ने खोडरी से खनन कार्य शुरू कराया है। गेवरा बस्ती की जमीन खोडरी गांव से लगा हुआ है। ऐसे में खनन कार्य से गेवरा बस्तीवासियों की परेशानी बढ़ेगी।
जिनकी जमीन लगभग 11 साल पहले अधिग्रहित करने के बाद प्रबंधन ने प्रक्रिया में अटक गयी है। तीन वार्ड के पार्षदों ने गेवरा बस्ती के अधिग्रहण की प्रक्रिया जल्द पूरी कर मुआवजा, बसाहट व रोजगार के प्रकरणों का निपटारा नहीं करने पर घेराव आंदोलन की चेतावनी दी है।

एसईसीएल कुसमुंडा एरिया कार्यालय में सौंपे ज्ञापन में नगर पालिका बांकीमोंगरा के वार्ड क्रमांक 27 गेवरा बस्ती के पार्षद इंद्रजीत बिंझवार, वार्ड 24 चुनचुनी बस्ती के पार्षद राजकुमार कंवर, वार्ड 26 बरपाली-2 के पार्षद प्यारेलाल दिवाकर ने कहा है कि गेवरा बस्ती के अधिग्रहण के बाद भू-अर्जन संबंधी पत्र का अनुपालन नहीं किया गया है।
दूसरी ओर गेवरा बस्ती से लगे ग्राम खोडरी की जमीन पर कुसमुंडा खदान का विस्तार करने मिट्‌टी का खनन कार्य शुरू कर दिया है। इससे गेवरा बस्ती के लोग प्रभावित होंगे। बस्ती का भू-जल स्तर गिरेगा।
खोडरी के नजदीक होने से बस्तीवासी हैवी ब्लॉस्टिंग के कारण परेशान होंगे। खेती-किसानी कार्य में भी बाधा आएगी। इस तरह खोडरी फेस से खनन कार्य शुरू कराने प्रबंधन के निर्णय से सीधे प्रभावित होंगे। गेवरा बस्ती के लोगों को रोजगार, मुआवजा देकर अन्यत्र स्थल पर विस्थापित करने प्रबंधन से मांग की है। इसमें देरी किए जाने पर जीएम दफ्तर का घेराव आंदोलन की चेतावनी दी है।
कानकारी के अनुसार गेवरा बस्ती का पत्रक तैयार किए जाने के बाद त्रुटि सुधार संबंधी आवेदन लिया गया है। जबकि एसईसीएल ने 11 साल पहले जमीन का अधिग्रहण किया है। दूसरी ओर खोडरी के अधिग्रहण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के बाद अब खनन भी शुरू कर दिया है।
कुसमुंडा खदान को 75 मिलियन टन उत्पादन की मंजूरी कुसमुंडा खदान के 75 मिलियन टन के प्रस्ताव को कोल इंडिया के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने मंजूरी दे दी है। देश में कोयले की मांग को पूरा करने एसईसीएल ने कोल इंडिया को यह प्रस्ताव भेजा था। कोल इंडिया अब इस प्रस्ताव को केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के पास भेजकर पर्यावरणीय मंजूरी लेगी। अनुमति मिलने पर कुसमुंडा खदान सालाना 75 मिलियन टन कोयला उत्पादन का अधिकार भी मिल जाएगा।