राज्य सूचना आयोग को हल्के में लेना पड़ा भारी ,डीएफओ को शासन ने जारी किया नोटिस ,सेवाओं में कमी कर 94 हजार पेज के दस्तावेज निःशुल्क देने के फैसले को दी थी चुनौती …

रायपुर । कई आईएफएस अधिकारियों को पेनल्टी अधिरोपित होने के बावजूद अमून वन विभाग के जन सूचना अधिकारी सूचना आयोग को हल्के में ही लेते हैं। पेनल्टी लगने उपरान्त कई अधिकारियों ने कोर्ट से स्टे ले रखा है। परंतु भूल जाते हैं कि सूचना आयोग के पास दूसरी तलवार भी है। ऐसे ही एक प्रकरण में पंकज राजपूत तत्कालीन वनमंडल अधिकारी महासमुंद वर्तमान पदस्थापना खैरागढ़ वनमंडल के विरुद्ध सूचना आयोग के आदेश उपरान्त मंत्रालय वन एंव जलवायु परिवर्तन विभाग ने अखिल भारतीय सेवा (अनुशासन एव अपील) नियम 1969 के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही प्रारंभ करने के लिए शो कॉज नोटिस जारी कर 15 दिवस में जवाब माँगा है।

दरअसल जनवरी 2020 में रायपुर के आवेदक नितिन सिंघवी ने महासमुंद वनमंडल से हाथी द्वारा जनहानि और धनहानि की जानकारी के दस्तावेज मांगे थे। तत्कालीन जन सूचना अधिकारी सह डीएफओ श्री मयंक पाण्डेय द्वारा जवाब दिया गया कि दस्तावेज विशालकाय है, आकर अवलोकन कर लें, अवलोकन के पश्चात चिन्हित दस्तावेज निशुल्क प्रदाय कर दिए जायेंगे। मामला सूचना आयोग पंहुचा (प्रकरण क्र.ए/3066/2020)। सुनवाई के दौरान दिनांक 15.02.2021 को आयोग को जन सूचना अधिकारी ने बताया गया कि जानकारी 94928 पेज में हो सकती है। आयोग ने आदेशित किया कि आवेदक को दस्तावेज मांगे जाने पर अवलोकन हेतु बाध्य नहीं किया जा सकता। आवेदक द्वारा चाही गई जानकारी निशुल्क प्रेषित करें। और प्रधान मुख्य वन संरक्षक को शासन पर निशुल्क सूचना प्रदाय किये जाने वाले दस्तावेजों की लागत दोषी अधिकारी से वसूल कर शासन के कोष में जमा करने के आदेश दिए।

अगली सुनवाई में क्या हुआ👇

अगली सुनवाई तक 2020 में महासमुंद वन मण्डल में पदस्त रहे डीएफओ मयंक पांडे का तबादला बालोद हो गया और नए डीएफओ पंकज राजपूत आये, जो अब खैरागढ़ वन मण्डल में पदस्त हैं। उन्होंने आयोग को 28.08.2021 को निशुल्क सूचना प्रदाय करने के आयोग के आदेश के सम्बंध में बताया कि मत मांगे जाने उपरान्त महाधिवक्ता द्वारा आदेश के विरुद्ध उच्च न्यायलय बिलासपुर में अपील करने की अनुशंशा की है और कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। उन्होंने आयोग से 15 दिन का समय माँगा। जिस पर आयोग ने मान.उच्च न्यायलय बिलासपुर का स्थागन आदेश प्रस्तुत करने का आदेश दिए। परन्तु जन सूचना अधिकारी द्वारा बाद की दो सुनवाई दिनाक 17.09.2021 और 18.04.2022 में भी स्थागन आदेश प्रस्तुत नहीं किया जिस पर आयोग ने माना कि स्थागन आदेश प्रस्तुत न कर पाने के कारण प्रकरण अनावश्यक रूप से लंबित रहा और शासन से पंकज राजपूत के विरुद्ध 03.08.2022 को अनुशासनात्मक कार्यवाही की अनुशंशा की।

2022 के आदेश पर 2025 में कार्यवाही 👇

आयोग के आदेश के बावजूद पंकज राजपूत के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की जाने की जानकारी सूचना आयोग के समक्ष 2025 में लाने के बाद अवर सचिव सूचना आयोग द्वारा शासन से सूचना आयोग के आदेश के पालन प्रतिवेदन की मांग की। जिसके पश्चात मंत्रालय वन एंव जलवायु विभाग द्वारा 11.07.2025 को पंकज राजपूत वर्तमान पदस्थापना खैरागढ़ वनमण्डल कर्तव्यों में लापरवाही बरतने के कारण शो कॉज नोटिस जारी कर 15 दिवस में जवाब माँगा है। नोटिस में लिखा गया है कि आपके द्वारा अपने कर्तव्यों के निष्पादन में लापरवाही बरती गई जो अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम 1968 के नियम 3 का उल्लंघन है। अतः कारण बताएं कि क्यों ना उक्त कृत के लिए आपके विरुद्ध अखिल भारतीय सेवा (अनुशासन एवं अपील) नियम 1969 के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही कार्यवाही प्रारंभ की जावे?