गणेशोत्सव : कटघोरा में 111 फुट पद्मनाभस्वामी मंदिर पंडाल बनेगा आकर्षण का केंद्र , विराजेंगे 21 फुट ऊंचे गजानन ,20 अगस्त को भव्य शोभायात्रा के साथ होगा कटघोरा के राजा का स्वागत

कोरबा -कटघोरा । कटघोरा नगर में गणेशोत्सव के आगमन को लेकर उत्साह अपने चरम पर है। बीते कई वर्षों से “कटघोरा का राजा” के नाम से प्रसिद्ध जयदेवा गणेशोत्सव समिति लगातार भव्य आयोजन कर पूरे प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश में अपनी विशेष पहचान बनाने में सफल हो रही है। समिति द्वारा नगर के मुख्य चौराहे समीप स्थित रैन बसेरा प्रांगण में विशाल गणेश पंडाल और भगवान गणेश की भव्य प्रतिमा विराजमान की जाती है, जहाँ श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। समिति की खासियत यह है कि हर वर्ष यहाँ पर गणेशोत्सव के अवसर पर पंडालों को अलग-अलग ऐतिहासिक और धार्मिक स्वरूप प्रदान किया जाता है। इससे न केवल स्थानीय लोग बल्कि दूर-दराज़ के श्रद्धालु भी कटघोरा पहुँचते हैं।

पिछले वर्षों की बात करें तो समिति ने अयोध्या के श्रीराम मंदिर की भव्य झांकी तैयार कर पूरे छत्तीसगढ़ में सुर्खियाँ बटोरी थीं। वहीं, बीते वर्ष वृंदावन के प्रेम मंदिर का अद्भुत स्वरूप तैयार किया गया, जिसने लोगों के हृदय में गहरी छाप छोड़ी। श्रद्धालुओं ने उस पंडाल को देखकर स्वयं को मानो वृंदावन धाम में अनुभव किया। इस वर्ष भी समिति कुछ ऐसा विशेष तैयार करने में जुटी हुई है, जो नगरवासियों को नई भक्ति अनुभूति और भव्यता का एहसास कराएगा। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि जयदेवा गणेशोत्सव समिति द्वारा किए जाने वाले इन प्रयासों ने कटघोरा को धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों का प्रमुख केंद्र बना दिया है।

गणेशोत्सव के दौरान न केवल धार्मिक अनुष्ठान और पूजा-पाठ किए जाते हैं, बल्कि सांस्कृतिक कार्यक्रम, भजन संध्या, और सामाजिक जागरूकता से जुड़े आयोजन भी होते हैं। समिति के सदस्य बताते हैं कि उनका उद्देश्य केवल भव्य आयोजन करना नहीं, बल्कि समाज में एकता, भक्ति और संस्कारों को बढ़ावा देना भी है।

कटघोरा नगर में गणेश भक्तों के लिए खुशखबरी है। इस वर्ष गणेशोत्सव का शुभारंभ 27 अगस्त से होने जा रहा है, और इसकी तैयारियाँ जयदेवा गणेशोत्सव समिति ने पूरे जोश और श्रद्धा के साथ शुरू कर दी हैं। “कटघोरा का राजा” के नाम से प्रसिद्ध यह आयोजन हर साल अपनी भव्यता और आकर्षण से लोगों के दिलों में खास जगह बनाता है।

111 फुट ऊँचे पंडाल में झलकेगा पद्मनाभस्वामी मंदिर 👇

इस वर्ष समिति ने केरल के तिरुअनन्तपुरम स्थित भगवान विष्णु के प्रसिद्ध पद्मनाभस्वामी मंदिर का आकर्षक स्वरूप पंडाल में प्रस्तुत करने का निर्णय लिया है। 111 फुट ऊँचा यह पंडाल न केवल नगरवासियों बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के श्रद्धालुओं के लिए आस्था और आकर्षण का केंद्र बनेगा। पंडाल निर्माण का कार्य कलकत्ता से आए निपुण कारीगरों द्वारा युद्धस्तर पर किया जा रहा है, ताकि गणेशोत्सव के प्रारंभ तक इसे पूरी भव्यता के साथ तैयार किया जा सके।

21 फुट ऊँची प्रतिमा बनेगी आकर्षण का केंद्र👇

“कटघोरा का राजा” की 21 फुट ऊँची विशाल और आकर्षक प्रतिमा छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के ग्राम थनौद स्थित प्रसिद्ध राधे आर्ट गैलरी में निर्मित हो रही है। इस प्रतिमा का नगर आगमन 20 अगस्त को होगा। उस दिन इसे आकर्षक और भव्य शोभायात्रा के साथ पूरे नगर में घुमाते हुए श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ प्रस्तुत किया जाएगा। नगरवासी इस शोभायात्रा को लेकर गहरी उत्सुकता और उत्साह जता रहे हैं।

20 अगस्त को भव्य शोभायात्रा के साथ कटघोरा का राजा का होगा स्वागत👇

जयदेवा गणेशोत्सव समिति इस वर्ष 20 अगस्त को नगर में ऐतिहासिक और भव्य शोभायात्रा का आयोजन करने जा रही है। कसनिया से प्रारंभ होकर नगर के मुख्य मार्गों से गुजरने वाली इस शोभायात्रा का आकर्षण रहेगा कटघोरा का राजा की विशाल प्रतिमा का नगर आगमन। इस अवसर पर शोभायात्रा में हनुमान जी की झांकी, शंखनाद, तथा गोंदिया (महाराष्ट्र) से आए प्रसिद्ध भवानी ढोल पाठक और दुर्ग की गौरी कृपा धुमाल पार्टी विशेष आकर्षण का केंद्र होंगे। शोभायात्रा के नगर प्रवेश पर शहीद वीर नारायण चौक पर भव्य स्वागत मंच का आयोजन इवेंट वाला द्वारा किया जाएगा। साथ ही, रंग-बिरंगी छटा बिखेरते हुए स्केटिंग द्वारा रंगोली कलाकार अपनी विशेष प्रस्तुति देंगे। नगर के मुख्य चौराहे पर ध्वज परिवर्तन कार्यक्रम भी संपन्न होगा।

शाम को शोभायात्रा में जोश और उमंग बढ़ाने के लिए एमबी साउंड बालको और गौरी कृपा डीजे कटघोरा की धुनें गूंजेंगी। कार्यक्रम के समापन पर भव्य आतिशबाजी से आकाश जगमगा उठेगा। हर वर्ष की तरह इस बार भी शोभायात्रा में न केवल नगरवासी, बल्कि आसपास के क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु और लोग शामिल होकर कटघोरा के राजा का स्वागत करेंगे।

आस्था और संस्कृति का संगम👇

जयदेवा गणेशोत्सव समिति ने पिछले वर्षों में अयोध्या के श्रीराम मंदिर और वृंदावन के प्रेम मंदिर का भव्य स्वरूप प्रस्तुत कर पूरे प्रदेश में अपनी अलग पहचान बनाई थी। इस बार पद्मनाभस्वामी मंदिर की थीम ने श्रद्धालुओं के उत्साह को दोगुना कर दिया है। समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि इस आयोजन का उद्देश्य केवल भव्य पंडाल और प्रतिमा तैयार करना नहीं, बल्कि लोगों में भक्ति, सामाजिक एकता और सांस्कृतिक मूल्यों को प्रोत्साहित करना भी है।