रायगढ़ । तमनार तहसील का सामाजिक और आर्थिक नक्शा बदलने वाली एक बड़ी योजना अब हकीकत बनने की ओर है। महाराष्ट्र राज्य पॉवर जनरेशन कंपनी लिमिटेड (महाजेनको) की महत्वाकांक्षी गारे पल्मा सेक्टर-II (जीपी-II) कोयला खदान परियोजना से रायगढ़ के 14 गाँवों के करीब 4000 परिवार करोड़पति बनने की राह पर हैं।
4000 परिवारों को करोड़ों का मुआवजा👇
इस परियोजना में करीब 2000 हेक्टेयर निजी भूमि अधिग्रहित की जाएगी। इसके बदले ज़मीन मालिक परिवारों को प्रति एकड़ 35 लाख रुपए का मुआवजा और 2435 करोड़ रुपए का पुनर्वास एवं पुनःस्थापन पैकेज (R&R) मिलेगा। पैकेज में आवास, इंफ्रास्ट्रक्चर और आवश्यक सुविधाएँ शामिल होंगी, ताकि प्रभावित परिवारों का भविष्य सुरक्षित हो सके।
7500 करोड़ का निवेश और रोजगार के अवसर👇

महाजेनको इस परियोजना में 7500 करोड़ रुपए का निवेश करेगी। खदान से 3400 प्रत्यक्ष और हजारों अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होंगे। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को नया बल मिलेगा। ग्रामीण पहले से ही आवास, खानपान और अन्य व्यवसायों में निवेश कर रहे हैं।
बिजली उत्पादन और राष्ट्रीय योगदान👇
यह खदान हर साल 23.6 मिलियन टन कोयला उत्पादन करेगी, जिससे राष्ट्रीय ग्रिड को 3200 मेगावाट से अधिक बिजली मिलेगी। महाराष्ट्र के चंद्रपुर (1000 मेगावाट), कोराडी (1980 मेगावाट) और पारली (250 मेगावाट) थर्मल पॉवर प्लांट को सीधा लाभ होगा।
परियोजना के जीवनकाल में महाजेनको लगभग 30,000 करोड़ रुपए रॉयल्टी, जीएसटी और अन्य करों के रूप में राज्य और केंद्र सरकारों को देगी।
ग्रामीणों में उत्साह👇
ढोलनारा गाँव के एक ग्रामीण ने कहा, “हम वर्षों से विकास का इंतजार कर रहे थे। यह योजना सिर्फ पैसों के लिए नहीं, बल्कि गरिमा और बेहतर भविष्य के लिए है।”
सरैटोला के एक किसान ने जोड़ा, “मैंने कभी नहीं सोचा था कि जमीन बेचकर करोड़पति बन जाऊँगा। अब अपने बच्चों को अच्छे स्कूलों में पढ़ाऊँगा और नया व्यवसाय शुरू करूँगा।”
पर्यावरणीय पहल👇
पर्यावरणीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए महाजेनको ने 2256.60 हेक्टेयर भूमि पर 56 लाख पौधे लगाने का संकल्प लिया है। अगले 32 वर्षों में स्थानीय प्रजातियों के पेड़ 1 हेक्टेयर में 2500 पेड़ की घनत्व से लगाए जाएंगे। यह कंपनी की दीर्घकालिक स्थिरता रणनीति का हिस्सा है।
समावेशी विकास का मॉडल👇
महाजेनको अधिकारियों का कहना है कि यह सिर्फ खदान परियोजना नहीं बल्कि ऊर्जा सुरक्षा, ग्रामीण विकास और सामुदायिक सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम है। स्थानीय समुदाय के समर्थन और प्रशासन के सहयोग से यह योजना समावेशी विकास का एक मॉडल बन सकती है।