कोरबा। जनसंघ के जमाने से राजनीति करते आ रहे भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठतम नेताओं में शुमार आदिवासी नेता पूर्व गृहमंत्री ननकी राम कंवर एक बार फिर अपनी ही सत्ता और संगठन में उपेक्षा का शिकार हुए हैं। अन्य मौकों की बात छोड़ दें तो आज, जबकि प्रदेश का लगभग समूचा मंत्रिमंडल मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट में आयोजित हुए मध्य क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण की बैठक में शामिल होने पहुंचा था, तब यहां प्रदेश के वरिष्ठतम अनुभवी और विशेषकर आदिवासी जिले में आदिवासी क्षेत्रो के विकास के लिए आयोजित महत्वपूर्ण बैठक में जिले के वरिष्ठतम आदिवासी नेता की अनुपस्थिति कई सवालों को जन्म देने लगी।
यह अलग बात है कि वे मध्य क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के ना तो सदस्य हैं और ना ही विधायक अथवा संगठन के किसी ओहदे पर,लेकिन कोरबा आदिवासी बाहुल्य जिला में जनता की आवाज हर वक्त बनने वाले आदिवासी नेता की इस तरह से उपेक्षा होगी यह उन्होंने खुद नहीं सोचा था। उन्होंने बताया कि बैठक के संबंध में किसी भी तरह का आमंत्रण उन्हें नहीं दिया गया था, यहां तक कि जिला संगठन के द्वारा मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की हेलीपैड पर अगवानी करने अथवा अन्य किसी भी तरह से उपस्थित होने संबंधी कोई भी आमंत्रण अथवा आग्रह नहीं किया गया, तो वे बिन बुलाए मेहमान की तरह कहीं कैसे जा सकते हैं।
मुख्यमंत्री जिले में, स्वागत तक के लिए नहीं पूछा
वैसे, यह पहला मौका नहीं बल्कि इससे पहले भी कई अवसर आए हैं जब उनकी पूछ परख नहीं हुई। उनके समर्थकों में इस बात को लेकर जहां नाराजगी है,वहीं संगठन के वरिष्ठ लोगों का भी मानना है कि जो हुआ वह गलत है। एक बार अगर जिला प्रशासन ने उन्हें अनदेखा किया तो यह संगठन की जिम्मेदारी थी कि वह अपने पार्टी के वरिष्ठतम पूर्व मंत्री को मुख्यमंत्री की अगवानी के लिए/ उनके स्वागत के लिए अग्रिम पंक्ति में खड़े होने के लिए बुलाया तक नहीं।संगठन में तो इस बात की भी सुगबुगाहट है कि रामपुर विधानसभा क्षेत्र में जिन लोगों ने बीतेचुनाव में ननकीराम कंवर को हराने के लिए भीतर घात किया, उन्हें जिला संगठन तवज्जो दे रहा है। ऐसे में इस बात को बल मिलता है कि क्या ननकी राम कंवर जो अपने बेबाक बयानबाजी के लिए जाने जाते हैं, उनकी आवाज को दबाने की मंशा से उन्हें हाशिए पर डालने की गरज से पूछ परख से दूर किया जा रहा है। संगठन के पास कहने को कुछ भी एक्सक्यूज हो सकता है लेकिन वह आम जनता व पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच ननकीराम के समर्थकों के बीच तैरने वाली बातों को आखिर किस हद तक उभरने से बचा पाएंगे.?
👉कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री ने जब उन्हें बुलाया

जब ननकी राम कंवर के उपेक्षा की बात चली तो एक समर्थक ने यह प्रसंग भी सामने लाया कि जब कांग्रेस की सरकार थी और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का रामपुर विधानसभा क्षेत्र के चिर्रा में कार्यक्रम आयोजित था। यहां जब उन्होंने मंच पर ननकी राम कंवर को नहीं देखा तो उन्होंने नाराजगी जाहिर की और अधिकारियों को फटकार लगाते हुए उनसे संपर्क कर बुलावा भेजा और फिर ननकीराम कार्यक्रम में शामिल हुए।
पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का मार्गदर्शन और उनकी उपस्थिति ही एक अलग संबल प्रदान करती है लेकिन जब ऐसे वरिष्ठ नेताओं को हाशिए पर डाला जाने लगे तो कहीं ना कहीं संगठन में फुट और कमजोर प्रदर्शन का खतरा बढ़ जाता है। चर्चा तो यह भी है कि ननकीराम कंवर को कमजोर करने के लिए सोची-समझी रणनीति के तहत उनके विरोधियों को हवा दी जा रही है।