जयपुर। देश में शिक्षित युवाओं की बेरोजगारी की भयावह तस्वीर राजस्थान में देखने को मिल रही है, जहां 10वीं पास के चपरासी पद के लिए PHD, M.Sc, B.Tech और ग्रेजुएट अभ्यर्थी तक परीक्षा देने को मजबूर हैं। 53,749 पदों के लिए करीब 25 लाख उम्मीदवारों ने आवेदन किया है, यानी हर एक पद के लिए लगभग 465 दावेदार।
जयपुर के गांधीनगर जैसे परीक्षा केंद्रों के बाहर, जहां अक्सर IAS या इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा के उम्मीदवारों की भीड़ होती थी, अब वही भीड़ चपरासी की परीक्षा के लिए उमड़ रही है। अधिकांश उम्मीदवार गांव, समाज और रिश्तेदारों से शर्मिंदगी के डर से कैमरे से बचते नजर आए। कुछ ने कहा, पढ़े-लिखे होने के बावजूद जब स्कूल में पानी पिलाने या घंटी बजाने का काम करना पड़े, तो खुद पर सवाल उठने लगते हैं।
👉पेपर लीक और सिस्टम की सबसे बड़ी विफलता
राजस्थान में शिक्षित बेरोजगारी की सबसे बड़ी वजह है, लगातार होती परीक्षा लीक की घटनाएं। वसुंधरा राजे और अशोक गहलोत सरकार के कार्यकाल में 30 से ज्यादा परीक्षाएं लीक हो चुकी हैं। कई योग्य अभ्यर्थी फर्जी सर्टिफिकेट, डमी कैंडिडेट, और घोटालों की भेंट चढ़ चुके हैं।
👉बीएड किया टीचर बनने के लिए,उम्र 30 पार चपरासी की नौकरी के लिए तैयार

सीकर से आए नरेंद्र बिजाणियां, जो M.Sc मैथ्स और B.Ed हैं, पिछले 5 वर्षों से पेपर लीक के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। अब, वे भी 30 की उम्र के करीब पहुंचकर चपरासी की नौकरी के लिए तैयार हैं।
👉परीक्षा का आयोजन और सुरक्षा
38 जिलों के 1,286 केंद्रों में परीक्षा करवाई (Peon Job) जा रही है। हर परीक्षा पाली में लगभग 4.1 लाख अभ्यर्थी भाग ले रहे हैं। पहले ही दिन 1,700 से ज्यादा डुप्लिकेट फोटो वाले उम्मीदवारों को परीक्षा से बाहर कर दिया गया। नाक, कान के गहने उतरवाए जा रहे हैं, अभ्यर्थी नंगे पांव परीक्षा केंद्र तक पहुंच रहे हैं ताकि नकल रोकी जा सके।