0 50 से अधिक 50 से अधिक सामाजिक संगठन के समर्थन का दावा
कोरबा। राज्योत्सव के अवसर पर कटघोरा को जिला घोषित करने की माँग एक बार फिर जोर पकड़ने लगी है। वर्षों से इस माँग को लेकर संघर्ष कर रहे अधिवक्ताओं और स्थानीय संगठनों ने एक बार फिर प्रशासन को ज्ञापन सौंपते हुए चेतावनी दी है कि यदि 1 नवंबर तक सरकार द्वारा कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।।
कटघोरा के अधिवक्ता संघ के प्रतिनिधियों ने मंगलवार को अनुविभागीय अधिकारी (SDM) को ज्ञापन सौंपते हुए कटघोरा को अलग जिला बनाए जाने की माँग की। ज्ञापन के माध्यम से यह आग्रह मुख्यमंत्री तक पहुँचाया गया है कि राज्योत्सव के दिन यानी 1 नवंबर को कटघोरा को जिला घोषित किया जाए। यह कोई नई माँग नहीं है। कोरोनाकाल से पहले भी अधिवक्ताओं और विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा इस माँग को लेकर कई महीनों तक धरना-प्रदर्शन किया गया था।।अब एक बार फिर यह माँग जोरों पर है, जिसमें 50 से अधिक सामाजिक संगठन और समुदाय समर्थन दे चुके हैं। ज्ञापन देने पहुंचे प्रतिनिधिमंडल में कई अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल थे, जिनमें प्रमुख रूप से भुवनेश्वर दीक्षित, नरेश अग्रवाल, पवन जायसवाल, यज्ञदत्त जायनाल, अमित सिन्हा, सोमदत्त, दिनेश निषाद, महेश कवर्त, रवि आहूजा, रजनी महंत, रेनू त्रिवेदी, व्यास नारायण, राजू भारद्वाज, बी.राम, नेपाल सिंह, दशरथ राहगर, खेमचंद नामदेव, पुरुषोत्तम महंत और सुरेश केडिया समेत बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक भी इस मुहिम में शामिल हुए।
👉भौगोलिक और सामाजिक आधार पर मजबूत दावेदारी
कटघोरा अनुविभाग क्षेत्रफल की दृष्टि से काफी बड़ा है, लेकिन बुनियादी सुविधाओं की स्थिति बेहद चिंताजनक है। यहाँ उच्च स्तर की शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं और रोजगार के पर्याप्त साधन उपलब्ध नहीं हैं, जिसके कारण क्षेत्र की अधिकांश जनसंख्या को अन्य जिलों या शहरों पर निर्भर रहना पड़ता है।
स्थानीय लोगों का मानना है कि यदि कटघोरा को जिला बनाया जाता है, तो इससे क्षेत्र में अधोसंरचना का विकास होगा और ग्रामीण व शहरी इलाकों के बीच की खाई भी कम होगी। अधिवक्ताओं ने आरोप लगाया कि पूर्ववर्ती सरकारों में जनप्रतिनिधियों द्वारा कटघोरा को जिला बनाने का वादा किया गया था, लेकिन चुनाव के बाद यह वादे धरे के धरे रह गए। अब जनता की अपेक्षा है कि वर्तमान सरकार इस माँग को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई करे।
👉1 नवंबर तक निर्णय नहीं आया तो होगा उग्र आंदोलन

अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष राजेश पाल ने कहा- पिछले दो वर्षों से कटघोरा को जिला बनाने की माँग को लेकर निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। हमने शांतिपूर्ण आंदोलन भी किया, लेकिन अभी तक कोई परिणाम नहीं मिला। यदि आगामी 1 नवंबर तक कटघोरा को जिला घोषित नहीं किया गया, तो अधिवक्ता संघ आंदोलन को और व्यापक रूप देने को विवश होगा।।
👉व्यावसायिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण से भी ज़रूरी है जिला गठन
स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि कटघोरा को यदि जिला का दर्जा दिया जाए, तो यहाँ व्यवसायिक गतिविधियों को भी नई पहचान मिलेगी और शासन-प्रशासन का संचालन अधिक प्रभावी होगा।अब देखना यह है कि राज्य सरकार इस माँग पर क्या रुख अपनाती है।क्या 1 नवंबर को कटघोरा को जिला बनने का सपना साकार होगा, या एक बार फिर आंदोलन की राह पकड़ी जाएगी?
