कोरबा । एसईसीएल दीपका प्रबंधन पर फिर बम फटा है — इस बार बारूद नहीं, “भ्रष्ट सुविधा” का! सूत्रों से मिली सनसनीखेज जानकारी के अनुसार, दीपका क्षेत्र के सरकारी क्वार्टर अब प्रबंधन के चहेतों, रिश्तेदारों, बाहरी शिक्षकों और ठेकेदारों के लिए “आरामगाह” बन चुके हैं। ये वही आवास हैं जो कोल कर्मियों के लिए बनाए गए थे — लेकिन अब वहाँ ऐसे लोग मजे में रह रहे हैं जिनका एसईसीएल से दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं!
जानकारी के मुताबिक, दीपका प्रबंधन ने अपने रसूखदार परिचितों को खुश करने के लिए आवास नियमों को कूड़ेदान में फेंक दिया है। विधायक प्रतिनिधि, ठेकेदार (जिनका कोई सक्रिय ठेका नहीं है), और बाहरी इलाके के शिक्षक — सभी को विभागीय अधिकारियों की “मौन स्वीकृति” से आवास दे दिए गए।
सबसे बड़ा खुलासा तब हुआ जब सूचना के अधिकार (RTI) के तहत मांगी गई जानकारी सामने आई। दस्तावेज़ों के मुताबिक —
39 बाहरी लोगों को विभाग से बाहर होकर भी आवास दिए गए हैं!
👉37 क्वार्टरों पर बेजा कब्जा है, और यह जानकारी खुद प्रबंधन ने स्वीकार की है!

अब सवाल यह है कि जब प्रबंधन खुद जानता है कि आवासों पर अवैध कब्जा है, तो कार्रवाई क्यों नहीं? क्या दीपका की आवासीय कॉलोनियाँ अब नियम नहीं, रिश्तों और सिफारिशों से चलेंगी?
कर्मचारी संगठनों में जबरदस्त नाराजगी है। उनका आरोप है कि “प्रबंधन ने कर्मचारियों के हक पर डाका डाला है। जो लोग सालों से प्रतीक्षा सूची में हैं, वे बाहर रह रहे हैं, और अंदर बैठे हैं वो जिनका एसईसीएल से कोई संबंध ही नहीं।”
सूत्र बताते हैं कि इस पूरी आवासीय हेराफेरी में कुछ वरिष्ठ अफसरों का प्रत्यक्ष संरक्षण है।
स्थानीय लोग सवाल उठा रहे हैं —👇
👉”क्या दीपका अब कोल एरिया नहीं, पावर लॉबी का पर्सनल ज़ोन बन गया है?”
👉संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही गैर-एसईसीएल लोगों से आवास खाली नहीं कराए गए तो मुख्यालय घेराव और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
👉अब गेंद प्रबंधन के पाले में है
क्या वे नियमों का सम्मान करेंगे या सिफारिशों के आगे झुकेंगे?
कर्मचारी पूछ रहे हैं — “क्वार्टर कर्मियों का या नेताओं का?”
सोर्स -वेदांत समाचार