KORBA : विडंबना ,CHC आयुष्मान आरोग्य मंदिर चिर्रा को खुद के भवन का इंतजार ,वन विभाग के किराए के भवन में हो रहा संचालित ,उसमें भी आई दरार ,सुध लो साय सरकार …..

0 जनपद अध्यक्ष के निरीक्षण में उजागर हुई खामियां ,कर्मचारियों ने मांगा भवन पेयजल

कोरबा। जिले के ग्राम चिर्रा में संचालित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (आयुष्मान आरोग्य मंदिर) की स्थिति बेहद जर्जर और चिंताजनक पाई गई है। यह स्वास्थ्य केंद्र पिछले कई वर्षों से वन विभाग के पुराने भवन में संचालित हो रहा है, जो अब पूरी तरह जर्जर अवस्था में पहुँच चुका है। भवन की दीवारों और छत में दरारें आने लगी हैं, जिससे किसी भी समय जनहानि होने का भय बना रहता है।

शुक्रवार को कोरबा जनपद पंचायत अध्यक्ष श्रीमती बिजमोती अभिमन्यु राठिया ने आकस्मिक निरीक्षण के दौरान केंद्र की दुर्दशा को देखा। निरीक्षण के दौरान कर्मचारियों ने बताया कि अस्पताल के लिए अब तक कोई नया भवन स्वीकृत नहीं हुआ है। इस वजह से मरीजों को कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
सबसे बड़ी समस्या पेयजल की है — अस्पताल में मरीजों या परिजनों के लिए शुद्ध पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है। कर्मचारियों और जनपद सदस्यों ने बताया कि बस्ती से कुछ ही दूरी पर स्थित नाले या ढोढ़ी से पानी भरकर लाया जाता है और मरीजों को पिलाया जाता है। यह न केवल अमानवीय है बल्कि स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक भी है।

अस्पताल के कर्मचारी और जनप्रतिनिधियों ने बताया कि रात्रिकालीन प्रसव (डिलीवरी) के समय भी भारी दिक्कतें होती हैं क्योंकि भवन बस्ती से दूर और सुनसान इलाके में स्थित है। कई बार वाहन सुविधा उपलब्ध न होने पर गर्भवती महिलाओं को गंभीर परेशानी उठानी पड़ती है।

जनपद सदस्य बैलेंदर सिंह राठिया ने कहा कि “यह स्थिति बेहद शर्मनाक और खतरनाक है। नाले का पानी मरीजों को पिलाया जा रहा है, जो स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का स्पष्ट प्रमाण है। शासन-प्रशासन को तुरंत संज्ञान लेकर नया भवन निर्माण और शुद्ध पेयजल की व्यवस्था करनी चाहिए।”

स्थानीय ग्रामीणों ने भी जनपद अध्यक्ष से मांग की है कि चिर्रा के लिए जल्द से जल्द नया अस्पताल भवन स्वीकृत किया जाए, ताकि ग्रामीणों को बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएँ सुरक्षित भवन में उपलब्ध हो सकें।

संस्था की मुख्य मांगें:👇

  1. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चिर्रा के लिए नया भवन स्वीकृत किया जाए।
  2. अस्पताल परिसर में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था की जाए।
  3. रात्रिकालीन डिलीवरी और आपातकालीन सेवाओं के लिए स्थायी स्टाफ और सुरक्षा की व्यवस्था हो।

ग्रामीणों का कहना है कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई, तो वे जन आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।