वन विभाग को नहीं सूचना के अधिकार अधिनियम की परवाह ,गड़बड़ी छुपाने जानकारी देने से किया इंकार

डीएमएफटी ,कैम्पा मद के डेढ़ करोड़ से अधिक के कार्यों में की गई है गड़बड़ी ,88 आवेदन एक साथ देख विचलित हो गए जन सूचना अधिकारी

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा । सूचना का अधिकार आम जनता का हथियार नहीं बन सका है । कांग्रेस शासन काल में संविधान से पारित कराए गए कानून का कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ राज्य में ही नौकरशाह फजीहत करा रहे हैं । कोरबा वनमण्डलाधिकारी कार्यालय ने जिला खनिज न्यास संस्थान (डीएमएफटी )एवं कैम्पा मद के तहत कराए गए कार्यों से जुड़ी 88 आवेदन पत्रों के माध्यम से चाही गई जानकारी को आवेदक को यह लेखकर देने से इंकार कर दिया है कि आवेदक द्वारा एक साथ 88 आवेदन पत्रों में जानकारी चाही गई है । जो सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 07 (09) के तहत स्रोतों को अनुनपाती रूप से विचलित करता है । जबकि प्रावधान में ऐसा कोई उल्लेख ही नहीं है । इस तरह भ्रष्टाचार उजागर न हो इस मंशा से आवेदक को वांक्षित अभिलेखों से वंचित करने ऐसा भ्रामक पत्र लेख किया गया है । साथ ही आवेदक के खिलाफ भयादोहन करने की मिथ्या आरोप लगाया जा रहा है ।

भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने तथा सरकारी कामकाजों में पारदर्शिता लाने के लिए कांग्रेस शासनकाल में 12 अक्टूबर 2005 को पूरे देश में एक साथ सूचना का अधिकार अधिनियम लागू हुआ है । इसके तहत सरकारी व अनुदान प्राप्त गैर सरकारी संस्थानों से विभिन्न प्रकार के कार्यालयीन अभिलेखों की सत्यप्रतिलिपि की मांग की जा सकती है । आवदेन शुल्क के साथ दस रुपए का नान ज्यूडिशियल स्टाम्प , मनी ऑर्डर व चालान जमा करने का प्रावधान है । लेकिन वन विभाग को इसकी परवाह नहीं है । कोरबा वनमण्डलाधिकारी कार्यालय में दिनांक 23 .01.2021 को सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 में निहित प्रावधानों के तहत 88 नग आवेदन पत्रों के माध्यम से जिला खनिज संस्थान न्यास एवं कैम्पा मद के तहत कराए गए कार्यों से जुड़े अभिलेखों की सत्यप्रतिलिपि की मांग की गई थी । जिसमें जिला खनिज संस्थान न्यास के तहत मार्च 2020 जारी प्रशासकीय स्वीकृति के तहत कराए गए लाख प्रसंस्करण केंद्र हेतु भवन निर्माण ,जनवरी 2021 को जारी प्रशासकीय स्वीकृति के तहत सतरेंगा पर्यटन स्थल में मार्ग निर्माण भाग -01 ,भाग -02 ,भाग -03 के बिल वहाउचर्स ,माप पुस्तिका,मूल्यांकन प्रमाण पत्र,प्राक्कलन,पूर्णता प्रमाण पत्र ,चेक पंजी एवं अनुबंध पत्र की सत्यप्रतिलिपि चाही गई थी । इसी तरह एपीओ वर्ष 2019-20 में कैम्पा मद के तहत प्राप्त आबंटन में करतला परिक्षेत्र के औरानाला में नरवा विकास योजना के तहत कराए गए ,गैबियन स्ट्रक्चर ,अर्थन गली प्लग ,डबरी निर्माण एवं लूज बोल्डर चेक डेम निर्माण सहित 06.01.2020 को जारी प्रशासकीय स्वीकृति के तहत कैम्पा मद में प्राप्त आबंटन में एसईसीएल मानिकपुर माइंस परियोजना के पी.978 बासीनखार में कराए गए तालाब निर्माण की जानकारी चाही गई थी । उसमें भी जिला खनिज न्यास संस्थान के कार्यों की तरह पृथक पृथक कार्यों के अभिलेखों की सत्यप्रतिलिपि की मांग की गई थी । लेकिन जन सूचना अधिकारी कार्यालय वन मण्डलाधिकारी ने दिनांक 16 /02/2021 को पत्र लेख कर जानकारी देने से इंकार कर दिया है । जिससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है उक्त कार्यों में किस तरह करोड़ों रुपए के शासकीय धन का बंदरबाट किया गया होगा।

डेढ़ करोड़ से अधिक के हैं कार्य

कैम्पा मद के तहत औरानाला में नरवा विकास योजना के तहत कराए गए गैबियन स्ट्रक्चर ,अर्थन गली प्लग,डबरी निर्माण ,लूज बोल्डर चेक डेम कराया गया है । सभी कार्यों के लिए 50 लाख 67 हजार 949 रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई है । बासीनखार तालाब निर्माण की लागत 25 लाख की है । सतरेंगा पर्यटन स्थल में भाग 1 से भाग 3 मार्ग निर्माण के लिए कुल 60 लाख की प्रशासकीय स्वीकृति जारी की गई है । लाख प्रसंस्करण केंद्र भवन निर्माण में 42 लाख की लागत आई है । सभी कार्यों की गुणवत्ता जमीनी स्तर पर दोयम दर्जे की है । अभिलेखों के मिलने के बाद विभाग की गड़बड़ी सार्वजनिक हो जाएगी ।

इसलिए लगे 88 आवेदन

कार्यालय वन मण्डलाधिकारी कोरबा से पूर्व में भी सम्बंधित कार्यों से जुड़े अभिलेखों की मांग की गई थी । लेकिन जन सूचना अधिकारी ने यह पत्र लेखकर जानकारी देने से इनकार कर दिया था कि जानकारी वर्षवार माहवार संधारित की जाती है । जिसकी वजह से प्रत्येक माह के बिल के आधार पर पृथक पृथक आवेदन पत्र प्रस्तुत करना पड़ा । इसके लिए बकायदा 10 रुपए का शुल्क भी स्टाम्प के माध्यम से जमा किया गया था । इसके बाद भी विभाग जानकारी छुपा रहा।

क्यों होते हैं भयादोहित

सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत व्यापक लोकहित में विभागीय जानकारी मांगे जाने के बाद अक्सर आवेदक को प्रभावित करने का प्रयास किया जाता है । आवदेक के प्रभावित न होने की दशा में उसके खिलाफ दुष्प्रचार किया जाता है । भया दोहन की झूठी शिकायत या धमकी दी जाती है । ताकि आवेदक को भयाक्रांत कर वांक्षित जानकारी न दें ।