निजीकरण के विरोध में हड़ताल से बैंकिंग सेवाएं रही प्रभावित, 9 बैंक यूनियन के 300 बैंक अफसर-कर्मियों का है समर्थन, एटीएम के बाहर ग्राहकों की लगी रही भीड़ं?

कोरबा :- निजीकरण के विरोध में हड़ताल से बैंकिंग सेवाएं प्रभावित रही। एसबीआई समेत अन्य सरकारी बैंक की शाखाओं के सामने बैंक अफसर व कर्मियों ने विरोध प्रदर्शन किया। दो दिवसीय हड़ताल की घोषणा से 16 मार्च को भी बैंकों में हड़ताल रहेगी। इससे दूसरे दिन भी कामकाज ठप रहेगा।
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के बैनर तले 9 यूनियन के करीब 300 बैंक अफसर व कर्मचारियों का हड़ताल को समर्थन है। इसके पहले बैंक कर्मचारियों ने बैंकों के मर्ज का भी हड़ताल कर विरोध जता चुके हैं। अब चार सरकारी बैंकों के निजीकरण का विरोध में 12 राष्ट्रीयकृत बैंकों के अफसर व कर्मी हड़ताल कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ बैंक एम्प्लाइज एसोसिएशन का कहना कि यूनाइटेड फोरम के आह्वान पर बैंकों में हड़ताल की जा रही है। इसमें संभाग के बैंकर्स शामिल हो रहे हैं। बैंकों के निजीकरण समेत कई प्रमुख मांगों को लेकर हड़ताल किया जा रहा है। सोमवार को हड़ताल से कामकाज ठप रहा। इसके पहले दो दिन दूसरा शनिवार व रविवार होने से अवकाश से बैंक बंद रहे। ऐसे में एटीएम मशीन के बाहर ग्राहकों की भीड़ लग रही है। ग्राहकों ने आरटीजीएस व इंटरनेट बैकिंग से लेन-देन करते दिखे। इन सुविधाओं से ग्राहकों ने किसी तरह अपनी जरूरतें पूरी की। हालांकि जिनका काम बैंक में जाने से ही पूरा होना है, उन्हें तो कार्यदिवस पर बैंक में जाकर अपना काम निपटाना पड़ेगा।

माह के अंतिम में लगातार तीन दिन बैंक रहेगी बंद
बैंक कर्मचारियों के दो दिनी हड़ताल से इस बार चार दिन बैंक बंद रहेंगे। तो मार्च के अंतिम में भी लगातार तीन दिन बैंक बंद रहेगी। 27 मार्च चौथा शनिवार होने से तो 28 व 29 मार्च को होली के पर्व को लेकर बैंक बंद रहेंगे। ऐसे में ग्राहकों को परेशानी उठानी पड़ सकती है।

40 से 50 हजार करोड़ के नुकसान का अनुमान
हड़ताल में शामिल एसबीआई कोरबा शाखा के डिप्टी मैनेजर नवरतन का कहना है कि पहले दिन की हड़ताल से 40 से 50 हजार के कारोबार के नुकसान का अनुमान है। सरकार की मंशा समझ नहीं आ रही है। आखिर निजीकरण से किसको फायदा होगा। सरकारी बैंकों के केन्द्र सरकार की योजनाओं को आगे बढ़ाने मद करती है। सरकारी संपत्ति सुरक्षित रखने के बजाय बेचना कहां तक सही है। कई सरकारी बैंकों के नुकसान में होने की वजह एनपीएफ का बढऩा है। बैंकों को प्राफिट में लाने निजीकरण विकल्प नहीं है, बल्कि रिकवरी सिस्टम को बेहतर बनाने की जरूरत है।

निजी स्वार्थ के लिए सबके अधिकारों को बचाने हड़ताल
एसबीआई अधिकारी संघ के क्षेत्रीय सचिव सेवकराम का कहना है कि 1 अप्रैल से 4 बैंकों के निजीकरण का फैसला लिया गया है। इसके विरोध में ही हड़ताल की जा रही है। सरकार की कई योजनाओं को बेहतर ढंग से संचालित करने में सरकारी बैंकों का अहम योगदान रहता है। अगर जनधन की योजना साकार हुई है तो सरकारी बैंकों की मदद से। रोजगार के अवसर देने मुद्रा लोन भी सरकारी बैंकों से हुई है। ऐसे में उनकी हड़ताल निजी स्वार्थ के लिए नहीं है। बल्कि सबके अधिकारों को बचाने की है।