कटघोरा । कटघोरा वन मंडल के अंतर्गत आने वाले जंगलो में हाथी अब सुरक्षित नहीं है . लगातार हो रही हाथी के मौत के बाद डिवीजन के नेतृत्व पर सवाल उठाने लगे है . आपको बताते चले कि दस दिन के भीतर दो नन्हे शावकों की मौत हुई है . जिस कदर हाथियों की मौत लगातार हो रही है उससे वन विभाग की लापरवाही उजागर हुई है .
सोमवार को हाथी के बच्चे का शव पोड़ी-उपरोड़ा विकासखंड के पंचायत पोड़ीखुर्द-लाद-घूंचापुर के मध्य लालपुर के जंगल में एक दलदली नाले के पास देखा गया। सुबह सबसे पहले ग्रामीण की नजर उस पर पड़ी और उसने वन विभाग को सूचित किया । कटघोरा डीएफओ समेत वन अमले ने मौके पर पहुंचकर जांच की और औपचारिकताएं पूरी कर उसका अंतिम संस्कार कराया। केंदई परिक्षेत्र में हाथी के नन्हें बच्चों की मौत होने की केवल नौ दिन में यह दूसरी घटना है। इससे पूर्व इसी परिक्षेत्र में खेतों में विचरण कर रहे झुंड का नन्हा सदस्य एक तालाब में चला गया, जिसकी मौत डूबने से होना बताई गई। जिस कदर हाथियों की ट्रेसिंग के लिए करोडो रूपये खर्च किया जा रहा है और उसके बाद भी हाथियों की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा तो विभाग के काम काज पर सवाल उठना लाजमी है . दरअसल कटघोरा वन मंडल एक वृहद् क्षेत्र में फैला हुआ है जिससे इस डिवीजन को चलने किसी अनुभवी डिवीजन अधिकारी की जरुरत महसूस की जा रही है .
लगातार की जा रही ट्रैकिंग, फिर भी चूक
भले ही वन विभाग के आला अधिकारी इन घटनाओं के लिए कभी प्रकृति तो कभी कोई दूसरा कारण बताकर पल्ला झाड़ने का प्रयास कर रहे, पर हाथियों की लगातार बेवक्त हो रही मौत को लेकर विभागीय व्यवस्था में चूक देखी जा सकती है। पिछले बार दौरे पर आए सीसीएफ सोनी ने भी स्वयं इस बात की जानकारी दी थी, कि इस झुंड की निगरानी लगातार की जा रही है। उस वक्त भी तालाब तक पहुंचने से पहले खेतों तक उनकी ट्रैकिंग की जा रही थी। उस घटना के बाद भी दल पर लगातार वन विभाग का मैदानी अमला नजर रख रहा था और ग्रामीण भी उनका सहयोग कर रहे थे। इसके बाद भी एक और बच्चे की जान चली गई।
वर्सन
हाथी के शावकों की लगातार हो रही मौत नेचुरल है क्योकि शावक हाथियों के झुण्ड के बिच में रहते है और उनकी लगतार देखभाल करते है . पानी के लिए शावक को पानी में ले जाने की घटना सामने आ रही है . जिससे गहरे पानी में चले जाने से शावकों की मौत होने की बात सामने आ रही है .
अनिल सोनी
सीसीएफ बिलासपुर