बालको को 5 एकड़ लीज पर मिली थी वनभूमि, 30 एकड़ वनभूमि पर कर डाला कब्जा ,पाट डाला राखड़ ! राजस्व मंत्री ने लगाए गम्भीर आरोप ,कहा -रोजगार देने में स्थानीय युवाओं की उपेक्षा ,प्रशासन की मौन स्वीकृति ,कार्रवाई नहीं होने पर उग्र आंदोलन की दी चेतावनी …

कोरबा। वेदांता समूह द्वारा संचालित बालको प्रबंधन पर 30 एकड़ वनभूमि में कब्जे का आरोप लगा है।प्रबंधन पर फ्लाई ऐश डाइक के बाजू में बसे ग्राम रुकबहरी में लो लाइन एरिया में राखड़ भराव उपरांत वहां नियमानुसार सघन वृक्षारोपण अभियान को मूर्तरूप देने के लिए 5 एकड़ वन भूमि लीज में मिलने के बाद उक्त भूमि पर राखड़ डंप करते हुए मनमाने पूर्वक 30 एकड़ वनभूमि पर कब्जे का आरोप है।कोरबा विधान सभा के पूर्व विधायक रहे ,प्रदेश के पूर्व राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने सोमवार को प्रेस वार्ता कर यह गंभीर आरोप लगाते हुए जिला प्रशासन पर बालको की मनमानी की अनदेखी ,गलत नीतियों को पर्दा डालने ,मौन स्वीकृति का गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने प्रेषित तमाम पत्रों पर शीघ्र कार्रवाई नहीं करने भविष्य में उक्त जनाक्रोश को प्रबंधन के विरुद्ध जनांदोलन में परिवर्तित होने की चेतावनी दी है।

पूर्व राजस्व मंत्री श्री अग्रवाल मीडिया से मुखातिब होते हुए पूरे प्रेस वार्ता में बालको प्रबंधन की जनविरोधी एवं नियम विरुद्ध कार्यशैली पर जिला प्रशासन को नियमानुसार अनेकों पत्र व्यवहार के बावजूद कोई भी सार्थक कदम न उठाकर अलिखित व अघोषित रूप से मौन स्वीकृति की बात कही। श्री अग्रवाल ने ग्राम रोगबहरी में लगभग 30 एकड़ वनभूमि पर कब्जा मामले में बताया कि ऐश डाईक से रिसाव होने वाले पानी को बेलगिरी नाला में जाने से रोकने के लिए कंक्रीट की टंकिया बनवाई गई हैं ,जिनमें दिन भर टाओ पानी एकत्र होता है और रात के समय उन टंकियों के पानी को बेलगिरी नाला में ड्रेन कर दिया जाता है। इसकी वजह से नेहरूनगर ,परसाभांठा व बेलगिरी बस्तियों के हजारों निवासियों को निस्तारी के लिए राखड़युक्त दूषित पानी का उपयोग करने मजबूर होना पड़ रहा है।ऐश डाइक से उड़ने वाली राख के गुब्बार से वहाँ के रहवासियों का जीना दुश्वार हो गया है।वे चर्मरोग , अस्थमा एवं फेफड़े संबंधी बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं।

श्री अग्रवाल ने बालको प्रबंधन पर नियमों की अनदेखी कर सड़क मार्ग से परिवहन किए जाने वाले वाहन को नियमानुसार तिरपाल से नहीं ढंककर सड़कों में फ्लाई ऐश गिरा जन सामान्य के स्वास्थ्य से खिलवाड़ का गंभीर आरोप लगाया है ।

उन्होंने संयंत्र से निस्तारित फ्लाई ऐश को रात के अंधेरे में खाली सुनसान इलाकों में कहीं भी डम्प करने,बालकोनगर बजरंग चौक से परसाभांठा बाजार तक प्रशासन की मध्यस्थता में चौड़ीकरण का वादा कर मुकरने ,गंभीर दुर्घटनाओं को आमंत्रण देने का आरोप लगाया।

स्थानीय कर्मचारियों की उपेक्षा का आरोप 👇

पूर्व राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने बालको प्रबंधन पर स्थानीय कर्मचारियों की उपेक्षा कर आउटसोर्सिंग से मजदूरों को नियोजित करने का आरोप लगाया है। उन्होंने बालको प्रबंधन पर कांग्रेस शासनकाल में विस्तार परियोजना के लिए आयोजित सुनवाई के दौरान तकनीकी रूप से सक्षम युवाओं की अनदेखी ,बालको शांतिनगर कूलिंग टॉवर से प्रभावितों को उचित मुआवजा,बसाहट ,रोजगार नहीं देने प्रभावितों को गुमराह करने का आरोप लगाया।

कैसे करेंगे फलदार ,फूलदार वृक्षो को कैसे करेंगे शिफ्टिंग 👇

पूर्व राजस्व मंत्री ने मीडिया के सामने बालको प्रबंधन की मनमानी की पोल खोलते हुए कहा कि बालकोनगर सेक्टर -6 बी ,और सी ,टाईप वाले खाली पड़े हुए क्षेत्र में प्रबंधन द्वारा बहुमंजिली इमारतें बनाने की परियोजना के लिए हजारों की संख्या में फलदार ,छायादार वृक्षों की शिफ्टिंग की जगह नियमों की अनदेखी कर पेंड काटे जाने का आरोप लगाया। श्री अग्रवाल ने
बालको विकास योजना 2031 के तहत बाल्को बस स्टैंड से कॉफी प्वॉइंट तक जाने जाने वाले मार्ग को 150 फिट चौड़ा बनाया जाना है ,जिसकी प्रबंधन द्वारा सेक्टर -6 क्षेत्र में बाउन्ड्रीवॉल बनाने की योजना से सड़क मार्ग हेतु आवश्यक भूमि पर ही बाउन्ड्रीवॉल बनाने की योजना के तहत कांटेदार तार से घेरकर बंद किया गया है। अब उसी स्थान पर बाउंड्रीवाल बनाने के लिए नींव की खुदाई का कार्य आरंभ कर दिया गया है। जबकि प्रबंधन को बाउंड्रीवाल बनाने की अनुमति ही नहीं मिली है। उक्त स्थान पर बाउंड्रीवॉल बनाए जाने के बाद में सड़क का चौड़ीकरण कार्य रुक जाएगा।

उन्होंने कारखाना नियमावली के उल्लंघन का आरोप लगाया । संयंत्र में 15 दिनों के लिए भी संरक्षित जल की व्यवस्था नहीं है।

तो दूर हो जाती शहर की ट्रेफिक की दिक्कत 👇

पूर्व राजस्व मंत्री श्री अग्रवाल ने बताया कि उन्होंने विधानसभा चुनाव से पूर्व ही बरमपुर से दर्री तक पुल बनाने 82 करोड़ रुपए स्वीकृत कराए थे । जिसमें पहली किश्त की राशि भी जारी हो गई थी। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि भाजपा की सरकार आने के डेढ़ साल बाद भी टेंडर प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी। अगर यह पुल बन जाता तो शहर की यातायात का दबाव कम हो जाता।