देश की 100 ताकतवर हस्तियों में 26वें नंबर पर भूपेश, नीतीश-केजरीवाल और स्मृति ईरानी से भी लोकप्रियता में आगे

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लोकप्रियता के मामले में ऊंची छलांग लगाई है और देश की 100 ताकतवर हस्तियों में 26वें नंबर पर पहुंच गए हैं। इस सूची में पहले नंबर पर पीएम मोदी, दूसरे पर गृहमंत्री अमित शाह और तीसरे नंबर पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत हैं।

देश की सौ ताकतवर हस्तियों की सूची एक अंग्रेजी अखबार समूह ने अलग-अलग मापदंडों के आधार पर जारी की है। इस सूची में सीएम बघेल 26वें नंबर पर हैं। सूची के साथ जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि भूपेश चुनिंदा कांग्रेस मुख्यमंत्रियों में से एक हैं।

देश की सौ ताकतवर हस्तियों में 26वें नंबर में शामिल किए गए सीएम भूपेश बघेल ने 11 राज्यों के मुख्यमंत्री और कई केंद्रीय मंत्रियों को पीछे छोड़ दिया है। सीएम बघेल जिन राज्यों के मुख्यमंत्रियों से आगे हैं, उनमें दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत, मध्यप्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान, आंध्रप्रदेश के सीएम वायएस जगनमोहन रेड्डी, ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक, कर्नाटक के सीएम बीएस येदियुरप्पा, हरियाणा के सीएम मनोहरलाल खट्टर, तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव, गुजरात के सीएम विजय रूपानी, बिहार के सीएम नीतीश कुमार और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन शामिल हैं। इनके अलावा केंद्रीय मंत्रियों में स्मृति ईरानी, डॉ. हर्षवर्धन, नरेंद्र सिंह तोमर, गजेंद्र सिंह शेखावत आदि शामिल हैं। वहीं इस सूची में सीएम भूपेश कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी से भी आगे हैं।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने की नीतियों से बढ़ा कद
छत्तीसगढ़ सरकार ने लॉकडाउन के बाद लौटे लोगों को रोजगार से जोड़ने का सबसे बड़ा काम किया। मनरेगा के तहत इस वर्ष अब तक 5.54 लाख परिवारों को 100 दिनों का काम दिया गया। इस मामले में छत्तीसगढ़ देश में पांचवें स्थान पर है।

मुख्यमंत्री बनने के बाद से सीएम बघेल का पूरा फोकस छत्तीसगढ़ के गांव, गरीब, किसान और आदिवासी ही रहे हैं। अपनी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए उन्होंने न सिर्फ गौठान बनाए वर्मी कंपोस्ट, गौ काष्ठ बनाकर बल्कि उन्हें आजीविका केंद्र के रूप में विकसित किया गया। इसी तरह गोधन योजना के तहत सरकार गौ पालकों और लोगों से दो रुपए किलो में गोबर खरीद रही है। इस योजना के तहत अब तक लगभग 78 करोड़ रुपए का भुगतान भी किया जा चुका है। वहीं आदिवासी इलाकों और वन क्षेत्रों में होने वाले वनौषधियों की खरीदी के साथ ही तेंदूपत्ता संग्राहकों को चार हजार रुपए प्रति मानक बोरा दिया जा रहा है।