शहर के के KIT में कर्मचारियों ने जल्दीबाजी में डेथ सर्टिफिकेट में मृत महिला के बदले जिंदा मरीज का नाम डाल दिया। प्रमाण पत्र जारी होने के बाद जब परिजन को पता चला तो उसने तुरंत डॉक्टर से महिला के जिंदा होने की बात कही। थोड़ी देर बाद ही सर्टिफिकेट सुधार दिया गया।
खरसिया सोनबरसा गांव की महिला हरवंश कुंवर राठिया कोविड संक्रमित होने के बाद केआईटी में भर्ती कराई गई थी। रविवार दोपहर 2 बजे केआईटी के कर्मचारियों ने महिला का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया। थोड़ी देर बाद जब उसके परिजन घासी राठिया को इसका पता चला तो उसने तुरंत डॉक्टरों से बात की और बताया कि महिला जीवित है। गलती का अहसास होते ही सर्टिफिकेट सुधारा गया। परिजन घासी राठिया ने ही महिला का वीडियो और डेथ सर्टिफिकेट सोशल मीडिया में शेयर किया।
इस मामले में अब राजनीति भी शुरू हो गई। मामला खरसिया क्षेत्र से जुड़ा था। भाजपा नेता ओंपी चौधरी ने विपक्ष की भूमिका निभाते हुए मुख्यमंत्री के नाम सोशल मीडिया में पत्र भी जारी कर दिया। उन्होंने कहा कि जिंदा बहन का डेट सर्टिफिकेट जारी कर दिया जा रहा है छत्तीसगढ़ के भाई बहनों ने हमें विपक्ष की जिम्मेदारी दी है ऐसी स्थिति में इस तरह की अव्यवस्थाओं को उठाना क्या हमारा दायित्व नहीं है। इस तरह की व्यवस्थाओं को सुधारने का आपसे आग्रह है।
जानकारी मिलने के बाद उनके दामाद केआईडी अस्पताल पहुंचे। जहां उनके हाथ में डेट सर्टिफिकेट थमा दिया गया। वे वहाँ पहुंचे, जहां उनकी सास भर्ती थी। वहां उन्होंने देखा कि वह अपने बेड पर बैठ कर चाय पी रही है। इस बात को लेकर आगबबूला हुए दमाद ने वहां के स्टाफ से जाकर पूछा तो उन्होंने कहा, दूसरे बेड के मरीज का देहांत हुआ है गलती से इनका नाम चढ़ गया।